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Sri Lanka Crisis: 2019 में छिड़े गृहयुद्ध के बाद सबसे बुरे हालात, हर चीज महंगी, वो भी मिल जाए तो किस्मत समझो

वर्ल्ड न्यूज. 2009 में गृहयुद्ध समाप्त होने के बाद से श्रीलंका अपने आधुनिक इतिहास में सबसे गंभीर दौर से गुजर रहा है। हालत यह है कि सरकार के पास पेट्रोल, डीजल और रसोई गैस जैसी जरूरी चीजें खरीदने के लिए पैसे नहीं बचे हैं। जो थोड़ा-बहुत सामान बचा है, वो इतना महंगा है कि खरीदने में पसीने छूट रहे हैं। स्कूल-कॉलेज बंद हैं। क्लासेस ऑनलाइन चलानी पड़ रही हैं। जो जरूरी नहीं, उन क्षेत्रों के कर्मचारियों को वर्क फ्रॉम होम करने को कहा गया है। 22 मिलियन की आबादी वाले श्रीलंका पर इस समय 50 बिलियन डॉलर से अधिक का कर्ज है। इसमें से उसे 2027 तक 28 अरब डॉलर का भुगतान करना होगा। पढ़िए कुछ अन्य जानकारियां और देखिए फोटोज...
 

Amitabh Budholiya | Updated : Jul 12 2022, 08:17 AM
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12.5 किलो के रसोई गैस सिलेंडर की कीमत इस महीने 50 श्रीलंकाई रुपये बढ़कर 4,910 रुपये हो गई है। वो भी बाजार में मिले, यह गारंटी नहीं। लोगों ने स्टोव पर खाना पकाना शुरू कर दिया है।

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श्रीलंकाई संसद के स्पीकर महिंदा यापा अभयवर्धने(Speaker Mahinda Yapa Abeywardena) ने 11 जुलाई को बुलाई पार्टी नेताओं की मीटिंग में खुलासा किया कि राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे( Sri Lanka President Gotabaya Rajapaksa) 13 जुलाई को पद छोड़ देंगे। 15 जुलाई को संसद बुलाई जाएगी और सदन को खाली प्रेसीडेंसी के खाली पद के बारे में सूचित किया जाएगा। इसके बाद 19 जुलाई को नामांकन मांगे जाएंगे और 20 जुलाई को मौजूदा कानूनी प्रावधानों के अनुसार नए राष्ट्रपति के चुनाव के लिए वोटिंग होगी।

यह तस्वीर राष्ट्रपति भवन पर कब्जा करके बैठे प्रदर्शनकारियो की है।

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फ्यूल महंगा होने और उपलब्धता न के बराबर होने से श्रीलंकाई लोग साइकिल पर उतर आए हैं। व्हीकल्स घर पर रख दिए हैं। सोशल मीडिया पर भी साइकिलों के विज्ञापन भरे पड़े हैं। साइकिलों की कीमत अब 60,000 श्रीलंकाई रुपये तक हो सकती है। सामान्य समय में इनकी कीमत लगभग 20,000-30,000 श्रीलंकाई रुपये होती है। राष्ट्रपति भवन पर कब्जा करने वाले प्रदर्शनकारी जश्न मनाते हुए।

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श्रीलंका में अधिकतर पेट्रोल पंपों पर ताला लटका है। जो खुले हैं, वहां लंबी लाइनें हैं। फ्यूल पुलिस और आर्मी की निगरानी में मिल रहा है। पेट्रोलियम मंत्री ने कहा कि 15-17 जुलाई को डीजल और 22-24 जुलाई के बीच पेट्रोल की खेप आ सकती है। 

राष्ट्रपति भवन पर कब्जा करने के बाद आराम करते प्रदर्शनकारी

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राष्ट्रपति आवास (President Residence) पर प्रदर्शनकारियों के कब्जे के बाद भीड़ ने पीएम रानिल विक्रमसिंघे (Ranil Wickremesinghe) के निजी आवास को आग के हवाले कर दिया था। 

