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दावाः चीन में लंबी दाढ़ी और रोजा रखने पर जेल में डाले जा रहे मुसलमान, बच्चे पैदा करना भी हराम
बीजिंग. चीन में कोरोना वायरस के कहर के बीच एक बार फिर उइगर मुस्लिमों पर अत्याचार की खबरें सामने आई हैं। यहां उइगर मुसलमानों को चीनी अधिकारी इस हद प्रताड़ित कर रहे हैं कि उनके लंबे बाल और दाढ़ी तक पर निगरानी रखी जा रही है। उइगर मुस्लिमों की गतिविधियों और समुदाय के लोगों के व्यवहार की निगरानी कर रहे हैं। सरकार मुस्लिमों को बढ़ी हुई दाढ़ी और ज्यादा बच्चे होने के कारण उन्हें नजरबंद शिविरों में भेज रही है। पूरी दुनिया में इस खबर से हड़कंप मचा हुआ है।
| Updated : Feb 20 2020, 02:25 PM
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चीन में रह रहे शरणार्थी उइगर मुस्लिमों पर चीनी सैनिकों का कहर किसी से छिपा नहीं है। अब यहां लोग देखते ही डिटेंशन सेंटर्स में डाले जा रहे हैं। ये पूरा खुलासा कुछ डॉक्युमेंट्स के लीक होने पर हुआ है। इसमें लोगों की नजरबंदी के लिए दिए गए कारणों में रमजान (रोजा), दाढ़ी बढ़ाना, पासपोर्ट के लिए आवेदन करना और बहुत सारे बच्चे पैदा करने पर आधिकारिक जन्म नीति का उल्लंघन करना शामिल है।
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जर्मन न्यूज चैनल डीडब्ल्यू और बीबीसी को सौंपे गए 137 पन्नों के दस्तावेज में उन 311 लोगों की सूची दी गई है, जिन्हें 2017-2018 में काराकाक्स काउंटी में ‘री-एजुकेशन’के लिए भेजा गया।
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ऐसे ही एक मामले में अधिकारियों ने उइगर मुसलमान को ‘री-एजुकेशन कैंप’ में भेजा और बढ़ी हुई दाढ़ी के कारण उसके 15 रिश्तेदारों को भी निगरानी में रखा। दस्तावेज में यह दावा किया गया है कि चीनी अधिकारियों ने यह निष्कर्ष निकाला था कि युवक की बढ़ी दाढ़ी और उसकी पत्नी के घूंघट रखने का अर्थ है कि वे धार्मिक और चरमपंथी विचारों से ग्रसित हैं।
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लीक हुए दस्तावेज में शिनजियांग के सुदूर पश्चिमी क्षेत्र के तीन हजार से ज्यादा व्यक्तियों की जानकारी है। इसमें कराकाक्स शिविर में भेजे गए 311 व्यक्तियों और उनसे जुड़े 1,800 से ज्यादा परिवार के सदस्यों, पड़ोसियों और दोस्तों का पूरा नाम और पहचान संख्या भी शामिल है। इस दस्तावेज में डाउनलोड किए गए वीडियो, इंटरनेट चैट मैसेजों, चेहरे की पहचान करने वाली उच्च तकनीक कैमरा, घर जाकर पूछताछ की डिटेल भी है।
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यूनिवर्सिटी ऑफ नॉटिंघम से जुड़े विशेषज्ञ रियान थुम ने कहा- मुझे लगता है कि यह कल्पना करना दिलचस्प है कि ये चीजें शिनजियांग में मौजूद हैं। जो डेटा बाहर आया है, वह चौंकाने वाला है। अधिकांश बंदियों को रिहाई के लिए मंजूरी दे दी गई थी। निगरानी के तहत फैक्ट्रियों में कई लोग जबरन काम करने को मजबूर थे।
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2014 के बाद से आतंकवाद विरोधी अभियान के तहत 20 लाख उइगर मुस्लिम और अन्य अल्पसंख्यकों को कई शिविरों में हिरासत में रखा गया है। चीन लगातार कहता रहा है कि वह इस क्षेत्र में चरमपंथ से निपटने के लिए ‘वोकेशनल ट्रेनिंग कैम्प’ चला रहा है। हालांकि, पूर्व बंदियों ने आरोप लगाया है कि वहां कैदियों को यातनाएं दी जाती हैं। उन पर मेडिकल एक्सपेरिमेंट किए जाते हैं। महिलाओं के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया जाता है।
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चीन में मुस्लिम महिलाओं के साथ दरिंदगी की हदें पार की जाती हैं। महिलाओं की जबरन चीनी नागरिकों से शादी करवा दी जाती है, ताकि वे चीनी बच्चों को जन्म दें। वहीं उनके साथ कई चीनी सैनिक डिटेंशन कैंपों में रात गुजारते हैं।