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इस देश में विद्रोही सेना ने किया तख्तापलट, राष्ट्रपति को बंधन बना बंदूक की नोक पर जबरन लिया इस्तीफा
बमाको. पश्चिम अफ्रीका के देश माली में इस समय बड़ा राजनीतिक संकट सामने आया है। यहां विद्रोही सेना ने तख्तापलट की कोशिश की है। इतना ही नहीं सैनिकों ने राष्ट्रपति इब्राहिम बाउबकर कीता और प्रधानमंत्री बाउबो सिसे को बंदूक की नोक पर बंधक बना लिया है। इसके बाद राष्ट्रपति कीता ने इस्तीफे का ऐलान कर दिया। माना जा रहा है कि ये इस्तीफा जबरन लिया गया है। हालांकि, राष्ट्रपति ने कहा, वे खूनी संघर्ष नहीं चाहते। राष्ट्रपति इब्राहिम बाउबकर के खिलाफ माली में पिछले 6 महीने से विरोध प्रदर्शन चल रहा है। लेकिन अब विद्रोही सेना ने आक्रामक रुख अपना लिया है। इससे पहले माली में 2012 में तख्तापलट हुआ था।
| Published : Aug 19 2020, 08:37 AM IST / Updated: Aug 19 2020, 09:48 AM IST
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माली में विद्रोही सैनिक खुलेआम सड़क पर हथियार लेकर घूमते दिख रहे हैं। इतना ही नहीं मंगलवार को तख्तापलट की कोशिश में बड़ी संख्या में सैनिकों ने राष्ट्रपति आवास को घेर लिया। हवा में गोलीबारी भी की गई। इसके बाद राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को बंधक बना लिया है।
माली में हालात बिगड़ते जा रहे हैं। राजधानी बमाको में विद्रोही सैनिकों का पूरी तरह नियंत्रण हो गया है। देश की सरकारी टीवी चैनल भी बंद कर दी गई। प्रशासन ने पुष्टि की है कि विद्रोही सैनिकों ने राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को बंधक बना लिया है।
संयुक्त राष्ट्र और फ्रांस माली में पिछले 7 साल से स्थिरता लाने की कोशिश में जुटा है। वहीं, यहां पिछले कुछ दिन में ही राजनीतिक संकट अचानक गहरा गया। वहीं, सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे लोगों का सेना को समर्थन मिल रहा है।
प्रदर्शनकारियों ने माली के न्याय मंत्री से संबंधित इमारत को भी आग के हवाले कर दिया। पीएम सिसे ने विद्रोहियों से हथियार डालने की अपील की है। उन्होंने कहा, ऐसा कोई विवाद नहीं है, जिसका समाधान बातचीत से ना हो सके।
इससे पहले सशस्त्र प्रदर्शनकारियों ने देश के वित्त मंत्री अब्दुलाय दफे और अन्य वरिष्ठ अफसरों को हिरासत में ले लिया था। इसके बाद सरकारी कर्मचारी अपने दफ्तरों से भाग गए। माली के आंतरिक सुरक्षा मंत्रालय के एक अफसर ने भी इसकी पुष्टि करते हुए कहा था कि वरिष्ट अधिकारियों को गिरफ्तार किया जा रहा है।
माली के राष्ट्रपति को पश्चिमी देशों का समर्थन प्राप्त है
माली के राष्ट्रपति इब्राहिम बाउबकर कीता लोकतांत्रिक रूप से 2013 में चुना गया था। उन्हें फ्रांस, अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों का भी समर्थन है। माली के संकट को देखते हुए अमेरिका ने भी चिंता जाहिर की है।
अमेरिका विदेश मंत्रालय के विशेष दूत जे पीटर फाम ने ट्वीट कर कहा, अमेरिका सभी असंवैधानिक परिवर्तनों के विरोध में है। चाहें वह सड़कों पर हो या सुरक्षों बलों द्वारा।
क्यों विरोध कर रहे लोग
राष्ट्रपति कीता का मई से ही विरोध हो रहा है। उस वक्त यहां की सर्वोच्च अदालत ने विवादित संसदीय चुनाव के नतीजों को पलट दिया था। इससे पहले 2012 में भी माली की सेना ने तख्तापलट किया था।