सार
झारखंड-बिहार में क्रिकेट को बढ़ाने वाले जेएससीए के पूर्व सचिव बीएन सिंह नहीं रहे, गुरुवार को होगा अंतिम संस्कार। उनके निधन पर सेव झारखंड स्पोर्ट्स के सभी लोगों ने शोक जताया है।
जमशेदपुर. एकीकृत बिहार क्रिकेट संघ, जेएससीए (झारखंड स्टेटस क्रिकेट एसोसिएशन इंटरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम) के पूर्व सचिव बीएन सिंह नहीं रहे। उनका निधन बुधवार शाम में जमशेदपुर के कॉन्ट्रैक्टर एरिया में हो गया। उनकी उम्र 77 वर्ष थी। बीएन सिंह को क्रिकेट जगत में बुल्लू भाई के नाम से जाना जाता था। वे अपने पीछे पत्नी एक बेटे और दो बेटी छोड़ गए। बीएन सिंह की तबीयत कुछ दिनों से खराब थी। घर पर ही अचानक तबीयत ज्यादा खराब हो गई। घरवाले टीएमएच अस्पताल ले जाने की तैयारी करने लगे। इस दौरान उनकी मौत हो गई। 77 वर्षीय बीएन सिंह ने अपने जीवन के बहुमूल्य समय को क्रिकेट की सेवा में समर्पित करने वाले ऐसे शख्सियत को "सेव झारखंड स्पोर्ट्स" के तमाम सदस्यों और क्रिकेट वेटरन ग्रुप के निधन पर शोक जताया है।
झारखंड क्रिकेट एसो. को बीसीसीआई से मान्यता दिलाई
बीएन सिंह के कार्यकाल में ही जेएससीए को बीसीसीआई ने मान्यता दी थी। इस बड़े काम में बीएन सिंह का महत्वपूर्ण योगदान था। उनकी मेहनत के कारण ही यह संभव हो सका था। इतना ही नहीं भारतीय क्रिकेट के सितारे और रांची के राजकुमार महेंद्र सिंह धोनी का डेब्यू भी इनही के कार्यकाल में हुआ था। 50 साल से अधिक समय तक क्रिकेट से जुड़े रहे बीएन सिंह ने कीनन स्टेडियम, जमशेदपुर को आपरेटिव कॉलेज मैदान के साथ-साथ चाईबासा स्थित बिरसा मुंडा स्टेडियम के क्रिकेट ग्राउंड बनाने में उल्लेखनीय भूमिका निभाई। उनके कार्यकाल में कौनन स्टेडियम में पांच अंतरराष्ट्रीय मैच खेले गए। बीएन सिंह कई बार भारतीय टीम के मैनेजर भी रहे।
उदार स्वभाव और सरलता के लिए जाने जाते थे
बीएन सिंह भले ही आज हमारे बीच नहीं हैं। लेकिन उनका उदार स्वभाव और उनकी सहजता और सरलता हमारे बीच मौजूद रहेगी। कोई बड़ी शख्सियत हो अथवा क्रिकेट की नई पौध सभी से वह समान व्यवहार करते थे। मधुर स्वभाव के धनी रहे बीएन सिंह से कोई भी मिलने में हिचकी चाहता नहीं था। वह सबके लिए सहजता से उपलब्ध है।
कीनन के निर्माण में भी निभाई थी अहम भूमिका
बीएन सिंह के दिल में क्रिकेट बसता था। वह इस खेल को बढ़ाने के लिए हर संभव कोशिश करते रहते थे। चाहे वह जमशेदपुर का कीनन स्टेडियम हो, वहां का कोऑपरेटिव कॉलेज ग्राउंड हो या चाईबासा का क्रिकेट स्टेडियम। सबके लिए उन्होंने समान रूप से मेहनत की थी। इन मैदानों के निर्माण में बीएन सिंह ने निजी तौर पर बड़ी भूमिका निभाई थी।