सार

10 जनवरी, शुक्रवार को साल का पहला चंद्रग्रहण होगा। इस ग्रहण में चंद्रमा घटता-बढ़ता नहीं दिखाई देगा, सिर्फ चंद्रमा के आगे धूल की एक परत-सी छा जाएगी।

उज्जैन. ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार, इस प्रकार के ग्रहण को मांद्य ग्रहण कहते हैं। इसके पहले 11 फरवरी 2017 को भी ऐसा ही चंद्रग्रहण हुआ था।

ग्रहण को लेकर अलग-अलग मत
ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार साल 2020 में चंद्रग्रहण को लेकर कई पंचांग भेद हैं। कुछ पंचांगों के अनुसार तो इस साल चंद्रग्रहण होंगे ही नहीं, जबकि कुछ पंचांग में साल भर में 4 चंद्रग्रहण होंगे। निर्णय सागर पंचांग के अनुसार, 10 जनवरी को लगने वाला ग्रहण भारतीय समयानुसार रात में 10.38 बजे से शुरू होगा। इसका मध्य 12.40 बजे होगा, इसका मोक्ष रात 2.42 बजे पर होगा। ये ग्रहण करीब 4 घंटे 50 मिनट का रहेगा।

कहां-कहां दिखेगा ये चंद्र ग्रहण?
ये ग्रहण कनाडा, यूएस, ब्राजील, अर्जेंटीना, अंटार्कटिका में नहीं दिखेगा। भारत में ये चंद्रग्रहण दिखेगा, लेकिन मांद्य ग्रहण होने की वजह से इसका सूतक नहीं रहेगा। हिंद महासागर (इंडियन ओशिन) में ग्रहण दिखाई देगा। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार ये ग्रहण 10 जनवरी की रात में शुरू होगा।

मांद्य चंद्र ग्रहण किसे कहते हैं?
ये मांद्य चंद्र ग्रहण है। मांद्य का अर्थ है न्यूनतम यानी मंद होने की क्रिया। इसलिए इस चंद्र ग्रहण को लेकर सूतक नहीं रहेगा। इसका किसी भी तरह का धार्मिक असर नहीं होगा। इस ग्रहण में चंद्र की हल्की सी कांति मलीन हो जाएगी। लेकिन, चंद्रमा का कोई भी भाग ग्रहण ग्रस्त होता दिखाई नहीं देगा। एशिया के कुछ देशों, यूएस आदि में ये ग्रहण देखा जा सकेगा। इस ग्रहण में चंद्रमा का करीब 90 प्रतिशत भाग धूसर छाया में आ जाएगा। धूसर छाया यानी मटमैली छाया जैसा, हल्की सी धूल-धूल वाली छाया। इस प्रभाव को भी बहुत कम ही लोग समझ पाएंगे। ये ग्रहण विशेष उपकरणों से आसानी से समझा जा सकेगा।

नहीं लगेगा सूतक, ना होगा कोई असर
इस चंद्र ग्रहण को लेकर किसी तरह से भयभीत होने की आवश्यकता नहीं है। मांद्य चंद्र ग्रहण के कारण इसमें सूतक काल लागू नहीं होगा। न ही सूतक का प्रारंभ और न ही सूतक का अंत। ज्योतिष के प्रसिद्ध निर्णयसागर पंचांग के अनुसार इस ग्रहण में किसी भी प्रकार का यम, नियम, सूतक आदि मान्य नहीं है।