सार

Parenting Tips: बच्चों की परवरिश में जरूरत से ज्यादा दखलअंदाजी यानी हेलीकॉप्टर पेरेंटिंग बच्चों के आत्मविश्वास और निर्णय लेने की क्षमता को कम कर सकती है। इससे बच्चे तनाव में रहते हैं और सामाजिक रूप से भी पिछड़ सकते हैं।

Helicopter Parenting: माता-पिता और बच्चों का रिश्ता बहुत गहरा रिश्ता होता है। इस रिश्ते में प्यार, चिंता, मस्ती, मजाक सब कुछ होता है, लेकिन कई बार माता-पिता अपने बच्चों की जिंदगी में जरूरत से ज्यादा दखलंदाजी करते हैं। ऐसा करने से बच्चों पर बुरा असर पड़ सकता है। आजकल माता-पिता और बच्चों के बीच हेलीकॉप्टर पेरेंटिंग चर्चा का विषय बन गया है। क्या आप हेलीकॉप्टर पेरेंटिंग के बारे में जानते हैं? अगर नहीं, तो यह खबर आपके लिए है। आज हम आपको हेलीकॉप्टर पेरेंटिंग के बारे में बताएंगे।

क्या है हेलीकॉप्टर पेरेंटिंग

माता-पिता अपने बच्चों को अच्छी परवरिश देना चाहते हैं, ताकि उनका बच्चा समझदार बने। ऐसे में कुछ माता-पिता अपने बच्चों की जिंदगी में जरूरत से ज्यादा दखलंदाजी करते हैं। उनकी यह आदत हेलीकॉप्टर पेरेंटिंग के अंतर्गत आती है। यानी हेलीकॉप्टर पेरेंटिंग उसे कहते हैं जब माता-पिता अपने बच्चों की जिंदगी में दखलंदाजी करते हैं और हर समय अपने बच्चों के इर्द-गिर्द घूमते रहते हैं।

इतना ही नहीं, माता-पिता अपने बच्चों के लिए हर छोटी-बड़ी बात में फैसले लेते हैं और उनकी समस्याओं का समाधान भी खुद ही करते हैं। यानी माता-पिता अपने बच्चों को बाहरी दुनिया से बचाने की बहुत कोशिश करते हैं। ऐसा करना हेलीकॉप्टर पेरेंटिंग के अंतर्गत आता है।

बच्चों को बाहरी दुनिया से बचाना

अगर माता-पिता अपने बच्चों की गतिविधियों पर लगातार नज़र रखते हैं और मुसीबत में पड़ने पर खुद ही सारे उपाय खोज लेते हैं, अपने बच्चों को बाहरी दुनिया से बचाने की कोशिश करते हैं, बच्चों की भावनाओं को समझने में दिक्कत महसूस करते हैं, बच्चों को फैसले लेने का मौका नहीं देते हैं। इसका मतलब है कि बच्चे के माता-पिता हेलीकॉप्टर पेरेंटिंग की श्रेणी में आ रहे हैं। इससे बच्चे पर बुरा असर पड़ सकता है।

हेलीकॉप्टर पेरेंटिंग का बुरा असर पड़ सकता है

हेलीकॉप्टर पेरेंटिंग की वजह से बच्चों में आत्मविश्वास की कमी होती है और वे खुद अपने फैसले नहीं ले पाते हैं। इतना ही नहीं, अगर वे किसी मुसीबत में फंस जाते हैं, तो उस समस्या का समाधान नहीं कर पाते हैं। इसकी वजह से बच्चा ज़्यादा तनाव और दबाव में रहता है। इतना ही नहीं, बच्चों में सामाजिक कौशल भी विकसित नहीं हो पाते हैं। ऐसे में हर माता-पिता को बच्चों को आज़ादी देनी चाहिए और उन्हें अपने फैसले खुद लेने देना चाहिए। ऐसा करने से बच्चा बहुत कुछ सीखता है और आत्मविश्वास से भरपूर बनता है।