सार
अगर बच्चों को देखने या सुनने में कोई समस्या है, तो यह इस तरह की समस्याओं को और भी गंभीर बना सकता है। इसलिए, अगर बच्चों में इस तरह की समस्याएं दिखाई देती हैं, तो उनकी आंखों और कानों की जांच करवानी चाहिए।
हेल्थ डेस्क: क्या बच्चे अक्षरों, शब्दों और संख्याओं को उल्टा लिखते या पढ़ते हैं? अगर ऐसा है, तो इसके पीछे कुछ कारण जानते हैं। मनोवैज्ञानिक और परिवार परामर्शदाता जयेश के. जी. का लेख..
लगभग सभी बच्चों में अक्षरों, शब्दों और संख्याओं को उल्टा लिखना एक आम समस्या है। शुरुआत में माता-पिता को यह एक मज़ेदार बात लग सकती है, लेकिन जैसे-जैसे बच्चे बड़े होते हैं, यह एक गंभीर समस्या बन सकती है जो उनके भविष्य को प्रभावित कर सकती है। इसे बच्चों की शरारत या खेल नहीं समझना चाहिए। माता-पिता को उन्हें यह समझाना चाहिए कि वे जो लिख रहे हैं वह गलत है और उन्हें इसे सही तरीके से लिखना सिखाना चाहिए।
कुछ बच्चे b लिखने के लिए d लिखते हैं, p लिखने के लिए q लिखते हैं, J, L, C जैसे अक्षरों को उल्टा लिखते हैं, 6 के बजाय 9 लिखते हैं और 3 को उल्टा लिखते हैं। अगर बच्चे लगातार किसी भी अक्षर या संख्या को उल्टा लिखते हैं, तो इस पर ध्यान देना चाहिए और जांच करवानी चाहिए।
हमारे देश में 4% से 12% बच्चों में इस तरह की समस्याएं देखी जाती हैं। कई बार माता-पिता को इसके बारे में पूरी जानकारी नहीं होती है। छह साल की उम्र तक बच्चे के दिमाग (याददाश्त) में अक्षर, शब्द, वाक्य और संख्याएँ ठीक से बैठ जाती हैं।
अगर छह साल की उम्र के बाद भी बच्चे को ये चीजें याद नहीं रहती हैं, तो इसे एक समस्या माना जाना चाहिए और जल्द से जल्द मनोवैज्ञानिक से मिलकर इलाज करवाना चाहिए। आमतौर पर बच्चों में मिरर राइटिंग (Mirror Writing) के छह कारण होते हैं।
1. सीखने की अक्षमता (Learning Disability)
यह शब्द ज्यादातर माता-पिता और शिक्षकों के लिए जाना-पहचाना है। सीखने की अक्षमता बच्चों के लिखने, पढ़ने और गणित, इन तीनों क्षेत्रों को प्रभावित करती है। इसके लक्षण छह साल की उम्र के बाद दिखाई देने लगते हैं। दस साल की उम्र तक इसकी पूरी तरह से पहचान हो जाती है। मिरर राइटिंग को सीखने की अक्षमता का पहला लक्षण माना जा सकता है।
2. ध्यान अभाव अतिसक्रियता विकार (ADHD)
जो बच्चे एक जगह नहीं बैठ पाते, उनका ध्यान पढ़ाई में कम होता है। अगर इसके साथ ही ध्यान की कमी भी हो, तो यह बच्चों के लिखने की क्षमता को बहुत प्रभावित करता है। इसके परिणामस्वरूप बच्चे अक्षरों को उल्टा लिखने लगते हैं।
3. दाएँ-बाएँ का भ्रम (Left-Right Confusion)
छोटी उम्र में सभी बच्चों में यह भ्रम होना आम बात है। बायाँ हाथ कौन सा है पूछने पर दायाँ हाथ उठाना और दायाँ हाथ कौन सा है पूछने पर बायाँ हाथ उठाना। आमतौर पर बच्चे खुद ही इसे सुधार लेते हैं। लेकिन अगर वे ऐसा नहीं कर पाते हैं और भ्रम बना रहता है, तो ऐसे बच्चे B, D, J जैसे अक्षर लिखते समय भ्रमित हो जाते हैं कि उन्हें दाएँ या बाएँ घुमाना है।
4. देखने और सुनने में समस्याएं (Visual and Hearing Problems)
अगर बच्चों को देखने या सुनने में कोई समस्या है, तो यह इस तरह की समस्याओं को और भी गंभीर बना सकता है। इसलिए, अगर बच्चों में इस तरह की समस्याएं दिखाई देती हैं, तो उनकी आंखों और कानों की जांच करवानी चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि कोई समस्या न हो।
मुंहासों के दाग हटाने के लिए आज़माएं केसर के जादुई फॉर्मूले
5. गर्भावस्था के दौरान या बाद की समस्याएं (Pre and Post Pregnancy Issues)
गर्भावस्था के दौरान माँ को होने वाली समस्याएं बच्चे को प्रभावित कर सकती हैं। समय से पहले जन्म, कम वजन वाले बच्चे, गर्भावस्था के दौरान शुगर, ब्लड प्रेशर, थायराइड, रक्तस्राव, मानसिक तनाव, दुर्घटनाएँ या जन्म के बाद बच्चे को दौरे पड़ना, याददाश्त की कमी, ऑक्सीजन की कमी जैसी समस्याओं का सामना करने वाले बच्चों में भी यह समस्या देखी जाती है।
6. बौद्धिक अक्षमता (Intellectual Disability)
बच्चों की बौद्धिक क्षमता में कमी उनके सीखने और व्यवहार को प्रभावित कर सकती है। इसका पहला लक्षण लिखने में इस तरह की विसंगतियाँ हैं। इसके अलावा, अगर बच्चे के विकास में किसी भी उम्र में कोई असामान्यता होती है, तो यह उनके भविष्य के सीखने को प्रभावित कर सकता है।
अगर आपका बच्चा इन छह स्थितियों में से किसी से गुजर रहा है, तो निश्चित रूप से उसे मिरर राइटिंग की समस्या होगी। इसलिए, शुरुआत में ही मनोवैज्ञानिक से सलाह लेनी चाहिए और उनके द्वारा बताई गई तकनीकों का अभ्यास करवाकर बच्चों की इस आदत को सुधारना चाहिए। मस्कुलर तकनीक, सैंडपेपर तकनीक जैसी विभिन्न तकनीकों का सही तरीके से अभ्यास करवाने से बच्चों की समस्याओं को आसानी से हल किया जा सकता है।
और पढ़ें: मोटापा नहीं हो सकता है इंफ्लेमेशन? ट्राई करें 7 Anti Inflammatory फूड