- Home
- World News
- अब चीन की आएगी शामत, अमेरिका ने इस खतरनाक हथियार का किया परीक्षण, आवाज से 17 गुना तेज है रफ्तार
अब चीन की आएगी शामत, अमेरिका ने इस खतरनाक हथियार का किया परीक्षण, आवाज से 17 गुना तेज है रफ्तार
वॉशिंगटन. साउथ चाइना सी में चीन से चल रहे विवाद के बीच अमेरिका ने हायपरसोनिक मिसाइल का सफल परीक्षण किया है। इस मिसाइल की रफ्तार ध्वनि यानी आवाज से 17 गुना तेज है। अमेरिकी सेना ने इसकी जानकारी दी। इस मिसाइल का परीक्षण मार्च में प्रशांत महासागर में किया गया था। यह सफल रहा। अमेरिका चीन और रूस को टक्कर देने के लिए अपनी शक्ति में लगातार इजाफा कर रहा है।
- FB
- TW
- Linkdin
)
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने मई में ही इस मिसाइल के बनने को लेकर इशारा किया था। हालांकि, अब आधिकारिक तौर पर इसकी ऐलान किया गया है। सीएनएन की रिपोर्ट के मुताबिक, इसका परीक्षण प्रशांत महासागर के ऊपर किया गया था। (फोटो- सिम्बॉलिक)
हायपरसोनिक मिसाइलें हवा में काफी ऊपर से सटीक निशाने में कामयाब होती हैं। ऐसे में दुनिया के शक्तिशाली देशों का फोकस ऐसी मिसाइलों को बनाने पर है। (फोटो- सिम्बॉलिक)
इसके अलावा बताया जा रहा है कि अमेरिका जल्द ही एक क्रूज मिसाइल का परीक्षण भी कर सकता है। हालांकि, यह मिसाइल परमाणु शक्ति से लैस नहीं होगी। (फोटो- सिम्बॉलिक)
हायपरसोनिक मिसाइल उन मिसाइलों को कहा जाता है, जिनकी रफ्तार ध्वनि से कम से कम 5 गुना अधिक हो। इससे पहले अमेरिका ने मार्च में ऐसी ही एक मिसाइल का सफल परीक्षण किया था। (फोटो- सिम्बॉलिक)
मार्च में अमेरिका ने जिस मिसाइल का परीक्षण किया था। वह 6,200 किलोमीटर प्रति घंटा से ज्यादा गति से दुश्मन पर हमला करने में सक्षम है। साथ ही मिसाइल परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम होगी। (फोटो- सिम्बॉलिक)
अमेरिका के डिफेंस रिसर्च एंड इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट के डायरेक्टर मार्क लेविस ने पिछले दिनों दावा किया था कि अमेरिका अगले चार साल में ऐसी 40 हायपरसोनिक मिसाइलों का परीक्षण करेगा। (फोटो- सिम्बॉलिक)
दरअसल, रूस और चीन अमेरिका से इस तरह के हथियारों में आगे हैं। राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन ने दिसंबर 2019 में पहली हायपरसोनिक मिसाइल एवनगार्ड को बेड़े में शामिल करने का ऐलान किया था। यह मिसाइल 33 हजार किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से दुश्मन पर हमला करने में सक्षम है। (फोटो- सिम्बॉलिक)
इतनी रफ्तार से उड़ने वाली मिसाइल किसी भी रडार से पकड़कर कार्रवाई कर पाना असंभव है। रूस ने इससे दो महीने पहले डीएफ-17 हायपरसोनिक मिसाइल का परीक्षण किया था। (फोटो- सिम्बॉलिक)