सार
प्रेग्नेंसी में डायबिटीज होने से जच्चा-बच्चा दोनों को नुकसान पहुंच सकता है। इतना ही नहीं एक डायबिटीज पीड़ित मां अपने आनेवाले जनरेशन को भी इस बीमारी को दे देती हैं। इसलिए प्रेग्नेंसी प्लान करने से पहले महिला को डॉक्टर से कंसल्ट कराना बहुत जरूरी है।
हेल्थ डेस्क. भारत में हर 6 में एक प्रेग्नेंट महिला को डायबिटीज होता है। जिसकी वजह से प्रेग्नेंसी रिस्क बढ़ जाता है। इतना ही नहीं अगर गर्भावस्था में अगर आपका शुगर लेबल बढ़ा होता है तो बहुत चांसेज है कि अगली प्रेग्रेंसी में आप डायबिटीज के शिकार हो सकते हैं। इतना ही नहीं डॉक्टर की मानें तो अगर इस अवस्था में आपको डायबिटीज हुआ है तो जीवन भर इस बीमारी के होने का खतरा बढ़ जाता है। यानी कभी भी आप शुगर पेशेंट हो सकते हैं।
इतना ही नहीं एक डायबिटीज से पीड़ित मां अपने बच्चे ( लड़की) को भी आने वाले वक्त में इस बीमारी को दे सकती है। जिससे उसका बच्चा भी पीड़ित हो सकता है। यानी एक पूरा जनरेशन में डायबिटीज होने का रिस्क बढ़ जाता है।
शुगर पेशेंट महिलाओं को प्रेग्नेंसी से पहले डॉक्टर से संपर्क करना जरूरी
प्रेग्नेंसी में ब्लड शुगर को कंट्रोल करना जरूरी है। प्रेग्नेंसी प्लान करने से पहले या फिर प्रेग्नेंट होने पर डॉक्टर के पास जरूर जाना चाहिए। अगर आप प्रेग्नेंसी प्लान कर रही हैं और शुगर की मरीज हैं तो डॉक्टर आपको कुछ दवाई दे सकते हैं। जिससे आपका HBA1c लेवल नीचे आ जाए। क्योंकि प्रेग्नेंसी प्लान करने के लिए आपका HBA1c 6.5 प्रतिशत से नीचे रहना चाहिए।
प्रेग्नेंसी में 3 बार होता है शुगर टेस्ट
अगर आप गर्भवती हो जाती हैं तो डॉक्टर के पास आ जाए जिससे आपके शुगर लेबल का पता लगाया जा सके। प्रेंग्नेसी में तीन बार शुगर का टेस्ट होता है। पहला जब प्रेग्नेंसी डायग्नोस हो। दूसरा 12 हफ्ते के आसपास। इसके बाद 24 से 28 हफ्ते के बीच टेस्ट होता है। प्रेग्नेंसी के दौरान अगर शुगर लेबल बढ़ा होता है तो इसे गर्भावस्था का डायबिटीज कहते हैं।
डायबिटी होने पर हो सकते हैं ये जोखिम-
ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है
प्रीमेच्यूर बेबी होती है
सिजेरियन डिलीवरी करने पड़ सकते हैं
मिसकैरेज का खतरा बढ़ जाता है
किडनी डैमेज और आंखों की रोशनी जा सकती है
बच्चे में आनेवाले वक्त में डायबिटीज हो सकते हैं
नवजात की मौत हो सकती है
शुगर लेबल कंट्रोल करना जरूरी
इसलिए प्रेग्नेंसी के दौरान शुगर लेबल को कंट्रोल करना बहुत जरूरी है। कुछ डायबिटीज के दवा प्रेग्नेंसी में सुरक्षित नहीं होते हैं। इसलिए डॉक्टर सुरक्षित दवा देते हैं। अगर दवा से डायबिटीज कंट्रोल नहीं होता है तो फिर इंसुलिन दिया जाता है।
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