सार

 20 सितंबर मंगलवार को पुनर्वसु नक्षत्र होने से स्थिर नाम का शुभ योग बनेगा। इसके अलावा वरियान और परिघ नाम के 2 अन्य योग भी रहेंगे। इस दिन राहुकाल दोपहर 03:21 से शाम 04:51 तक रहेगा।
 

उज्जैन. हिंदू धर्म में हर पर्व-त्योहार हिन्दी तिथियों के अनुसार ही मनाए जाते हैं। इसके पीछे एक विशेष कारण है कि पर्व-त्योहारों में किसी विशेष देवता की पूजा की जाती है। अतः स्वाभाविक है कि वे जिस तिथि के अधिपति हों, उसी तिथि में उनकी पूजा हो। यही कारण है कि उस विशेष तिथि को ही उस विशिष्ट देवता की पूजा की जाए। किस दिन कौन-सी तिथि है, इसके बारे में पंचांग से जाना जा सकता है। आगे जानिए पंचांग से जुड़ी खास बातें…

20 सितंबर का पंचांग (Aaj Ka Panchang 20 september 2022)
20 सितंबर 2022, दिन मंगलवार को आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की दशमी तिथि पूरे दिन रहेगी। मंगलवार को सूर्योदय पुनर्वसु नक्षत्र में होगा, जो दिन भर रहेगा। मंगलवार को पुनर्वसु नक्षत्र होने से स्थिर नाम का शुभ योग बनेगा। इसके अलावा वरियान और परिघ नाम के 2 अन्य योग भी रहेंगे। इस दिन राहुकाल दोपहर 03:21 से शाम 04:51 तक रहेगा।

ग्रहों की स्थिति कुछ इस प्रकार रहेगी...
मंगलवार को चंद्रमा मिथुन राशि से निकलकर कर्क में प्रवेश करेगा। इस दिन सूर्य और बुध कन्या राशि में, शुक्र सिंह राशि में, मंगल वृष राशि में, शनि मकर राशि में (वक्री), राहु मेष राशि में, गुरु मीन राशि में (वक्री) और केतु तुला राशि में रहेंगे। मंगलवार को उत्तर दिशा की यात्रा नहीं करनी चाहिए। यदि निकलना पड़े तो गुड़ खाकर यात्रा पर जाना चाहिए।

20 सितंबर के पंचांग से जुड़ी अन्य खास बातें
विक्रम संवत- 2079
मास पूर्णिमांत- आश्विन
पक्ष-कृष्ण
दिन- मंगलवार
ऋतु- शरद
नक्षत्र- पुनर्वसु
करण- वणिज और विष्टि
सूर्योदय - 6:18 AM
सूर्यास्त - 6:22 PM
चन्द्रोदय - Sep 20 1:01 AM
चन्द्रास्त - Sep 20 3:07 PM
अभिजीत मुहूर्त- 11:56 AM से 12:45 PM

20 सितंबर का अशुभ समय (इस दौरान कोई भी शुभ काम न करें)
यम गण्ड - 9:19 AM – 10:49 AM
कुलिक - 12:20 PM – 1:50 PM
दुर्मुहूर्त - 08:43 AM – 09:31 AM, 11:08 PM – 11:56 PM
वर्ज्यम् - 06:00 AM – 07:47 AM

क्या होती है तिथि?
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, पंचांग के 5 अंग होते हैं- तिथि, योग, करण, वार और नक्षत्र। तिथि को हम हिंदी कैलेंडर की तारीख मान सकते हैं। तिथि की बात की जाए तो चन्द्र रेखांक को सूर्य रेखांक से 12 अंश ऊपर जाने के लिए जो समय लगता है, वह तिथि कहलाती है। तिथि कुल 16 होती है। इनमें प्रतिपदा से चतुर्दशी तक की तिथि दोनों पक्षों (शुक्ल व कृष्ण) में समान होती है। सिर्फ अंतिम तिथि अलग-अलग होती है। शुक्ल पक्ष की अंतिम तिथि पूर्णिमा और कृष्ण पक्ष की अंतिम तिथि अमावस्या कहलाती है।


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