सार

Situationship Relationship: आजकल रिश्ते उलझे हुए हैं, लोग साथ तो रहना चाहते हैं पर दिखाना नहीं। प्यार है या सिर्फ़ सिचुएशनशिप, जानें इस रिश्ते की पहचान और नुकसान।

Relationship Tips: आजकल रिश्ते ऐसे हो गए हैं कि लोग रिलेशनशिप में रहना तो चाहते हैं, लेकिन दिखना नहीं चाहते। ऐसे रिश्ते में लोग हाथ थामना तो चाहते हैं लेकिन साथ बैठना नहीं चाहते। आजकल के रिश्ते ऐसे हैं कि आपको अपनाना भी नहीं पड़ता और पराया भी नहीं करना पड़ता, ये एक तरह से सिचुएशनशिप पर आधारित रिश्ते हैं, लेकिन अगर रिश्ता है तो उसे अच्छे से निभाना चाहिए। रिश्ते सिचुएशनशिप पर नहीं चलते। आइए इस बारे में विस्तार से जानें।

सिचुएशनशिप क्या है (What is Situationship)

सिचुएशनशिप एक ऐसा रिश्ता है जिसमें दो लोग एक-दूसरे के साथ समय बिताते हैं। वे शारीरिक-भावनात्मक रूप से जुड़े होते हैं लेकिन उनके रिश्ते की कोई स्पष्ट परिभाषा नहीं होती। जैसे बॉयफ्रेंड-गर्लफ्रेंड, पार्टनर या कमिटेड कपल। वे सिचुएशन के हिसाब से अपने रिश्ते में बदलाव करते हैं।

सिचुएशनशिप को कैसे पहचानें (How to Recognize Situationism)

  1. सिचुएशनशिप को पहचानने के लिए आपको कुछ चीजों पर नजर रखना बहुत जरूरी है।
  2. वे एक-दूसरे को पसंद तो करते हैं, लेकिन रिलेशनशिप का टैग नहीं देना चाहते।
  3. कोई फ्यूचर प्लानिंग नहीं होती, जैसे शादी या लॉन्ग टर्म प्लान।
  4. बातचीत और मुलाकातें तो होती हैं, लेकिन कभी कोई स्पष्टता नहीं होती।
  5. सिचुएशनशिप में भावनात्मक जुड़ाव तो होता है, लेकिन किसी तरह की प्रतिबद्धता नहीं होती।
  6. सिचुएशनशिप में रिश्ते को एक-दूसरे से छिपाकर निभाया जाता है और दूसरों से रिश्ता छिपाकर रखा जाता है।
  7. जब भी रिश्ते की बात होती है, तो वे चीजें बदल देते हैं या फिर इसे सिर्फ दोस्त का टैग दे देते हैं।

सिचुएशनशिप में पार्टनर क्यों होते हैं (Why there are partners in a situationship)

जब लोग अपने रिश्ते के लिए तैयार नहीं होते, तो वे सिचुएशनशिप में होते हैं। प्रतिबद्धता से डरने वाले लोग अक्सर सिचुएशनशिप के बारे में सोचते हैं। ब्रेकअप के बाद लोग अपना अकेलापन भरने के लिए सिचुएशनशिप का सहारा लेते हैं। वे सिर्फ समय बिताने और साथ के लिए सिचुएशनशिप करते हैं। उनमें से एक के पास भावनाएं होती हैं, जबकि दूसरे के पास नहीं।

सिचुएशनशिप के नुकसान (Disadvantages of Situationship)

सिचुएशनशिप में भावनात्मक अशांति होती है, स्पष्टता की कमी होती है। अक्सर उलझन होती है। एकतरफा उम्मीदें होती हैं और ऐसे रिश्ते से आगे बढ़ना भी मुश्किल होता है।