सार
क्या आप हर समस्या के लिए दूसरों पर निर्भर रहते हैं? जानिए दूसरों पर निर्भर रहने के नुकसान, आत्म-निर्भर कैसे बनें, और मजबूत रिश्ते कैसे बनाएं।
रिलेशनशिप डेस्क। अपनी परेशानियां किसी से शेयर करने पर राहत मिलती है, इसमें कोई शक नहीं। इसलिए हम दोस्तों से बात करते हैं, मनोवैज्ञानिक से मिलते हैं। लेकिन राहत पाने के लिए बात करना और हमेशा दूसरों पर निर्भर रहना, इन दोनों में फर्क है।
आम तौर पर हम समस्या का हल ढूंढने के लिए किसी से बात करते हैं। लेकिन अगर हम बिना कोशिश किए ही ये मान लें कि हम इससे बाहर नहीं निकल सकते, तो ये हमारे मानसिक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होगा।
हर समस्या के लिए दूसरों पर निर्भर रहने की आदत हमें बदलनी चाहिए। इससे हमारे अंदर लाचारी की भावना बढ़ती है। मान लीजिए, ऑफिस या परिवार में कोई हमें परेशान करता है।
हम ये बात अपने दोस्तों या पार्टनर को बताना चाहेंगे। लेकिन बार-बार एक ही बात किसी को बताने से समस्या हल नहीं होती। हमें परेशान करने वाले को रोकने के लिए हमारी तरफ से ठोस कदम उठाने की ज़रूरत होती है। हमें उन्हें 'ना' कहने का साहस दिखाना होगा। उन्हें बताना होगा कि उनकी बातें हमें परेशान करती हैं, या फिर उनकी बातों को अनसुना कर दें।
ऐसा करने के लिए गुस्सा ज़रूरी नहीं है। हम शांति से भी अपनी बात कह सकते हैं। उनके सामने रोने या गुस्सा करने से उन्हें और हमें भी लगेगा कि हम कमज़ोर हैं।
हमें खुद को स्वीकार करना सीखना होगा। किसी के कहने से क्या हमारी ज़िंदगी या आत्मविश्वास खत्म हो जाता है? खुद से ये सवाल पूछें। अपनी शांति के लिए ज़रूरी चीज़ों के लिए समय निकालें।
ये समझने के लिए कि आपको हमेशा किसी पर निर्भर रहने की ज़रूरत नहीं है, अगली बार समस्या आने पर खुद उसे सुलझाने की कोशिश करें। दूसरों की मदद कितनी ज़रूरी है, ये सोचने के बाद, जो आप खुद कर सकते हैं, उसकी ज़िम्मेदारी लें।
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