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महंगाई ने श्रीलंका की हालत पतली कर दी है। 1948 में ब्रिटेन से आजाद हुआ श्रीलंका इतिहास की सबसे खराब आर्थिक स्थिति से गुजर रहा है। श्रीलंका में बुनियादी जरूरतों जैसे-गैस, बिजली, दवा और भोजन की बेहद कमी या आपूर्ति न होने से लोग बुरी हालत में हैं।

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श्रीलंका में अधिकतर पेट्रोल पंपों पर ताला लटका है। जो खुले हैं, वहां लंबी लाइनें हैं। फ्यूल पुलिस और आर्मी की निगरानी में मिल रहा है। पेट्रोलियम मंत्री ने कहा कि 15-17 जुलाई को डीजल और 22-24 जुलाई के बीच पेट्रोल की खेप आ सकती है। 

राष्ट्रपति भवन पर कब्जा करने के बाद प्रदर्शनकारी

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श्रीलंका में जगह-जगह मार्केट में पुलिस और सेना तैनात है। दुकानों पर सामान नहीं होने से ताला लटका हुआ है।

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विदेश मंत्री एस जयशंकर(External Affairs Minister S Jaishankar ) ने रविवार को कहा कि भारत ने श्रीलंका के आर्थिक संकट के दौरान श्रीलंका के समर्थन के लिए 3.8 बिलियन अमरीकी डालर का वादा किया है, जो समय के साथ बना रहा था।

राष्ट्रपति भवन पर कब्जा करने के बाद प्रदर्शनकारियों की तस्वीरें

यह भी पढ़ें-Sri Lanka Crisis: 2 देश, 2 राष्ट्रपति भवन, 2 तख्तापलट, ढूंढ़िये क्या है इनमें चौंकाने वाला अंतर?

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जानिए श्रीलंका में पिछले 4 महीन में क्या-क्या हुआ?
31 मार्च 2022: 
आर्थिक संकट गहराने पर श्रीलंका में प्रदर्शन का दौर 

1 अप्रैल: राष्ट्रपति गोठबाया राजपक्षे ने नेशनवाइड इमरजेंसी का ऐलान किया

3 अप्रैल: मंत्रिमंत्रडल भंग किया गया, लेकिन PM महिंदा राजपक्षे ने इस्तीफा देने से इनकार किया

9 अप्रैल: PM ऑफिस के बाहर जबर्दस्त प्रदर्शन

9 मई: हिंसा होने के बाद PM महिंदा राजपक्षे को इस्तीफा देना पड़ा

9 जुलाई: प्रदर्शनकारी ने राष्ट्रपति भवन पर कब्जा किया, PM रानिल विक्रमसिंघे ने इस्तीफे का ऐलान किया

10 जुलाई: राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे राष्ट्रपति भवन छोड़कर भागे

11 जुलाई: संसद के स्पीकर महिंदा यापा अभयवर्धने ने बताया कि देश में 20 जुलाई को नए राष्ट्रपति का चुनाव होगा। राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे देश में ही मौजूद

यह भी पढ़ें-Sri Lanka Crisis: श्रीलंका के संकट से जोड़कर क्यों वायरल की जा रही 36 साल पुरानी ये ऐतिहासिक तस्वीर?

Amitabh Budholiya
About the Author
Amitabh Budholiya
बीएससी (बायोलॉजी), पोस्ट ग्रेजुएशन हिंदी साहित्य, बीजेएमसी (जर्नलिज्म)। करीब 25 साल का लेखन और पत्रकारिता में अनुभव। एशियानेट हिंदी में जून, 2019 से कार्यरत। दैनिक भास्कर और उसके पहले दैनिक जागरण और अन्य अखबारों में सेवाएं। 5 किताबें प्रकाशित की हैं Read More...
 
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