सार

गर्भपात (Miscarriage) को लेकर कई गलत धारणाएं प्रचलित हैं। जानिए मिसकैरेज के कारण, इससे जुड़ी सच्चाई और प्रेगनेंसी के दौरान किन सावधानियों से जोखिम को कम किया जा सकता है।

Miscarriage Myths and facts: मिसकैरेज या गर्भपात प्रेगनेंसी की शुरुआत में होने का सबसे ज्यादा खतरा रहता है। मिसकैरिज महिला को आत्मिक और शारीरिक रूप से कमजोर कर देता है। गर्भपात के बारे में लोगों के मन में कई मिथक हैं जिन्हें समझना बेहद जरूरी है। आईए जानते हैं कि गर्भपात से जुड़ी आम गलत धारणाएं क्या है?

मिथक- सभी मिसकैरेज को रोका जा सकता है।

फैक्ट: लोगों के मन में यह आम गलत धारणा होती है कि मिसकैरेज को रोका जा सकता है। करीब 50 प्रतिशत मामलों में गुणसूत्र की असमानता के कारण मिसकैरेज होता है। इस तरह के मिसकैरेज को डॉक्टर भी नहीं रोक सकते हैं। वहीं कुछ मामलों में मिसकैरेज के जोखिम को डॉक्टर कम कर सकते हैं।

मिथक- प्रेगनेंसी के दौरान एक्सरसाइज करने से मिसकैरेज हो सकता है।

फैक्ट: प्रेगनेंसी के दौरान हल्की-फुल्की एक्सरसाइज न सिर्फ मां को बल्कि होने वाले बच्चों को भी लाभ पहुंचाती है। अगर डॉक्टर से जानकारी लेने के बाद एक्सरसाइज की जाए तो मिसकैरेज का खतरा नहीं रहता। किसी तरह के कॉम्प्लिकेशन हैं तो हाई इंटेंसिटी एक्सरसाइज करने से बचें और डॉक्टर से भी परामर्श लेना चाहिए।

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मिथक- तनाव लेने से गर्भपात होता है। 

गर्भवती महिलाओं के लिए तनाव या स्ट्रेस हानिकारक तो होता है लेकिन ये सीधे तौर पर गर्भपात का कारण नहीं बनता। क्रॉनिक स्ट्रेस या हार्मोन डिसबैलेंस होने के कारण या फिर हाई ब्लड प्रेशर होने वाले बच्चों को नुकसान पहुंचा सकता है। हल्का तनाव होने पर आप माइंडफूलनेस,  ब्रीदिंग एक्सरसाइ करके खुद को रिलैक्स कर सकते हैं। 

मिथक- बीमारी में मिसकैरिज का खतरा होता है।

फैक्ट: अगर आपको डायबिटीज, थाइरॉएड, हाई ब्लड प्रेशर आदि समस्याएं हैं तो प्रेगनेंसी से पहले जांच जरुर कर लें। साथ ही डॉक्टर द्वारा बताए गई दवाओं का समय पर सेवन करें। कुछ बातों का ध्यान रखकर गर्भपात होने से रोका जा सकता है लेकिन सभी गर्भपात को रोकना संभव नहीं है।

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