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श्रीलंका संकट: दुनिया का ध्यान खींचने विरोध के नए-नए तरीके अपना रहे श्रीलंकाई, स्पाइडरमैन भी धरने पर बैठ गया
कोलंबो. महंगाई ने श्रीलंका की हालत पतली कर दी है। देशभर में राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे(President Gotabaya Rajapaksa) के खिलाफ बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। 1948 में ब्रिटेन से आजाद हुआ श्रीलंका इतिहास की सबसे खराब आर्थिक स्थिति से गुजर रहा है। जबर्दस्त विरोध को देखते हुए राष्ट्रपति ने मंगलवार की आधी रात इमरजेंसी हटा ली। इसे 1 अप्रैल को लगाया गया था। हालांकि अब दुनियाभर में फैले श्रीलंकाई अपने-अपने तरीके से प्रदर्शन कर रहे हैं। श्रीलंका में बुनियादी जरूरतों जैसे-गैस, बिजली, दवा और भोजन की बेहद कमी या आपूर्ति न होने से लोगों का धैर्य जवाब दे गया है। देश और विदेश में रहने वाले श्रीलंकाइयों को इस बात पर गर्व है कि उनमें भ्रष्ट सरकार के खिलाफ खड़े होने का साहस आया है।
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पहली तस्वीर अमेरिका के न्यूयॉर्क है, जहां रहने वाले श्रीलंकाइयों ने अपने-अपने तरीके से देश के हालात को लेकर अपना विरोध जताया। एक व्यक्ति स्पाइडरमैन बनकर विरोध जताने पहुंचा।
भारत से श्रीलंका भेजे गए खाद्य कंटेनर फंसे
पहले से ही आर्थिक तंगी में गुजर रहा श्रीलंका अब दूसरे देशों से पहुंच रही खाद्य सामग्री में पेंच फंसा रहा है। भारत से पहुंचे 1,500 खाद्य कंटेनर वहां फंसे हुए हैं। शिपर्स उनका भारतीय रुपए में भुगतान करने को तैयार नहीं हैं।
गवर्नमेंट मेडिकल ऑफिसर्स एसोसिएशन(Government Medical Officers Association) ने कहा है कि श्रीलंका में जीवन रक्षक दवाओं सहित अन्य दवाओं की भारी कमी है। यह एसोसिएशन द्वीप राष्ट्र में 16,000 से अधिक डॉक्टरों का प्रतिनिधित्व करता है। डॉक्टरों के निकाय ने एक पत्र में स्वास्थ्य मंत्रालय को बताया, "आवश्यक चिकित्सा दवाओं की निरंतर और पर्याप्त आपूर्ति का आश्वासन देने में विफलता से पूरी स्वास्थ्य प्रणाली चरमरा जाएगी।"
राजपक्षे की सरकार पर संकट
225 सदस्यीय सदन में राजपक्षे की सरकार बहुमत से नीचे चली गई है। सत्तारूढ़ गठबंधन सरकार से बाहर निकलने वाले 41 विधायक अब स्वतंत्र सदस्य बन गए हैं। अब 225 सदस्यीय सदन में बहुमत बनाए रखने के लिए आवश्यक 113 संख्या है। अभी तक वोटों की गिनती नहीं हुई है, हालांकि राजपक्षे की अल्पमत सरकार के लिए निर्णय लेना अधिक चुनौतीपूर्ण हो सकता है। हालांकि, स्वतंत्र सांसद सदन में सरकारी प्रस्तावों का समर्थन करना जारी रख सकते हैं। इस तरह लोग सरकार का विरोध कर रहे हैं।
श्रीलंका ने मंगलवार को घोषणा की कि वह 30 अप्रैल से नॉर्वे और इराक में अपने दूतावासों और ऑस्ट्रेलिया में अपने महावाणिज्य दूतावास को अस्थायी रूप से बंद कर रहा है। सरकार के अनुसार, सावधानीपूर्वक विचार-विमर्श के बाद निर्णय लिया गया था।
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने मंगलवार को कहा कि वह श्रीलंका में राजनीतिक और आर्थिक विकास पर बहुत बारीकी से नजर रख रहा है। इस समय श्रीलंका करीब हर नागरिक आंदोलन का हिस्सा बना हुआ है। बता दें कि श्रीलंकाई एशिया में सबसे अधिक साक्षरता दर(highest literacy rates in Asia) होने का दावा करते हैं।
श्रीलंका में विदेशी मुद्रा की भारी कमी के चलते सरकार ईंधन सहित आवश्यक आयात के लिए भुगतान करने में फेल हो गई है। करीब 22 मिलियन लोगों का यह द्वीप पहली बार इतने बुरे आर्थिक संकट में फंसा है।पिछले महीने श्रीलंकाई मुद्रा अमेरिकी डॉलर के मुकाबले अपने मूल्य का 30% से अधिक खो चुकी है। फोटो क्रेडिट-EPA-EFE