Sudden death prevention spiritual tips: वृंदावन के संत प्रेमानंद महाराज ने अकाल मृत्यु और एक्सीडेंट से बचने के पांच अचूक उपाय बताए हैं। इन उपायों में चरणामृत सेवन, मंत्र जाप, नाम संकीर्तन, दंडवत और वृंदावन की रज का प्रयोग शामिल है।
Premanand Maharaj quotes on sudden death: अहमदाबाद में हुए प्लेन क्रैश में ढाई सौ से ज्यादा लोगों ने अपनी जान गवां दी। अकाल मृत्यु ने सभी को अपनी चपेट में ले लिया। ऐसे में जब वृंदावन के फेमस संत प्रेमानंद महाराज से अकाल मृत्यु और एक्सीडेंट से बचने के उपाय पूछे गए, तो उन्होंने बताया कि ऐसे पांच तरीके हैं जिससे अकाल मृत्यु और एक्सीडेंट से बचा जा सकता है या ऐसा कुछ होता भी है, तो आप सही सलामत उस घटना से बाहर आ जाते हैं। आइए आज हम आपको बताते हैं वह पांच चीजें, जिससे हर कदम पर भगवान आपके साथ रहेंगे और आपकी रक्षा करेंगे।
एक्सीडेंट और अकाल मृत्यु से बचने के उपाय (How to avoid accidents spiritually)
इंस्टाग्राम पर bhajanmarg_official नाम से बने पेज पर प्रेमानंद महाराज का एक वीडियो पोस्ट किया गया हैं। इस वीडियो में जब उनसे पूछा गया की एक्सीडेंट और अकाल मृत्यु से बचने के लिए और उसके डर को कम करने के लिए हमें क्या करना चाहिए? तो इसके लिए प्रेमानंद महाराज ने पांच बातें बताई, जिसका अगर नियम से पालन किया जाए तो अकाल मृत्यु और एक्सीडेंट से बचा जा सकता है।
रोज चरणामृत का सेवन करें
प्रेमानंद महाराज ने बताया कि अपने ठाकुर जी के चरणामृत का नियमित रूप से रोज सेवन करने से आपकी अकाल मृत्यु नहीं होगी और यह समस्त रोगों का नाश करता है।
11 बार करें इस मंत्र का जाप
प्रेमानंद महाराज ने बताया कि जब भी आप घर से बाहर निकले तो कम से कम 11 बार ॐ कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने प्रणतः क्लेशनाशाय गोविन्दाय नमो नमः मंत्र का जाप करें। इस मंत्र का जाप करने से कभी आपको अकाल मृत्यु का सामना नहीं करना पड़ता है। इस मंत्र का जाप करने से एक्सीडेंट नहीं होता, अगर होता भी है तो आप सकुशल उससे बाहर आ जाते हैं।
नाम संकीर्तन
प्रेमानंद महाराज ने कहा कि 24 घंटे में 20 से 30 मिनट का समय ऐसा निकालें, जब आप अपने ठाकुर जी के सामने बैठकर राधा नाम संकीर्तन या जो भी नाम आपको प्रिय हैं उस नाम का भजन करें।
11 दंडवत
अकाल मृत्यु और एक्सीडेंट से बचने के लिए अपने घर के ठाकुर जी के सामने 11 दंडवत नियम से रोज सुबह लगाएं। उन्होंने बताया कि कृष्ण को जो प्रणाम करता हैं, उसका पुनर्जन्म नहीं होता और उसे मुक्ति मिलती हैं।
वृंदावन की रज से करें ये काम
प्रेमानंद महाराज ने बताया कि अगर आप कभी वृंदावन आए, तो यहां की रज लेकर जाएं और इस रज (मिट्टी) को चुटकी भर अपने माथे पर रोज सुबह रखें। उन्होंने बताया कि ऐसा करने से आपका जीवन मंगलमय होगा। ऐसा करने से आपके मन में पॉजिटिव विचार आते हैं और अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता है।