सार

अत्यधिक नियंत्रण, नकारात्मक लेबल, गलतियों पर अस्वीकृति, तुलना और अति-सुरक्षा बच्चों के आत्मविश्वास को कमजोर कर सकती है। बच्चों को स्वतंत्रता, सकारात्मक प्रोत्साहन और चुनौतियों का सामना करने के अवसर दें।

अक्सर पैरेंट्स को लगता है कि वो अपने बच्चों से सबसे ज्यादा प्यार करते हैं और वे प्यार करते हैं इसलिए वो बच्चे के लिए जो कुछ भी कहेंगे और करेंगे वह सही हैं। लेकिन आपको बता दें कि बच्चे का आत्मविश्वास और मानसिक विकास उसके परिवार के वातावरण और पालन-पोषण पर निर्भर करता है। पेरेंट्स की कुछ गलत आदतें और तरीके बच्चे की आत्म-छवि को प्रभावित कर सकते हैं, जिससे वह अपने आत्मविश्वास को खो सकता है। आइए जानते हैं कुछ ऐसी गलतियां, जो पेरेंट्स को बच्चे के आत्मविश्वास के लिए टालनी चाहिए।

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1. उनकी स्वतंत्रता को छीनना (Over-controlling behavior)

  • जब पेरेंट्स अपने बच्चों को अत्यधिक नियंत्रित करते हैं और उन्हें अपनी पसंद या निर्णय लेने की आजादी नहीं देते, तो इससे बच्चे का आत्मविश्वास कमजोर हो सकता है।
  • बच्चों को अपनी पसंद और फैसले करने का मौका मिलना चाहिए ताकि वे आत्मनिर्भर बन सकें। जब पेरेंट्स हर चीज में दखल देते हैं, तो बच्चे को लगता है कि वे अपनी क्षमताओं पर विश्वास नहीं कर सकते। बच्चों को आजादी दें, उनकी राय का सम्मान करें और उन्हें अपनी गलतियों से सीखने का मौका दें।

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2. नकारात्मक लेबल देना (Negative Labels like Lazy, Useless, etc.)

  • जब बच्चे को "आलसी", "अयोग्य", "मोटा", "जिद्दी" जैसे नकारात्मक शब्दों से संबोधित किया जाता है, तो यह उनके आत्म-सम्मान को चोट पहुंचाता है।
  • बच्चे इन शब्दों को अपनी पहचान मान सकते हैं और यह उन्हें अपने आप को कमतर महसूस करवा सकता है। इस तरह के लेबल से बच्चों का आत्मविश्वास टूट सकता है।
  • बच्चे के व्यवहार की आलोचना करें, न कि उनके व्यक्तित्व को। सकारात्मक और प्रोत्साहक भाषा का इस्तेमाल करें।

3. गलती करने पर उन्हें अस्वीकृत करना (Making them feel unworthy when they make mistakes)

  • जब बच्चे गलतियां करते हैं और पेरेंट्स उन्हें नकारात्मक तरीके से प्रतिक्रिया देते हैं या उनके साथ असंवेदनशील व्यवहार करते हैं, तो बच्चे को यह अहसास होता है कि वे लायक नहीं हैं।
  • बच्चों को यह समझाने की जरूरत है कि गलतियां होना स्वाभाविक है और यह सीखने का हिस्सा है। यदि उन्हें हर बार गलतियों पर नकारात्मक प्रतिक्रिया मिलती है, तो वे डर के मारे नये प्रयास नहीं करेंगे।
  • बच्चे की गलतियों को एक अवसर के रूप में देखें, जहाँ वे सीख सकते हैं। उन्हें यह समझाएं कि गलतियाँ सिखने का हिस्सा हैं और वे इसके बाद और बेहतर कर सकते हैं।

4. तुलना करना (Comparing them in the name of motivation)

  • बच्चे को दूसरे बच्चों से तुलना करना और यह कहना कि "तुम जैसे दूसरे बच्चों की तरह क्यों नहीं हो?" या "तुमसे अच्छा तो वो बच्चा है"।
  • तुलना बच्चे को यह महसूस कराती है कि वह किसी दूसरे से कमतर है, जिससे उसका आत्मविश्वास गिर सकता है। हर बच्चा अद्वितीय होता है और उसे अपनी पहचान बनाने का मौका मिलना चाहिए।
  • बच्चों को उनकी व्यक्तिगत क्षमताओं और उपलब्धियों के आधार पर प्रेरित करें, और उनकी व्यक्तिगत प्रगति को सराहें।

5. विफलताओं और चुनौतियों से उन्हें अत्यधिक सुरक्षा देना (Overprotecting from Failures and Challenges)

  • जब पेरेंट्स अपने बच्चों को किसी भी तरह की विफलता या चुनौती से बचाने की कोशिश करते हैं, तो यह उनके आत्मविश्वास को कमजोर कर सकता है।
  • विफलताएँ और चुनौतियाँ बच्चों को मजबूत बनाती हैं और जीवन के कठिन समय में उनका सामना करने की क्षमता विकसित करती हैं। यदि बच्चों को हमेशा सुरक्षा का अहसास होगा, तो वे अपनी सीमाओं को नहीं पहचानेंगे और न ही अपने डर का सामना करेंगे।
  • बच्चों को चुनौतियों का सामना करने का अवसर दें और उन्हें यह समझाएं कि विफलता कोई अंत नहीं है, बल्कि यह सफलता की ओर एक कदम है।

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