सिर्फ शादी के दिन नहाती हैं इस जनजाति की लड़कियां, गेस्ट को मिलता है फ्री सेक्स गिफ्ट
नामीबिया। दुनिया की कई जनजातियां ऐसी हैं जो अपने अनोखे रीति-रिवाज के चलते जानी जाती हैं। ऐसी ही एक जनजाति है हिंबा। हिंबा जनजाति के लोग अफ्रीका के नामिबिया के कुनैन प्रांत में रहते हैं। ये जहां रहते हैं वह इलाका दुनिया के सबसे सूखे इलाकों में से एक है। इसके चलते ये लोग नहाकर पानी बर्बाद नहीं करते। इस जनजाति की महिलाएं सिर्फ शादी के दिन नहाती हैं। आईए जानते हैं इस जनजाति के बारे में खास बातें...
| Published : Sep 11 2022, 01:55 PM IST / Updated: Sep 12 2022, 09:26 AM IST
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हिंबा जनजाति के लोग मूल रूप से किसान और पशुपालक हैं। ये घर आए मेहमान का बहुत अधिक खयाल रखते हैं। हालांकि बाहरी लोग उनके रीति रिवाज में दखल दें यह उन्हें मंजूर नहीं होता। गेस्ट को लेकर इनकी मेहमान नवाजी इतनी अधिक होती है कि उन्हें फ्री सेक्स गिफ्ट मिलता है। पुरुष घर आए मेहमान के साथ सोने के लिए अपनी पत्नी को भेजते हैं ताकि उसे खुशी मिले।
हिंबा जनजाति में यौन सफाई की अजीब परंपरा है। स्थानीय भाषा में इसे कुसासा फुमबि कहा जाता है। अगर किसी महिला के पति की मौत हो जाती है या गर्भपात होता है तो उसे यौन सफाई की प्रक्रिया से गुजरना होता है। इसमें महिला को प्रोफेशनल सेक्स वर्कर के साथ सोना पड़ता है। हिंबा जनजाति की महिलाओं को शादी के बाद भी एक से ज्यादा पुरुषों से संबंध बनाने की आजादी होती है। उसी तरह पुरुषों को भी दूसरी महिलाओं के साथ रिश्ता रखने की इजाजत होती है।
नहीं नहाने के बाद भी हिंबा जनजाति की महिलाओं के शरीर से गंध नहीं आती। इसके लिए वे खास तरीके का लेप शरीर पर लगाती हैं और सुगंधित धुंआ से खुद को ताजा रखती हैं। शरीर पर लगाने के लिए खास जड़ी-बूटियों और जानवर के फैट को पानी में उबालकर उसका लेप बनाया जाता है। महिलाएं लेप में लोहे की तरह के एक खनिज की धूल मिलाती हैं। इस लेप को लगाने से महिलाओं का शरीर लाल रंग का दिखता है। यह उनकी त्वचा को धूप से भी बचाता है।
नामीबिया में हिंबा जनजाति के लोगों की संख्या करीब 50 हजार है। इस जनजाति की महिलाओं को अफ्रीका में सबसे सुंदर माना जाता है। पैसे से जुड़े फैसले महिलाएं करती हैं। इस जनजाति की महिलाएं बहुत मेहनती होती हैं। ये घर और बच्चों को संभालने के साथ ही जानवर पालने और उनका दूध निकालने का काम भी करती हैं। ये लोग खानाबदोश हैं।
हिंबा जनजाति के लोग रेगिस्तान के कठोर जलवायु के अभ्यस्त होते हैं। ये मुख्य रूप से मक्के या बाजरे के आटे से बना दलिया खाते हैं। विवाह के मौके पर मीट पकाया जाता है। इस जनजाति के लोग गाय पर निर्भर होते हैं। जिस परिवार के पास जितनी अधिक गाय होती है वह उतना ही समृद्ध माना जाता है। बिना गाय वाले को बेहद गरीब माना जाता है। इसके साथ ही बकरी पालन भी किया जाता है।
हिंबा जनजाति की महिलाएं अपने बालों की चोटियां बनाकर रखती हैं। वे इसपर लेप लगाती हैं। वहीं, पुरुष सिर पर सींगनुमा चोटी बनाकर रखते हैं। शादीशुदा पुरुष अपने सिर पर पगड़ी पहनते हैं। महिलाएं सिर्फ लुंगी पहनती हैं और अपने शरीर को गहरे गेरुए रंग से ढ़ंक लेती हैं। उनके शरीर का ऊपरी हिस्सा खुला रहता है।
हिंबा जनजाति में बच्चे का जन्मदिन वह नहीं होता जिस दिन वह पैदा होता है। इसके बदले बच्चे का डेट ऑफ बर्थ वह दिन होता है जब उसकी मां को बच्चा होने का खयाल आए। बच्चा होने का खयाल आने पर वह एक लोकगीत बनाती है। पति के साथ संबंध बनाते वक्त महिला उस खास लोकगीत को गाती है। बच्चे के जन्म से लेकर हर काम तक वह खास लोकगीत गाया जाता है। एक बच्चे के लिए एक खास लोकगीत होता है। इस तरह वह उसकी पहचान बन जाता है। बच्चा बड़ा होता है तो उसके गीत को समुदाय के दूसरे लोगों को भी सिखाया जाता है।