सार

भारतीय पुरुषों की सोच बदल रही है, लेकिन पत्नी के मामले में क्या बदलाव आया है? वो कामकाजी महिला चाहते हैं या घर संभालने वाली? जानिए उनकी असली चाहत।

Housewife Vs Working Woman:  वक्त के साथ भारतीय पुरुष की सोच कई मायनों में बदल रही है। लेकिन सवाल है कि क्या महिलाओं को लेकर भी उनके विचारधारा में परिवर्तन आया है। बात जब पत्नी की आती है तो क्या उनकी स्वतंत्रता, बाहर जाकर काम करने की मंजूरी उनके अंदर होती है? वो कैसी पत्नी की चाहत मन में लिए होते हैं, हाउस वाइफ या वर्किंग वुमन? जब भी पुरुषों से आदर्श पत्नी के बारे में पूछा जाता है तो उनका जवाब होता है मैं स्वंतत्र महिलाओं का सम्मान करता हूं, लेकिन उसके साथ एक नाजुक शर्त होती है, जब तक वह मेरी मां की तरह खाना बना सके, मेरी दादी की तरह सफाई कर सकें और जब भी मुझे ध्यान की ज़रूरत हो, वह घर पर हो। मतलब महिला वर्किंग तो हो, लेकिन साथ में वो एक हाउसवाइफ की भूमिका भी पूरी तरह निभा रही हो। अगर घर के रोल में जहां भी कमी आती है तो वो उनके स्वतंत्रता पर रोक लगा देते हैं।

हाउस वाइफ को भारतीय संस्कृति में किस तरह देखा जाता है?

हाउस वाइफ को भारतीय संस्कृति में ज्यादा सम्मान की नजर से देखा जाता है। एक खूबसूरत महिला जो साड़ी में लिपटी हो, एक हाथ से रोटियां पलटती हो तो दूसरे हाथ से अपनी सास के हर उम्मीदों पर खरा उतरने की कोशिश करती है। वो बिना शिकायत के घर का कामकाज दिन भर करती है। सदियों से "आदर्श भारतीय पत्नी" को अप्रत्यक्ष रूप से अनकहे श्रम का सीईओ माना गया है, जो खाना पकाने, सफाई करने और भावनात्मक श्रम का एक ओलंपिक स्तर का शेड्यूल संभालती है, और वह सब कुछ बिना कभी थके और बिना किसी शिकायत के करती है। साथ ही सांस्कृतिक रूप से आदर्श और आकर्षक बनी रहती है।

वर्किंग वुमन भारतीय समाज में क्या रोल निभाती हैं?

वर्किंग वुमन सम्मानित तो होती है लेकिन प्रॉयरिटी नहीं दी जाती है। क्योंकि वो स्वतंत्र होती है, महत्वकांक्षी होती है। भारतीय पुरुष कामकाजी महिलाओं के विचार को पसंद करते हैं, जैसे वह कूल है, आत्मविश्वासी है। वह बिलों का बांट सकती है। लेकिन उनके अंदर एक छुपी हुई ख्वाहिश होती है कि वो एक कामकाजी गृहिणी भी बने। क्योंकि पुरुष के परवरिश में ही होता है कि घर के बाहर काम करने का अधिकार सिर्फ उनका है। घर वो ही चलाते हैं। महिला अगर बाहर काम करती है तो वो अपने शौक के लिए करती है।

और पढ़ें:शादीशुदा पुरुष का परम कर्तव्य क्या होता है? जानें प्रेमानंद महाराज के विचार

क्या चाहते हैं भारतीय पुरुष?

आज के दौर में भारतीय पुरुष चाहते हैं कि उन्हें वर्किंग+ हाउसवाइफ दोनों मिलें। मतलब हो कमाती तो हो लेकिन फैमिली की गतिशीलता को न बदले। वो अपने सपनों को प्रॉयरिटी तो देती हो लेकिन कभी फैमिली की उपेक्षा उस सपने के अंदर ना हो। स्मार्ट हो लेकिन बहुत ज्यादा राय ना रखती हो। काम करती हो लेकिन फैमिली को तव्वजो भी देती हो। भारत की ज्यादा तर वर्किंग वुमन ऐसी ही दोहरी जिंदगी जी रही हैं। वो बाहर जाकर ऑफिस भी संभालती हैं और घर का भी बोझ उनपर ही होता है। जिसकी वजह से वो कई बार डिप्रेशन में भी चली जाती है। कुछ तो नौकरी ही छोड़ देती हैं।

इसे भी पढ़ें:5 Foods To Never Give Your Child: बच्चों को ओबेसिटी, डायबिटीज और हार्ट डिजीज से बचाना है? ये 5 फूड आज ही बंद करें!