How to identify original Kanjivaram saree: कांजीवरम साड़ी खरीदते समय लोग अक्सर रंग और कीमत पर ही ध्यान देते हैं। लेकिन, कुछ और भी जरूरी बातें हैं जिनका ध्यान रखना चाहिए ताकि अच्छी क्वालिटी की साड़ी मिल सके।

Tips to buy first Kanjivaram silk saree: कांजीवरम साड़ी सिर्फ एक कपड़ा नहीं, बल्कि एक परंपरा, कला और संस्कृति की पहचान है। हर महिला के वॉर्डरोब में एक कांजीवरम साड़ी जरूर होनी चाहिए, ऐसा बहुत से लोग मानते हैं। अपनी पहली कांजीवरम साड़ी खरीदना एक यादगार अनुभव होना चाहिए। लेकिन, इतनी चाहत से खरीदी जाने वाली साड़ी अच्छी क्वालिटी की हो, इसके लिए कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखना चाहिए।

असली रेशम की क्वालिटी

कांजीवरम साड़ी की सबसे खास बात होती है उसका रेशमी धागा। असली कांजीवरम साड़ी 100% शुद्ध शहतूत रेशम (Mulberry Silk) से बनी होती है।

कांजीवरम साड़ी में इस्तेमाल होने वाला शुद्ध रेशम बहुत मुलायम और प्राकृतिक चमक वाला होता है। असली कांजीवरम साड़ी से एक छोटा सा धागा निकालकर जलाने पर, बाल जलने जैसी गंध आती है और राख जैसा पाउडर बनता है। अगर ऐसा नहीं होता, तो इसका मतलब है कि रेशम की क्वालिटी अच्छी नहीं है।

कांजीवरम साड़ी खरीदते समय सिल्क मार्क (Silk Mark) लेबल वाली साड़ी खरीदना बेहतर होता है, जो भारतीय रेशम बोर्ड (Central Silk Board) द्वारा प्रमाणित होती है। यह असली शुद्ध रेशम होने की गारंटी देता है। यह एक महत्वपूर्ण पहचान चिह्न है।

जरी की क्वालिटी और प्रकार

कांजीवरम साड़ी की खूबसूरती का एक मुख्य कारण है ज़री (Zari)। यह सोने और चांदी के धागों से बुनी जाती है। ज़री की क्वालिटी जानना बहुत ज़रूरी है:

असली कांजीवरम साड़ी में असली ज़री का इस्तेमाल होता है। यह रेशम के धागे में लिपटे चांदी के तार पर सोने की परत चढ़ाकर बनाई जाती है। इसकी चमक हल्की होती है और समय के साथ इसका रंग नहीं बदलता।

असली ज़री से एक पतला धागा निकालकर नाखून से रगड़ने पर, यह नहीं टूटना चाहिए। अगर टूटता है, तो यह नकली ज़री हो सकती है। कुछ साड़ियों में नकली ज़री का इस्तेमाल होता है, जो पतले तांबे के तार पर सोने का रंग चढ़ाकर बनाई जाती है। यह सस्ती होती है और समय के साथ इसका रंग बदल जाता है। असली ज़री की तुलना में इसकी चमक ज़्यादा होती है।

कांजीवरम साड़ी के पीछे की तरफ डिजाइन के धागे साफ और बारीक होने चाहिए।

बुनाई का तरीका और डिजाइन

कांजीवरम साड़ी की बुनाई अनोखी होती है।

असली कांजीवरम साड़ी में बॉडी, पल्लू और बॉर्डर तीनों अलग-अलग बुने जाते हैं और फिर बारीकी से जोड़े जाते हैं। इसे साड़ी के अंदर के हिस्से को देखकर पहचाना जा सकता है। जोड़ने वाली जगह पर एक जिग-जैग लाइन जैसा डिजाइन होता है।

पारंपरिक कांजीवरम साड़ियों में मंदिर, मोर, हंस, हाथी, चक्र, रुद्राक्ष, फूल जैसे पारंपरिक आकृतियां और चित्र होते हैं। आजकल नए डिज़ाइन भी मिलते हैं, लेकिन अपनी पहली साड़ी के लिए पारंपरिक डिजाइन चुनना बेहतर होता है।

बॉर्डर साड़ी के बॉडी से मज़बूती से जुड़ा होना चाहिए। अगर बॉर्डर मजबूत नहीं होगा, तो साड़ी जल्दी खराब हो सकती है।

कांजीवरम साड़ियों के खास प्रकार

कांजीवरम साड़ियों के कई खास प्रकार और बुनाई के तरीके होते हैं, जिनमें से हर एक की अपनी अलग खूबसूरती और बारीक कारीगरी होती है:

