चीन की बढ़ी मुश्किलें, चाइना सी में अमेरिका ने उतारे परमाणु युद्धपोत
नई दिल्ली. भारत-चीन के बीच जहां लद्दाख की सीमा पर तनातनी बरकरार है। वहीं, दूसरी तरफ साउथ चाइना सी में भी अमेरिका के साथ इसके तनाव बढ़ते जा रहे हैं। अमेरिका ने परमाणु शक्ति से लैस अपने दो एयरक्राफ्ट कैरियर साउथ चाइना सी में उतार दिए हैं। इससे चीन के साथ अमेरिका का तनाव चरम पर पहुंच गया है और चीन की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं। वो सभी ओर से घिर गया है।
| Published : Jul 05 2020, 08:55 AM IST
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जैसे-जैसे चीन हिंद और प्रशांत महासागर के क्षेत्र में अपना बाहुबल बढ़ा रहा है वैसे-वैसे दुनिया इस बात को मान चुकी है कि समुद्र में ड्रैगन को घेर लेंगे और उसकी ताकत का करारा जवाब दिया जाएगा।
समुंदर में चीन पर दबाव बनाने और जरूरत पड़ने पर हमला करने के लिए अमेरिका ने अपने दो युद्ध पोत USS रोनाल्ड रीगन और USS निमित्ज को दक्षिण चीन सागर में भेजा है। इसके बाद से इस क्षेत्र में तनाव चरम पर पहुंच गया है। ये दोनों युद्धपोत एयरक्राफ्ट कैरियर से उड़ान भरने वाले लड़ाकू विमानों की स्ट्राइक करने की क्षमता का लगातार आकलन कर रहे हैं। USS रोनाल्ड रीगन और USS निमित्ज दोनों ही परमाणु शक्ति से लैस मल्टी मिशन एयरक्राफ्ट कैरियर हैं। ये विशालकाय जहाज दुनिया के सबसे बड़े जहाजों में गिने जाते हैं और ये दोनों ही करीब 5,000 नौसैनिकों को ले जाने की क्षमता रखते हैं।
परमाणु शक्ति से लैस युद्धपोतों की इस तैनाती से साफ तौर से जाहिर होता है कि अमेरिका अपनी शक्ति चीन पर आजमाने के लिए तैयार हो चुका है। इससे ये भी पता चलता है कि अमेरिका और चीन के बीच तनाव किस हद तक बढ़ता जा रहा है। इस समय अमेरिका एक मौका ढूंढ रहा है जिससे वो चीन की ताकत और प्रभाव को धूल में मिला सके।
अमेरिका ने साउथ चाइना सी में ये युद्धाभ्यास ऐसे समय पर शुरू किया है, जब इसी इलाके में चीन की नौसेना भी युद्धाभ्यास कर रही है। 1 जुलाई से चीन की नौसेना अपनी सैन्य तैयारियों का प्रदर्शन करके ताइवान और दूसरे पड़ोसी देशों को धमकाने में जुटी हुई है। चीन ने वियतनाम से लेकर ताइवान तक हर पड़ोसी देश के साथ टकराव और तनाव बढ़ाया है। उसकी इन हरकतों के विरोध में फिलीपींस ने फ्रंट खोल दिया है। फिलीपींस ने चीन को चेतावनी देते हुए दक्षिण चीन सागर में अपना युद्धाभ्यास रोकने को कहा है। साउथ चाइना सी में ऐसे टकराव पिछले कुछ महीनों में बहुत बढ़ गए हैं।
इससे पहले अमेरिका ने अपने सैनिकों को यूरोप से हटाकर एशियाई देशों की तरफ भेजने का फैसला किया था ताकि भारत सहित एशिया में मौजूद अपने तमाम मित्र देशों की मदद कर सके।
इस समय पूरी दुनिया चीन के खिलाफ एक साथ आ रही है और समीकरण बदल रहे हैं। पूरी दुनिया का चीन के खिलाफ एक साथ आना एक वजह ये भी हो सकती है कि कोरोना। गौरतलब है कि कोरोना चीन के वुहान से शुरू हुआ था। जो कि अब पुरी दुनिया में महामारी बनकर फैला हुआ है।
चीन के दुश्मन आपस में दोस्ती निभा रहे हैं और उसकी परेशानी ये है कि इस समय उसके दुश्मनों की संख्या बहुत ज्यादा है। ऐसे हालात में अमेरिका के परमाणु शक्ति वाले एयरक्राफ्ट कैरियर्स का दक्षिण चीन सागर में तैनात होना अपने आप में चीन के लिए शह मात जैसा है।