सार

बच्चों की परवरिश में अक्सर माता-पिता कुछ ऐसी बातें कह देते हैं जो बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर डालती हैं। खासकर जब घर में दो बच्चे हों, तो बड़े बच्चे के साथ व्यवहार करते समय अतिरिक्त सावधानी बरतनी चाहिए।

बच्चा पैदा करना ही नहीं उनकी परवरिश भी बहुत जरूरी है। बात अगर घर में दो बच्चे कि है, तो मां-बाप को उनके परवरिश में और ज्यादा ध्यान देना चाहिए। अक्सर दो बच्चे होने के बाद पैरेंट्स दोनों बच्चों की परवरिश में कुछ गलती करते हैं, जिससे बच्चों के मानसिकता पर बहुत बुरा असर पड़ता है। बड़े बच्चों की परवरिश करते समय यह ध्यान रखना बहुत जरूरी है कि आप उन्हें उनके छोटे भाई-बहनों के मुकाबले कमतर महसूस न कराएं। यहां 5 ऐसी बातें दी गई हैं जो भूलकर भी बड़े बच्चे से नहीं कहनी चाहिए।

 बड़े बच्चे से भूलकर भी न करें ये 5 बातें

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1. तुमसे छोटी होते हुए भी तुम्हारी बहन ज्यादा समझदार है।

  • यह तुलना बड़े बच्चे को न केवल अपने भाई-बहन के प्रति ईर्ष्या से भर देती है, बल्कि उनकी आत्मसम्मान को भी चोट पहुंचाती है।
  • हर बच्चा अलग होता है और उनके व्यक्तित्व को सम्मान दें। उनकी अपनी खूबियों की सराहना करें।

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2. अपने छोटे भाई/बहन को खुश रखना तुम्हारी जिम्मेदारी है।

  • इससे बड़े बच्चे को न केवल अतिरिक्त जिम्मेदारी का बोझ देता है बल्कि यह भी दर्शाता है कि उनकी भावनाओं को महत्व नहीं दिया जा रहा।
  • बच्चों को यह बताएं कि सभी की खुशियां साझा जिम्मेदारी हैं, और उनके खुद के सुख-दुख भी मायने रखते हैं।

3. तुम्हारी बहन अभी बहुत छोटी है, इसलिए उसे ज्यादा ध्यान चाहिए।

  • बड़े बच्चे को ऐसा महसूस होता है जैसे उनकी जरूरतें और भावनाएं कम महत्वपूर्ण हैं।
  • छोटे और बड़े दोनों बच्चों को समान रूप से प्यार और समय दें। बड़े बच्चे को महसूस कराएं कि वे भी उतने ही खास हैं।

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4. तुम हमेशा अपने छोटे भाई से झगड़ते रहते हो, तुम बड़े हो तो समझदारी से पेश आओ।

  • बड़े बच्चे को ऐसा लगता है कि उनसे हमेशा समझदारी और त्याग की अपेक्षा की जाती है।
  • झगड़े की स्थिति में दोनों पक्षों की बात सुनें। बड़े और छोटे दोनों बच्चों को समान रूप से सिखाएं कि समस्याओं को शांति से कैसे सुलझाया जाए।

5. तुम बड़े हो, अपने आप चीजें संभाल सकते हो, मुझे छोटे भाई पर ध्यान देना है।

  • यह बयान बड़े बच्चे को अकेलापन और उपेक्षित महसूस करा सकता है।
  • बड़े बच्चे से मदद मांगने या उन्हें जिम्मेदारी सिखाने के बजाय उनके साथ बातचीत करें। उन्हें समझाएं कि आप उनके लिए भी हमेशा उपलब्ध हैं।

बड़े बच्चे को अदृश्य महसूस न होने दें

छोटे बच्चों की जरूरतों और देखभाल के बीच बड़े बच्चे को नजरंदाज न करें। उन्हें यह एहसास दिलाएं कि वे भी परिवार का उतना ही महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। उनकी भावनाओं, जरूरतों और उपलब्धियों को समय दें और सराहें।

सकारात्मक माहौल बनाएं:

  • बच्चों की तुलना करने से बचें।
  • दोनों बच्चों के साथ व्यक्तिगत समय बिताएं।
  • उनकी भावनाओं को समझें और उन्हें सुरक्षित और प्रिय महसूस कराएं।
  • इस तरह, बड़े बच्चे में आत्मसम्मान और सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित होगा।