प्रोटीन से बनता है मकड़ी का जाला, जानें स्पाइडर सिल्क की पूरी कहानी?
Spider webs science of silk production: घर में मकड़ियां होना आम बात है। दो दिन घर खाली छोड़ दो, बस मकड़ी के जाल से भर जाता है। पर ये जाले कैसे बनते हैं? ये रेशम कहाँ से आता है? चलिए, जानते हैं कुछ रोचक बातें।
- FB
- TW
- Linkdin
)
मकड़ियों को स्पाइडर भी कहते हैं। इनके रेशम को स्पाइडर सिल्क कहते हैं, जिससे ये जाले बनाती हैं। ये जाले देखने में बहुत सुंदर लगते हैं। पर ये स्पाइडर सिल्क कैसे बनता है, कभी सोचा है? ये प्रोटीन से बनता है।
मकड़ी के पेट में खास ग्रंथियाँ होती हैं जो सिल्क बनाती हैं। हर मकड़ी में कई तरह की सिल्क ग्रंथियां होती हैं, जो अलग-अलग काम के लिए रेशम बनाती हैं। मकड़ी के शरीर में सिल्क प्रोटीन बनता है, जो तरल होता है। मकड़ी के पीछे स्पिनरेट नाम के छोटे छेद होते हैं, जिनसे ये तरल बाहर आता है।
ये सिल्क बाहर आते ही हवा लगने से सूखकर धागे जैसा बन जाता है। इसलिए मकड़ी के जाले मजबूत होते हैं। मकड़ियाँ ये सिल्क क्यों छोड़ती हैं? एक जगह से दूसरी जगह जाने के लिए, शिकार पकड़ने के लिए जाल बनाने के लिए। कुछ मकड़ियों का सिल्क स्टील से भी मजबूत होता है।
दूसरी मकड़ियों को आकर्षित करने के लिए भी मकड़ियाँ अलग तरह का सिल्क छोड़ती हैं। कुछ वैज्ञानिक इसे कुदरत का सबसे मजबूत नायलॉन कहते हैं। छोटे कीड़ों का शिकार करने के लिए भी इसका इस्तेमाल होता है। जाल में फँसे कीड़ों को ये खा जाती हैं।