Potli Therapy For Varicose Veins: इन दिनों सोशल मीडिया में पोटली थेरेपी काफी वायरल हो रही है, ऐसे में अगर आपको वैरिकाज वेन्स की दिक्कत है, तो ये आपके दर्द और सूजन को ठीक कर सकती है, चलिए इसके बारे में इस लेख में विस्तार से जानते हैं।
Ayurvedic Potli Therapy: अगर आपकी टांगों में सूजन, भारीपन या जलन महसूस होती है, तो यह वैरिकाज वेन्स (Varicose Veins) के लक्षण हो सकते हैं। आज के समय में यह समस्या बहुत आम हो गई है, खासकर उन लोगों में जो लंबे समय तक खड़े रहकर काम करते हैं या जिनकी लाइफस्टाइल में मूवमेंट या चलना फिरना कम है। अक्सर लोग इस परेशानी के लिए महंगे इलाज, थेरेपी या दवाइयों का सहारा लेते हैं, जबकि आयुर्वेद में इसका एक सरल और प्रभावी उपाय है, जिसे पोटली थेरपी (Potli Therapy)कहा जाता है।
क्या है पोटली थेरेपी?
पोटली थेरेपी एक पारंपरिक आयुर्वेदिक थेरेपी है, जिसमें बहुत सारी औषधीय जड़ी-बूटियों और मसालों को कपड़े में बांधकर एक पोटली बनाई जाती है। इस पोटली को हल्का गर्म करके शरीर के दर्द और सूजन वाले हिस्से पर दबाव के साथ सेका जाता है। गर्माहट और औषधीय गुणों की ये सेकाई ब्लड सर्कुलेशन को बढ़ाता है, सूजन को कम करता है और मांसपेशियों को आराम देता है, जिससे दर्द कम होता है।
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वैरिकाज वेन्स में कैसे फायदेमंद है पोटली थेरपी?
वैरिकाज वेन्स में नसें सूज जाती हैं और उनमें ब्लड सर्कुलेशन धीमा हो जाता है। पोटली थेरेपी इस स्थिति को नेचुरल तरीके से सुधारने में मदद करती है। जब अजवाइन, मेथी, सौंफ, जीरा, अर्जुन छाल, अश्वगंधा, नीम और नर्गुंडी जैसी औषधीय सामग्रियों से बनी पोटली को हल्का गर्म करके पैरों पर रखा जाता है, तो यह नसों में जमा ब्लॉकेज को कम करने, सूजन घटाने और दर्द से राहत देने में मददगार होती है।
पोटली की गर्माहट ब्लड फ्लो को बेहतर बनाती है, जिससे नसों में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ती है और भारीपन व थकान कम होती है। साथ ही, नीम और अर्जुन छाल के एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण त्वचा की जलन और खुजली जैसी समस्याओं को कम करते हैं।
पोटली थेरेपी के लिए सामग्री

- अजवाइन
- मेथी
- सौंफ
- जीरा
- अर्जुन छाल
- अश्वगंधा
- नीम
- नर्गुंडी
घर पर पोटली थेरेपी कैसे करें?
इस थेरेपी को घर पर करना बहुत आसान है। सभी औषधीय सामग्रियों को एक सूती कपड़े में बांधकर पोटली बना लें। अब इसे तवा पर हल्के गर्म तेल या ड्राई हीट से गरम करें और प्रभावित जगह पर 10–15 मिनट तक धीरे-धीरे दबाव देते हुए सेकें। ध्यान रखें कि पोटली बहुत ज्यादा गर्म न हो ताकि त्वचा को नुकसान न पहुंचे।
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हर दिन एक बार औषधियों से पोटली बनाकर दर्द और सूजन वाले जगह की सेकाई करें, जिससे पैरों की सूजन, भारीपन और दर्द में राहत मिल सके।
नियमित पोटली थेरेपी करने के फायदे
लगातार कुछ दिनों तक पोटली थेरेपी करने से नसों में ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है, सूजन और जलन में राहत मिलती है और थकी हुई मांसपेशियों को आराम मिलता है। यह थेरेपी न केवल दर्द से राहत देती है, बल्कि पैरों की सुंदरता को भी बनाए रखती है।
