सार
aniruddhacharya on marriage: शादी कब करनी चाहिए और शादी करने की उम्र क्या होनी चाहिए। इसे लेकर मन में हजारों सवाल होते हैं। कथावाचक अनिरुद्धाचार्य ने कहानी की जरिए बताया कि कब इंसान को शादी करनी चाहिए।
aniruddhacharya on right time for marriage: नए जनरेशन के मन में अक्सर ये सवाल होता है कि क्या शादी करनी चाहिए और करनी है तो कब? माता-पिता के दबाव में आकर हम शादी भी कर लेते हैं, लेकिन इस रिश्ते को निभाने में भी दिक्कत होती है। अनिरुद्धाचार्य जो एक कथावाचक है उन्होंने बताया कि शादी कब करनी चाहिए। इसके लिए उन्होंने एक कहानी का सहारा लिया, जिसे सुनकर आप भी आसानी से समझ जाएंगे कि कब आप शादी के लिए तैयार हैं।
अनिरुद्धाचार्य ने कहा,' एक बच्चा गुरु जी के पास पहुंचा और बोला..गुरु जी हम ब्याह कर लें क्या? तो गुरू जी बोले अच्छा बैठो और अपनी पत्नी का आवाज लगाई..अरी भाग्यवान जरा लालटेन जलाकर लाना। उस समय दिन के 12 बज रहे थे और पत्नी भी लालटेन जलाकर ले आई। उन्होंने वहां रखी और संत जी पढ़ने लगें। लड़का देख रहा था उसे लगा कि ये दोनों पति-पत्नी पागल तो नहीं हैं।
दूध में नमक डालकर लाई पत्नी
थोड़ी देर बाद संत जी ने कहा सुनो, जरा दो गिलास दूध लाना और उसमें शक्कर डाल देना। पत्नी ले कर आई, लेकिन शक्कर की जगह नमक घोलकर ले आईं। एक गिलास संत जी ने बच्चे को दूध दिया और दूसरा खुद ले लिया। जैसे ही लड़का खारा दूध पिया थू-थू करने लगा और संत जी ने दूध पूरा गटक लिया। ये देखकर लड़का कन्फॉर्म कर लिया कि ये दोनों ही पागल है। गुरुजी ने कहा कि बेटा देख जब मैंने लालटेन मांगी तो मेरी पत्नी बोल सकती थी क्यों जी अंधे हो क्या? दिखाई नहीं पड़ रहा है धूप है और आप लालटेन मांग रहे हैं। दूसरी बार जब मैंने कहा कि दूध में शक्कर डालकर लाना और उसने नमक दिया तो मैं भी बोल सकता था कि तू अंधी है क्या तूझे दिखता नहीं है कि ये शक्कर है या नमक।
सहनशीलता अंदर हो तो फिर करना शादी
लेकिन मेरी गलती को उसने सहन कर ली और उसकी गलती को मैंने। तो बेटा जब तेरे अंदर इतनी सहनशीलता आ जाए तो तब विवाह कर लेना। वाकई शादी को निभाने के लिए सहनशीलता जरूरी है। पति-पत्नी दोनों से गलतियां होती है, लेकिन एक दूसरे पर उंगली उठाने की बजाए, शांत रहकर बात करें। एक दूसरे के लिए प्यार और सम्मान रखें।