सार
ज्यादा खुशी, ज्यादा गम, दोनों खतरनाक। अगर एक ही इंसान में बार-बार ये दोनों लक्षण दिखें, तो? कितना खतरा है? लक्षण क्या हैं? जानकारी यहाँ है।
Bipolar Disorder: सिर्फ शारीरिक बीमारी ही बीमारी नहीं होती। हमें पूरी तरह से कंट्रोल करने वाला हमारा दिमाग है, वो मजबूत और स्वस्थ होना चाहिए। अगर दिमाग खराब हुआ तो कई मानसिक बीमारियाँ (Mental illness) हमें घेर लेती हैं। लेकिन कई लोग मानसिक बीमारी को बीमारी ही नहीं मानते। उसका सही इलाज नहीं करवाते। इन सब वजहों से समस्या बढ़ जाती है। अब दिल्ली के एम्स ने बाइपोलर डिसऑर्डर (Bipolar disorder) के बारे में लोगों को जागरूक करने की कोशिश की है। डॉ. ममता ने लोगों से मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने की अपील की है।
बाइपोलर डिसऑर्डर क्या है? : बाइपोलर डिसऑर्डर एक मानसिक बीमारी है। इसमें मूड और भावनाओं में बदलाव आते हैं। इसमें उन्माद और अवसाद दोनों देखे जा सकते हैं। एक समय में आप बहुत खुश और उत्साहित रहते हैं, तो दूसरे समय चिड़चिड़े और उदास।
उन्माद और अवसाद में क्या अंतर है? : उन्माद के लक्षणों के बारे में एम्स के डॉक्टरों ने जानकारी दी है। डींगें हांकना, फिजूलखर्ची करना, बेतुके प्लान बनाना, कम नींद लेना उन्माद के लक्षण हैं। सामान्य से ज्यादा एक्टिव, एनर्जेटिक या उत्साहित रहना। जरूरत से ज्यादा आत्मविश्वास होना, तेजी से बोलना, बिना सोचे-समझे जल्दबाजी में फैसले लेना, आसानी से ध्यान भटकना। गलत फैसले लेना इसके लक्षण हैं।
लेकिन अवसाद इसके बिल्कुल उलट है। अवसाद में डूबा व्यक्ति दुखी और थका हुआ महसूस करता है। भूख कम लगती है। आत्मविश्वास की कमी हो जाती है। कुछ लोग आत्महत्या के बारे में भी सोचते हैं। अवसादग्रस्त बच्चे और किशोर चिड़चिड़े और गुस्सैल हो जाते हैं। एक्टिविटीज में रुचि खो देते हैं। खाने-पीने में भी बदलाव आ जाता है। कुछ लोग ज्यादा खाते हैं तो कुछ कम। अगर बच्चे अपेक्षा के मुताबिक वजन नहीं बढ़ा रहे हैं, तो यह अवसाद का संकेत हो सकता है। बेचैनी, सुस्त व्यवहार, खुद को बेकार समझना, जरूरत से ज्यादा अपराधबोध इसके लक्षण हैं।
बाइपोलर डिसऑर्डर का इलाज क्या है? : एक्सपर्ट्स के मुताबिक, अभी करीब दो प्रतिशत लोग बाइपोलर डिसऑर्डर से जूझ रहे हैं। इसका सही इलाज और दवा उपलब्ध है। लेकिन समय पर दवा लेना जरूरी है। रात को 8 घंटे की नींद पूरी करनी चाहिए। किसी भी तरह का नशा नहीं करना चाहिए। एम्स के डॉक्टरों ने कहा है कि सिर्फ शारीरिक स्वास्थ्य ही नहीं, मानसिक स्वास्थ्य पर भी ध्यान देना जरूरी है।
बाइपोलर डिसऑर्डर किसी भी उम्र में शुरू हो सकता है। लेकिन यह आमतौर पर किशोरावस्था में ज्यादा होता है। लक्षण हर व्यक्ति में अलग-अलग हो सकते हैं और समय के साथ बदल भी सकते हैं। आपको ऊपर बताए गए दोनों लक्षण एक ही दिन में नहीं दिखेंगे। आप समय-समय पर अपने मूड में बदलाव देख सकते हैं। अगर आपको लगता है कि आपका दिमाग पूरी तरह से खराब हो गया है या आपके किसी करीबी में ये लक्षण दिख रहे हैं, और वो आत्महत्या के बारे में सोच रहा है, तो उसे तुरंत डॉक्टर के पास ले जाएं।