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अपना मूत्र पीकर यंग दिखने लगा है 34 साल का ये शख्स, जानिए क्या है ये यूरोफैगिया,जिसे मोरारजी देसाई भी पीते थे
वर्ल्ड न्यूज डेस्क. आपने काफी पढ़ा होगा कि भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई((29 फरवरी 1896 –10 अप्रैल 1995) अपना मूत्र(urine) पीते थे। एक अमेरिकी जर्नलिस्ट डैन रैथर को दिए इंटरव्यू में देसाई ने खुलासा किया था कि अपना मूत्र पीने से उनकी कई बीमारियां दूर हो गईं। करीब एक घंटे के इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि जो गरीब महंगी दवाइयों का खर्चा नही उठा सकते, अगर वे अपना मूत्र पीएं, तो तमाम बीमारियां उनके पास नहीं आएंगी। जैसे मूत्र से आंख धोने से मोतियाबिंद की आशंका कम हो जाएगी। अब इंग्लैंड के एक 34 वर्षीय शख्स हैरी मातादीन(Harry Matadeen) ने चौंकाने वाला खुलासा किया है। इनका कहना है कि जब से उन्होंने अपना मूत्र पीना शुरू किया है, तब से अवसाद(depression) दूर हो गया है। यही नहीं, अब वो 10 साल छोटा दिखने लगा है। अमेरिकी न्यूज मीडिया dailymail के अनुसार, मानसिक स्वास्थ्य यानी हताशा से बचने मातादीन ने 2016 में अपने मूत्र का सेवन शुरू किया था। 'मूत्र चिकित्सा' ने मातादीन में शांति, सुकून और दृढ़ संकल्प की एक नई भावना पैदा की। इसके बाद वे मूत्र चिकित्सा को प्रचार-प्रसार करने लगे हैं। मातादीन ने कहा-“यह मेरी सोच से परे था कि जब मैंने जब अपना ही मूत्र पीया, तो यह कितना शक्तिशाली था। जिस क्षण से मैंने पेशाब पीया, इसने मेरे दिमाग को जगा दिया और मेरे अवसाद को दूर कर दिया।" बता दें कि अमेरिकन सिंगर मैडोना(American singer-songwriter Madonna) भी यही दावा कर चुकी हैं। आज मूत्र चिकित्सा( urine therapy) को यूरोफैगिया या यूरोथेरेपी(urophagia or urotherapy) के नाम से जाना जाता है। मूत्र का औषधीय इस्तेमाल आज भी कइ देशों में किया जाता है।
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मातादीन के अनुसार, उनकी दैनिक खुराक उनके स्वयं के मूत्र का लगभग 200 मिलीलीटर है। यह अकसर एक महीने पुराना होता है। लेकिन वे इसमें ताजा पेशाब की कुछ बूंदें भी मिलाते हैं।
मातादीन का कहना है कि अपना पेशाब पीने के अलावा वह इसे अपने चेहरे पर मॉइस्चराइजर के रूप में भी इस्तेमाल करते हैं। इसके अलावा वे किसी अन्य स्किनकेयर का इस्तेमाल नहीं करते हैं।
मातादीन ने मूत्र पीने की अपनी आदत के संभावित स्वास्थ्य लाभों के बारे में एक किताब लिखी है। हालांकि उनकी बहन उनकी बात से इत्तेफाक नहीं रखतीं। रिसर्चर मानते हैं कि मूत्र में 90 प्रतिशत पानी है। यह ऑटोइम्यून विकारों(autoimmune disorders) से लेकर पुराने दर्द तक सब कुछ ठीक कर देता है।
हालांकि डॉक्टरों का तर्क है कि मूत्र चिकित्सा के लाभ से संबंधित कोई तथ्य नहीं है। कहा जाता है कि इस चिकित्सा की उत्पत्ति प्राचीन मिस्र(ancient Egypt ) में हुई। यह एक प्रथा है, जो तेजी से डिहाईड्रेशन( dehydration) को बढ़ाता है और मूत्र पीने वाले को वैक्टीरिया(bacteria) के संपर्क में लाता है।
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मातादीन ने कहा कि ताजा मूत्र कभी भी उतना खराब नहीं होता, जितना आप सोचते हैं। इसमें नेचुरल स्मैल होती है। इसका स्वाद खराब नहीं होता है।
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