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Round-up 2021: नरक भोग रहे भूखे-प्यासे' अफगानी; तालिबान की सत्ता की भूख ने बदतर बना दिया जीवन

काबुल. 15 अगस्त, 2021(World Round up 2021); ये दिन इतिहास में फिर से दर्ज हो गया; लेकिन एक कुख्यात वजह से। इसी दिन अफगानिस्तान में तालिबान(Taliban) ने कब्जा कर लिया था। तालिबान के सत्ता में आने के बाद से अफगानियों की जिंदगी नरक से बदतर हो गई है। यहां के करीब 3.5 करोड़ लोगों को यह नहीं मालूम कि उनका बचा-खुचा जीवन कैसे कटेगा? इनके पास रोटी-कपड़ा और मकान; तीनों की कमी है। ठंड में अफगानिस्तान के हालात और खराब हो गए हैं। घर और कपड़े नहीं होने से लोगों बीमार होने लगे हैं। हालांकि अफगानिस्तान सरकार ने देश को भुखमरी से बचाने फूड फॉर वर्क स्कीम लॉन्च की है, लेकिन स्थिति खराब है। लाखों लोग देश छोड़कर जा रहे हैं। यह 2021 का दुनिया में सबसे बड़ा पलायन(migration problem) है। पिछले दिनों यूनाइटेड नेशंस की इंटरनेशल ऑर्गनाइजेशन फॉर माइग्रेशन ने एक रिपोर्ट जारी की है। इसके अनुसार, प्रॉपर डॉक्यूमेंट नहीं होने से करीब 11.46 करोड़ अफगानी शरणार्थी ईरान और पाकिस्तान से वापस अफगानिस्तान लौटा दिए गए हैं। ईरान से लौटने वाले शरणार्थियों की संख्या सबसे ज्यादा है। वहीं, लाखों लोग अफगानिस्तान से पलायन कर चुके हैं। यानी पलायन की यह स्थिति लगातार बनी हुई है। दुनिया की सबसे बड़ी चिंता बच्चों के भविष्य को लेकर है। देखें कुछ भावुक करने वाली तस्वीरें...

Asianet News Hindi | Updated : Dec 16 2021, 04:15 PM
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अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद अफगानिस्तान से तेजी से पलायन बढ़ा है। हजारों अफगानी शरणार्थी तुर्की, भारत, यूरोप, इंग्लैंड, अमेरिका और कनाडा सहित बॉर्डर से लगे दूसरे देशों में पहुंचे हैं।

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संयुक्त राक्त राष्ट्र की शरणार्थी एजेंसी(united nations refugee agency) ने अफगानिस्तान में युद्ध की गतिविधियों के कारण विस्थापित हुए करीब 35 लाख लोगों की मदद करने की अपील जारी है। एजेंसी का अनुमान है कि इनमें से 7 लाख लोग सिर्फ वर्ष 2021 में पलायन को मजबूर हुए।

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संयुक्त राक्त राष्ट्र की शरणार्थी एजेंसी(united nations refugee agency) की प्रवक्ता बाबर बलोच का मानना है कि अफगानिस्तान की कुल आबादी का करीब 55% यानी लगभग 2 करोड़ 30 लाख लोग भुखमरी का शिकार हैं। इनमें से भी 90 लाख लोग अकाल के मुहाने पर हैं।

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संयुक्त राक्त राष्ट्र की शरणार्थी एजेंसी(united nations refugee agency) ने 2021 में अफगानिस्तान में ही यहां से वहां विस्थापित हुए करीब 7 लाख लोगों की मदद की है। एजेंसी हर हफ्ते करीब 60 हज़ार लोगों की मदद कर रही है।

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अफगानियों पर तालिबान सरकार पर भरोसा नहीं है। वर्ष, 1996 से 2001 तक जब तालिबान सत्ता में था, तो उसने इस्लामी कानून को सख्ती से लागू कराया था। हालांकि इस बार उसके रवैये में थोड़ी नरमी आई है, लेकिन लोगों को उस पर भरोसा नहीं है। इस वजह से भी लोग पलायन कर रहे हैं।

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बता दें कि 2001 में तालिबान के तख्तापलट के बाद अफगानिस्तान को अमेरिका सहित दुनिया के तमाम देशों से मानवीय मदद मिली थी। लेकिन अब जबकि तालिबान फिर से सत्ता में आ गया है, तो मदद मिलना बंद हो गई है। 2020 में अंतर्राष्ट्रीय सहायता सकल घरेलू उत्पाद के 40 प्रतिशत से अधिक थी। 

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संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी यूएनएचसीआर का अनुमान है कि अगर स्थिति और बिगड़ती है, तो अफगानिस्तान से करीब 5 लाख लोग पलायन करने पर मजबूर हो जाएंगे।

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संयुक्त राक्त राष्ट्र की शरणार्थी एजेंसी(united nations refugee agency) के आंकड़े बताते हैं कि करीब 22 लाख अफगान पहले से ही विदेशों में शरणार्थी के रूप में रजिस्टर्ड हैं। इनमें से ज्यादातर पाकिस्तान और ईरान में शरण लिए हुए हैं। 

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संयुक्त राक्त राष्ट्र की शरणार्थी एजेंसी(united nations refugee agency) के अनुसार, इसी साल युद्ध के चलते अफगानिस्तान में 5,58,000 लोग अपने ही देश में यहां से वहां भागने पर मजबूर हुए। इनमें पांच लोगों में से 4 महिलाएं और बच्चे हैं।

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संयुक्त राक्त राष्ट्र की शरणार्थी एजेंसी(united nations refugee agency) अफगानियों की मदद के लिए करीब 30 करोड़ अमेरिकी डालर की मांग कर रही है।

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एक स्टडी के अनुसार, 95 प्रतिशत अफगानियों को पर्याप्त भोजन नहीं मिल पा रहा है। परिजनों को अपने बच्चों की फिक्र है। लेकिन उन्हें नहीं मालूम कि वे बच्चों का पेट कैसे भरें? अफगानिस्तान में 35 मिलियन(3.5 करोड़) लोग भूखे हैं या नहीं जानते कि उनका अगला भोजन कहां से आएगा? इनमें से अधिकांश बच्चे हैं।

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जब अगस्त में अफगानिस्तान में तालिबान ने सत्ता हासिल करने खून-खराब किया था, तब अमेरिकी सैनिकों ने अफगानियों की आगे बढ़कर मदद की थी। फोटो क्रेडिट-AP,AFP,getty images

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