सार

शादी के बाद लड़कियों का घर न जाना, घर से सारे रिश्ते तोड़ देना, जैसी ज़िद ख़तरनाक हो सकती है। इससे अकेलापन महसूस हो सकता है। 

रिेलेशनशिप डेस्क। लड़की के जन्म लेने के साथ माता-पिता उसकी शादी के सपने देखने लगते हैं। अपने खर्चों को कमकर बेटी के लिए जोड़ना ताकि शादी अच्छे से कर सकें। वहीं, लड़की भी जीवन में ढेरों उम्मीदों के साथ खुशहाल जिंदगी की कामना करती है लेकिन आज की सच्चाई कुछ और है। शायद ही ऐसा कोई दिन जाता हो जब नवविवाहिता की आत्महत्या और हत्या खबरें न आती हों।कई बार तो दहेज और प्रताड़ना की बात ही सामने नहीं आती। ऐसे में जानना जरूरी है, आखिर इन बातों के अलावा भी ऐसे कौन सी कारण हैं, जिनके आगे नवविवाहिता जान देने के लिए मजबूर हो जाती हैं।  

सामाजिक कारण

आमतौर पर, हमारे समाज में नई दुल्हन से बहुत ज़्यादा उम्मीदें रखी जाती हैं। पति और ससुराल वालों के साथ तालमेल बिठाने से लेकर, अपनी पुरानी आदतें बदलने तक, हर छोटी बात में बदलाव की उम्मीद लड़कियों पर भारी मानसिक दबाव डाल सकती है। अगर ससुराल में उन्हें अपनी पढ़ाई या नौकरी जैसे निजी मामलों में फैसले लेने की आज़ादी न मिले, तो यह उन्हें और भी ज़्यादा तोड़ सकता है। 

कुछ लोगों पर पति या परिवार की तरफ से जल्दी बच्चे पैदा करने का दबाव हो सकता है। मानसिक रूप से तैयार न होने पर, यह लड़कियों के लिए तनावपूर्ण हो सकता है। अनियमित पीरियड्स या PCOS जैसी स्वास्थ्य समस्याओं वाली लड़कियों के लिए यह तनाव और भी बढ़ सकता है। 

रंग, रूप या वज़न पर ताने सुनने पड़ें, तो मानसिक रूप से कमज़ोर लड़कियों के लिए यह असहनीय हो सकता है। 

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घरेलू हिंसा

कुछ लोग अब भी मानते हैं कि पति का पत्नी को मारना-पीटना आम बात है। गुस्से पर काबू न रख पाने की वजह से पत्नी पर हाथ उठाना, पति के स्वभाव में गंभीर बदलाव की ज़रूरत का संकेत है। पत्नी को ही अपने गुस्से का ज़िम्मेदार ठहराना गलत है। इसका मतलब यह नहीं कि सिर्फ़ पतियों को ही गुस्सा आता है, पत्नियों को नहीं। याद रखें, बेकाबू गुस्सा हत्या तक का कारण बन सकता है। आजकल पति द्वारा मारपीट और पत्नी द्वारा आत्महत्या की खबरें अक्सर सुनने को मिलती हैं। घरेलू हिंसा सहने पर मजबूर लड़कियां, उम्मीद खोकर आत्महत्या के बारे में सोच सकती हैं।

पति द्वारा बलात्कार

अगर पति को कोई यौन विकृति है, तो यह लड़की के लिए बहुत तकलीफदेह हो सकता है। 

पति का शक

कुछ पति हमेशा पत्नी का फोन चेक करते हैं और उन पर शक करते हैं। बेबुनियाद इल्ज़ाम लगाना, किससे बात कर रही हो, यह पूछते रहना, किसी से बात करने न देना, बहुत परेशान करने वाला होता है। 

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अकेलापन

शादी के बाद लड़कियों का घर न जाना, घर से सारे रिश्ते तोड़ देना, जैसी ज़िद ख़तरनाक हो सकती है। इससे अकेलापन महसूस हो सकता है। ससुराल और नए माहौल में ढलने के लिए वक्त चाहिए, यह समझे बिना, मायके से दूरी बनाने का दबाव हर लड़की के लिए बर्दाश्त करना मुश्किल होता है।

दहेज

दहेज से जुड़ी समस्याएं, ताने, पैसों के आधार पर परिवारों की तुलना, ये सब बहुत नुकसानदेह हो सकते हैं। 

लड़कियों के माता-पिता भी अक्सर सोचते हैं कि शादी के बाद उनकी ज़रूरतें पति पूरी करेगा। हर समस्या में 'एडजस्ट' करने की सलाह हमेशा कारगर नहीं होती। ऐसे में, कोई सुनने वाला न होने पर, लड़कियां निराशा और आत्महत्या के विचारों की ओर बढ़ सकती हैं।

( लेखिका प्रिया वर्गीस, क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट, ब्रीथ माइंड केयर, तिरुवल्ला.)

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