कोरवई: यह कांजीवरम साड़ियों की सबसे खास विशेषताओं में से एक है। साड़ी का बॉडी, बॉर्डर और पल्लू अलग-अलग रंगों में बुने जाते हैं और फिर हाथ से बड़ी बारीकी से जोड़े जाते हैं। यह जोड़ बहुत मज़बूत और कलात्मक होता है। यही कांजीवरम साड़ी की एक खास पहचान है।

चांदी का रेशम या जरी का काम: बॉर्डर और पल्लू में सोने की जरी के साथ चांदी की जरी का भी इस्तेमाल होता है। यह साड़ी को एक अलग चमक और खूबसूरती देता है। कुछ साड़ियों में चांदी से बनी "टेस्टेड जरी" का इस्तेमाल होता है।

रुद्राक्ष बुट्टे: रुद्राक्ष की आकृतियां पूरी साड़ी में या बॉर्डर पर बुनी जाती हैं। यह पारंपरिक और शुभ डिज़ाइन माना जाता है।

हज़ार बुट्टे: इस तरह की साड़ियों में पूरी साड़ी पर छोटे, सुंदर बुट्टे (मोटिफ) हजारों की संख्या में बुने होते हैं। यह साड़ी को भव्य लुक देता है।

सुपारी का डिजाइन: यह बॉर्डर पर पाया जाने वाला एक अनोखा डिजाइन है। सुपारी के आकार में जरी का काम बुना होता है।

सुई का डिजाइन: बहुत पतला, धागे जैसा डिजाइन वाला बॉर्डर होता है। यह साड़ी को एक नाजुक लुक देता है।

चटाई का डिजाइन: चटाई जैसे डिजाइन वाले बॉर्डर इसमें पाए जाते हैं।

बिना बॉर्डर वाली कांजीवरम: हाल ही में लोकप्रिय हुई इस तरह की साड़ियों में, अलग से बॉर्डर नहीं होता, बल्कि साड़ी के बॉडी के रंग में या बहुत हल्के अलग रंग में बॉर्डर बुना होता है। यह एक मॉडर्न लुक देता है।

गोल्ड टिशू कांजीवरम: ये साड़ियां सोने के धागों का ज्यादा इस्तेमाल करके बुनी जाती हैं। ये बहुत चमकदार होती हैं और शादी जैसे खास मौकों के लिए उपयुक्त होती हैं।

रंग का चुनाव

रंग का चुनाव पूरी तरह से व्यक्तिगत पसंद है, लेकिन अपनी पहली कांजीवरम साड़ी के लिए कुछ सामान्य बातों का ध्यान रख सकते हैं:

  • अपनी त्वचा के रंग के अनुसार रंग चुनना साड़ी को और भी खूबसूरत बनाता है।
  • पुराने जमाने के क्लासिक कॉम्बिनेशन जैसे मैरून-गोल्ड, लाल-हरा, नीला-मैरून हमेशा फैशन में रहते हैं।
  • आप किस मौके के लिए साड़ी खरीद रहे हैं, उसके हिसाब से रंग चुन सकते हैं।

साड़ी का वजन

कांजीवरम साड़ियां आमतौर पर भारी होती हैं। लेकिन, बहुत ज्यादा भारी साड़ियां कभी-कभी नकली भी हो सकती हैं। वहीं, शुद्ध रेशम की साड़ी भी ज़्यादा वज़नदार हो सकती है। अपनी सुविधा के हिसाब से वज़न चुनना जरूरी है। साड़ी पहनकर देख लें कि आपको आरामदायक लग रही है या नहीं।

कीमत और विश्वसनीय दुकानें

कांजीवरम साड़ियों की कीमत उसके रेशम की क्वालिटी, जरी की मात्रा और क्वालिटी, बुनाई की बारीकी और डिज़ाइन पर निर्भर करती है। बहुत कम कीमत में मिलने वाली कांजीवरम साड़ियों पर शक करना चाहिए।

कांचीपुरम से सीधे या किसी जाने-माने, विश्वसनीय विक्रेता से खरीदना बेहतर होता है। वे आपको अच्छी क्वालिटी की साड़ी दे सकते हैं और सिल्क मार्क का सर्टिफिकेट भी दे सकते हैं। बड़े ब्रांडेड स्टोर या कई सालों के अनुभव वाली दुकानों से खरीदना सुरक्षित होता है।

साड़ी को रखने के तरीके

कांजीवरम साड़ी खरीदने के बाद, उसके लंबे समय तक चलने के लिए सही देखभाल जरूरी है:

  • कांजीवरम साड़ियों को हमेशा ड्राई क्लीन ही करवाना चाहिए।
  • साड़ी को अच्छी तरह सुखाकर, नमी से दूर रखें। 
  • सिल्क मार्क साड़ियों के साथ एक सिल्क मार्क कार्ड मिलता है, जिसमें देखभाल के बारे में जानकारी होती है। उसका पालन करना जरूरी है।