Menopause health and wellness: मेनोपॉज के दौर में भी अगर आप फिट और कॉन्फिडेंट दिखना चाहती हैं तो यास्मिन कराचीवाला के 4 हेल्थ सीक्रेट्स जरूर जानें।
जब कोई महिला 40-50 साल की उम्र के आसपास पहुंचती है, तो फिजिकली और साइकोलॉजिकल दोनों ही बदलाव सामने आते हैं। इस दौरान हर लेडी मेनोपॉज(Menopause) के दौर से गुजरती है। इस बारे में दीपिका पादुकोण की फिटनेस ट्रेनर यासमिन कराचीवाला(Yasmin Karachiwala)ने खुलकर बात करते हुए बताया कि मेनोपॉज को क्राइसिस की तरह नहीं बल्कि एक नए लाइफ चेंजेस की तरह देखा जाना जाना चाहिए। यहां डिटेल में जानें मेनोपॉज क्या है, इसके लक्षण क्या हैं और फिटनेस को ध्यान में रखकर इसे कैसे मैनेज करें।
सेल्फ-केयर फूड ऐड करें
यास्मिन बताती हैं कि उन्होंने सिर्फ खाना खा लिया और बस पेट भरा जैसी आदत छोड़ी और इसके बदले होल फूड न्यूट्रीशनल रिच फूड (whole foods, nutrient-rich foods) चुनना शुरू किया। इसमें साबुत अनाज, फल-सब्जियां, अच्छे प्रोटीन और हेल्दी फैट्स शामिल करें। इस तरह का पोषण एनर्जी लेवल को स्टेबल रखता है और मूड स्विंग्स को कम करने में मदद कर सकता है। आपको फूड में हर रंग-बिरंगे फल-सब्जियां शामिल करना है। साथ ही प्रोसेस्ड शुगर-हीवी फूड्स को कम करें। हेल्दी फैट जैसे- अलसी, चिया, अखरोट को डेली रूटीन में लाएं। अगर विटामिन-D, कैल्शियम या आयरन में कमी हो रही हो तो डॉक्टर से काउंसलिंग लें।
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नए वेलनेस टूल पर करें पूरी रिसर्च
यास्मिन ने बताया कि उन्होंने रेड-लाइट थेरेपी जैसे नए-उभरते टूल्स को अपनी दिनचर्या में शामिल किया, ताकि स्किन, मूड और रिकवरी में हेल्प मिल सके। उन्होंने यह भी बताया कि केवल सही न्यूट्रीशन और सही एक्टिविटी के साथ ही काम करते हैं। उन्हें किसी चमत्कार की तरह नहीं देखा जाना चाहिए। ध्यान रखें किसी भी नए वेलनेस टूल को अपनाने से पहले रिसर्च देखें या एक्सपर्ट से सलाह लें। लेजर और लाइट-टैथेरापी के बेनिफिट्स व जोखिम समझें। ये टूल्स मेनोपॉज में आने वाले बदलाव जैसे स्किन, मूड और स्लीप को सपोर्ट करने में हेल्प कर सकते हैं।
ओवर-ट्रेनिंग छोड़ें और बॉडी की आवाज सुनें
मेनोपॉज के दौरान यास्मिन का यह अनुभव रहा है कि वे पहले की तरह भारी ट्रेनिंग नहीं कर पा रही थीं उन्होंने सीखा कि बॉडी की आवाज सुनना बहुत अहम है। उनकी सलाह थी कि जब शरीर थका-थका लगे, तो स्ट्रेंथ ट्रेनिंग के बजाय योग, पिलाटेस या हल्की स्ट्रेचिंग करें। इंटेंसिटी को बॉडी क्षमता के अनुसार मॉडिफाई करें। अगर रात में नींद कम आ रही हो या मसल्स जल्दी थक रही हों ट्रेनिंग पीस करके रिकवरी डे रखें। एक्सरसाइज प्लान में कम लेकिन सही क्सरसाइज वाला प्लान अपनाएं। रेगुलर मेहनत करना अच्छा है, पर बॉडी-सिग्नल्स को अनसुना नहीं करना चाहिए।
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रिकवरी भी एक्सरसाइज जितनी जरूरी
यास्मिन ने एक्सेप्ट किया है कि एक समय था जब उन्होंने रिकवरी को हल्के में लिया था लेकिन मेनोपॉज में उन्होंने महसूस किया कि रिकवरी ही उतनी ही शक्तिशाली है जितनी ट्रेनिंग। वो कहती हैं कि सही नींद, हाइड्रेशन, स्ट्रेचिंग ने उनकी फिटनेस के साथ-साथ मानसिक हेल्थ को भी बेहतर किया। रोजाना 7-9 घंटे की अच्छी नींद लें, नींद की क्वालिटी पर ध्यान दें। एक्सरसाइज के बाद स्ट्रेचिंग करें, मसल रिलैक्सेशन तकनीक अपनाएं। पर्याप्त पानी पिएं और इलेक्ट्रोलाइट्स संतुलित रखें खासकर यदि पसीना ज्यादा निकल रहा हो।
