सार

चैत्र नवरात्रि (Chaitra Navratri 2022) में रोज देवी के एक नए स्वरूप की पूजा की जाती है। इसी क्रम में तीसरे दिन यानी तृतीया तिथि पर मां दुर्गा के चंद्रघंटा (Goddess Chandraghanta) रूप की पूजा करने का विधान है। इस बार ये तिथि 4 अप्रैल, सोमवार को है।

उज्जैन. देवी चंद्रघंटा के मस्तक पर पर अर्धचंद्र विराजमान है, इसलिए इन्हें चंद्रघंटा कहा गया है। धर्म ग्रंथों के अनुसार इस देवी का वाहन शेर है। इनकी 10 भुजाएं हैं जिनमें कमल फूल, धनुष, जप माला, तीर, त्रिशूल, गदा, कमंडल और तलवार है। वहीं एक हाथ अभय मुद्रा में है। ऐसा कहा जाता है कि भक्तों के लिए माता का यह स्वरूप बेहद कल्याणकारी है। इनकी पूजा करने से हर तरह की मनोकामना पूरी हो सकती है।

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ये हैं 4 अप्रैल, सोमवार के शुभ मुहूर्त (चौघड़िए के अनुसार)
सुबह 06 से 07:30 तक- अमृत
सुबह 09:00 से 10:30 तक- शुभ
दोपहर 01:30 से 03:00 तक- चर
दोपहर 03:00 से 04:30 तक- लाभ
शाम 04:30 से 06:00 तक- अमृत

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इस विधि से करें देवी चंद्रघंटा की पूजा (Aarti of Goddess Chandraghanta)
चैत्र नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा करने से पहले चौकी पर माता की तस्वीर स्थापित करें। इसके बाद चौकी पर चांदी, तांबे या मिट्टी का घड़ा रख दें। इस पर नारियल रख दें। फिर पूजा का संकल्प लें। फिर वैदिक एवं सप्तशती मंत्रों द्वारा मां चंद्रघंटा समेत सभी देवताओं की षोडशोपचार पूजा करें। इसके बाद मंत्र जाप करें-

मंत्र
पिण्डज प्रवरारूढा चण्डकोपास्त्रकैर्युता।
प्रसादं तनुते मह्यम् चन्द्रघण्टेति विश्रुता॥

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आज का उपाय
देवी चंद्रघंटा को दूध या दूध से बनी चीजों का भोग लगाना चाहिए। साथ ही भोग लगाने के बाद उसको दान भी करना चाहिए। 

मां चंद्रघंटा की आरती (Aarti of Goddess Chandraghanta)
जय मां चंद्रघंटा सुख धाम। पूर्ण कीजो मेरे काम।।
चंद्र समान तू शीतल दाती। चंद्र तेज किरणों में समाती।।
क्रोध को शांत बनाने वाली। मीठे बोल सिखाने वाली।।
मन की मालक मन भाती हो। चंद्र घंटा तुम वरदाती हो।।
सुंदर भाव को लाने वाली। हर संकट मे बचाने वाली।।
हर बुधवार जो तुझे ध्याये। श्रद्धा सहित जो विनय सुनाय।।
मूर्ति चंद्र आकार बनाएं। सन्मुख घी की ज्योत जलाएं।।
शीश झुका कहे मन की बाता। पूर्ण आस करो जगदाता।।
कांची पुर स्थान तुम्हारा। करनाटिका में मान तुम्हारा।।
नाम तेरा रटू महारानी। भक्त की रक्षा करो भवानी।।
 

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