छाछ (Buttermilk) को हम अक्सर पीने या पकौड़े-बेसन में मिलाने के अलावा पौधों में भी इस्तेमाल कर सकते हैं। इसमें मौजूद प्रोबायोटिक्स, लैक्टिक एसिड और मिनरल्स मिट्टी को पोषण देते हैं, कीटों को दूर रखते हैं और पौधों की जड़ों को मजबूत बनाते हैं। छाछ एक सस्ता, प्राकृतिक और पर्यावरण फ्रेंडली फर्टिलाइजर ऑप्शन है जो गार्डनिंग को आसान और पौधों को हेल्दी बनाता है। गर्मियों के दौरान विशेष रूप से अम्लीय मिट्टी और सूखापन की समस्या को दूर करने के लिए यह उपाय जरूरी है। आइए विस्तार से जानें:

पौधे में छाछ डालने के 5 बड़े लाभ

मिट्टी के एसिड को बैलेंस करती है

  • छाछ में हल्का लैक्टिक एसिड होता है जो मिट्टी की pH को संतुलित करता है, खासकर क्षारीय मिट्टियों में।
  • इससे पौधे पोषक तत्वों को अच्छी तरह से अवशोषित कर पाते हैं।

मिट्टी में सूक्ष्मजीव बढ़ाए

  • छाछ में मौजूद प्रोबायोटिक्स (लैक्टिक एसिड बैक्टीरिया) मिट्टी के लाभदायक सूक्ष्मजीवों को बढ़ावा देते हैं।
  • यह जैविक खाद की तरह काम कर मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाता है।

कीट और रोगों से रक्षा

  • छाछ में ब्लेमिश और फंगल स्पोरों को नियंत्रित करने वाले गुण हैं।
  • डेहरीकरण (मोल्ड), पाउडर मिल्ड्यू जैसी समस्याएं कम होती हैं।

न्यूट्रिएंट्स की आपूर्ति

  • इसमें कैल्शियम, विटामिन B12, और प्रोटीन मौजूद होते हैं, जो पौधों की वृद्धि और फूल-फल की क्वालिटी बेहतर बनाते हैं।

जड़ों को मजबूत और स्वस्थ बनाए

  • छाछ मिट्टी में घुलकर जड़ों के चारों ओर का वातावरण नरम करता है, जिससे रूट सिस्टम मजबूत बनता है और पौधा बेहतर ग्रो होता है।

पौधे में छाछ कब और कैसे डालें (Best Practices)

मिश्रण बनाएं

  • 1 भाग छाछ + 5 भाग साफ पानी मिलाएं।
  • (उदाहरण: 200 ml छाछ + 1 लीटर पानी)

पानी के साथ रूट ज़ोन में दें

  • सुबह या शाम के समय जगहो पर जहां से रूट फैले हों, वहाँ धीरे-धीरे डालें।
  • सीधे पत्तियों पर स्प्रे करने से बचें।

किसान पौधे पर महीने में 1–2 बार करें

  • अत्यधिक उपयोग नकाजुक पौधों में एसिड बढ़ा सकता है।

खेतों या बाग में ड्रिप इरिगेशन में मिलाकर दें

  • Organic Farming या Kitchen Garden में पानी में छाछ मिलाकर पूरी रोपाई को लाभ दें।

पौधे में छाछ कब और कैसे न डालें (When to Avoid)

बहुत नाजुक या सपाट पत्तों वाले पौधे

जैसे फर्न, ऑर्किड – इनकी जड़ों और पत्तों को अम्लता नुकसान पहुंचा सकती है।

बिजली या ठंडे मौसम में

सर्दियों में या बहुत कम तापमान पर मिट्टी नम रहती है, छाछ डालने से फंगल इंफेक्शन बढ़ सकता है।

बहुत गीली मिट्टी में

अगर मिट्टी पहले से गीली है तो छाछ से रूट रॉट का खतरा होता है।

पौधों पर सीधा स्प्रे करना

इससे पत्तों पर दाने या जलन पैदा हो सकती है।