सार

आज (16 अप्रैल, शनिवार) चैत्र पूर्णिमा है। इस दिन पूरे देश में हनुमान जन्मोत्सव पूरे जोश के साथ मनाया जाएगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इसी तिथि पर भगवान श्रीराम के परम भक्त हनुमानजी का जन्म हुआ था।

उज्जैन. हनुमान जयंती पर हनुमान मंदिरों में विशेष आयोजन किए जाते हैं। हर कोई हनुमानजी के मंदिरों में दर्शन करने पहुंचता है व घर पर भी पूजन-अभिषेक आदि किए जाते हैं। मान्यताओं के अनुसार इस दिन कुछ विशेष उपाय भी हनुमानजी को प्रसन्न करने के लिए किए जाते हैं। चैत्र पूर्णिमा पर घर पर भी आसान विधि से हनुमानजी की पूजा की जा सकती है। इससे भी हनुमानजी की कृपा आप पर बनी रहेगी। आगे जानिए हनुमानजी की पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, आरती व अन्य खास बातें…

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ऐसी रहेगी ग्रहों की स्थिति
ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार, इस बार हनुमान जयंती पर शनि ग्रह अपनी स्वराशि मकर में और गुरु ग्रह अपनी स्वराशि मीन में रहेगा। सूर्य, बुध और राहु की युति मेष राशि में रहेगी। मेष राशि में तीन ग्रह होने से त्रिग्रही योग बनेगा, साथ ही सूर्य-बुध की युति से बुधादित्य नाम का शुभ योग भी रहेगा। 

कब से कब तक रहेगी पूर्णिमा तिथि? 
चैत्र पूर्णिमा 15 अप्रैल, शुक्रवार की रात लगभग 02:25 शुरू होगी, जिसका समापन 16 अप्रैल, शनिवार की रात लगभग 12:24 पर होगा। पूर्णिमा तिथि का सूर्योदय 16 अप्रैल को रहेगा, इसलिए इसी दिन हनुमान जन्मोत्सव मनाया जाएगा। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. प्रवीण द्विवेदी के अनुसार, इस दिन हनुमान जन्मोत्सव पर रवि व हर्षण नाम के 2 शुभ योग बन रहे हैं। 

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पूजा के लिए शुभ मुहूर्त
सुबह 10:12 से 11:17 तक- शुक्र की होरा
सुबह 11.55 से दोपहर 12.47 तक- अभिजीत मुहूर्त
दोपहर 2:30 से 03:34 तक- गुरु की होरा

16 अप्रैल का चौघड़िया (इन मुहूर्त में भी पूजा कर सकते हैं)
सुबह 7:30 से 9:00 बजे तक- चर
सुबह 09:00 से 10:30 तक- लाभ
सुबह 10.30 से  दोपहर 12.00 – अमृत
दोपहर 01.30 से 03:00 बजे तक- शुभ

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ये है हनुमानजी की पूजा विधि
शनिवार की सुबह नहाने के बाद हनुमानजी की प्रतिमा या चित्र साफ स्थान पर स्थापित करें। पूजा करते समय आपका मुंह पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए। हाथ में चावल व फूल लें और इस मंत्र से हनुमानजी का ध्यान करें-
अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहं
दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यं।
सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं
रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि।।
ऊँ हनुमते नम: ध्यानार्थे पुष्पाणि सर्मपयामि।।

चावल व फूल हनुमानजी को अर्पित कर दें। नीचे लिखे मंत्र से हनुमानजी को आसन अर्पित करें-
तप्तकांचनवर्णाभं मुक्तामणिविराजितम्।
अमलं कमलं दिव्यमासनं प्रतिगृह्यताम्।।

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इसके बाद हनुमानजी की मूर्ति या चित्र को शुद्ध जल से स्नान करवाएं और पंचामृत (घी, शहद, शक्कर, दूध व दही ) से स्नान करवाएं। पुन: एक बार शुद्ध जल से स्नान करवाएं। ये मंत्र बोलकर हनुमानजी को वस्त्र (पूजा का धागा) अर्पित करें-
शीतवातोष्णसंत्राणं लज्जाया रक्षणं परम्।
देहालकरणं वस्त्रमत: शांति प्रयच्छ मे।।
ऊँ हनुमते नम:, वस्त्रोपवस्त्रं समर्पयामि।

इसके बाद हनुमानजी को गंध, सिंदूर, कुंकुम, चावल, फूल व हार अर्पित करें। केले या पान के पत्ते के ऊपर प्रसाद रखें और हनुमानजी को चढ़ाएं। फल अर्पित करें। अब लौंग-इलाइचीयुक्त पान चढ़ाएं। पूजा का पूर्ण फल प्राप्त करने के लिए इस मंत्र को बोलते हुए हनुमानजी को दक्षिणा अर्पित करें-
ऊँ हिरण्यगर्भगर्भस्थं देवबीजं विभावसों:।
अनन्तपुण्यफलदमत: शांति प्रयच्छ मे।।
ऊँ हनुमते नम:, पूजा साफल्यार्थं द्रव्य दक्षिणां समर्पयामि।।
थाली में कर्पूर एवं घी का दीपक जलाकर हनुमानजी की आरती करें।


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हनुमानजी की आरती
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥
जाके बल से गिरवर काँपे। रोग-दोष जाके निकट न झाँके ॥
अंजनि पुत्र महा बलदाई। संतन के प्रभु सदा सहाई ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥
दे वीरा रघुनाथ पठाए। लंका जारि सिया सुधि लाये ॥
लंका सो कोट समुद्र सी खाई। जात पवनसुत बार न लाई ॥
आरती कीजै हनुमान लला की॥
लंका जारि असुर संहारे। सियाराम जी के काज सँवारे ॥
लक्ष्मण मुर्छित पड़े सकारे। लाये संजिवन प्राण उबारे ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥
पैठि पताल तोरि जमकारे। अहिरावण की भुजा उखारे ॥
बाईं भुजा असुर दल मारे। दाहिने भुजा संतजन तारे ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥
सुर-नर-मुनि जन आरती उतरें। जय जय जय हनुमान उचारें ॥
कंचन थार कपूर लौ छाई। आरती करत अंजना माई ॥
आरती कीजै हनुमान लला की ॥
जो हनुमानजी की आरती गावे। बसहिं बैकुंठ परम पद पावे ॥
लंक विध्वंस किये रघुराई। तुलसीदास स्वामी कीर्ति गाई ॥
आरती कीजै हनुमान लला की। दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ॥

 

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