सार
बचपन में माता-पिता के शब्द बच्चों के मन और आत्मविश्वास पर गहरा प्रभाव डालते हैं। अगर आप अपने बच्चे को 5 साल तक दुलार और प्यार से रखते हैं, साथ ही उन्हें जरूरी चीजें भी सीखाते बताते हैं, तो वे जल्दी सीखते और बढ़ते हैं। बच्चा आपने मां-बाप और हर उस शख्स के बहुत करीब होता है, जो उससे प्यार और दुलार से बात करता है। ऐसे में आज हम आपको 3 ऐसे शब्द के बारे में बताएंगे, जो हर एक बच्चा अपने माता-पिता से सुनने के लिए तरसते रहता है। लेकिन अधिकतर माता-पिता इन 3 शब्द से अंजान हैं और अपने बच्चे की इस इच्छा को पूरा नहीं कर पाते हैं। चलिए जानते हैं इसके बारे में...
क्य है वो तीन शब्द जो हर पैरेंट्स को अपने बच्चे से कहना चाहिए?
1. "तुम पर्याप्त हो" क्यों है महत्वपूर्ण?
- हर बच्चा चाहता है कि उसके माता-पिता उसे वैसे ही स्वीकार करें जैसे वह है।
- इन शब्दों से बच्चे को यह एहसास होता है कि वह अपने माता-पिता के लिए खास और अनमोल है।
- ये शब्द बच्चेआत्मविश्वास और आत्म-सम्मान को बढ़ाते हैं, जिससे बच्चा भविष्य में चुनौतियों का सामना बेहतर तरीके से कर सकता है।
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2. बच्चे में "मैं पर्याप्त नहीं हूं" की भावना कहां से आती है?
- यह भावना अक्सर सामाजिक तुलना (social comparison) से उपजती है।
- जब हम अपने बच्चे की तुलना उसके भाई-बहन, दोस्तों या अन्य बच्चों से करते हैं, तो अनजाने में हम उसे यह संदेश देते हैं कि वह अधूरा है या उसकी कोई कमी है।
- यह तुलना बच्चे के मन में यह सोच विकसित करती है कि उसे हर समय "परफेक्ट" (perfect) होना चाहिए।
3. तुलना से कैसे बचें?
- अपने बच्चे को एक दुर्लभ और अनोखा हीरा समझें।
- यह समझें कि हर बच्चे में अलग-अलग गुण और प्रतिभाएं होती हैं।
- अपने बच्चे की खूबियों और क्षमताओं को पहचानें और उनकी सराहना करें।
4. बच्चों को परफेक्शन की दौड़ से दूर रखें
- बच्चों से यह उम्मीद न करें कि वे हमेशा "परफेक्ट" रहेंगे।
- उन्हें अपनी गलतियों से सीखने दें और यह यकीन दिलाएं कि गलतियां करना ठीक है।
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5. "तुम पर्याप्त हो" क्यों बदल सकता है जिंदगी?
- ये शब्द बच्चे को भावनात्मक सुरक्षा प्रदान करते हैं।
- बच्चा खुद को प्रेम और स्वीकार्यता से घिरा हुआ महसूस करता है।
- इससे वह अपनी अद्वितीयता को स्वीकारता है और आत्मविश्वास से भरा हुआ जीवन जीता है।