'मुर्दों का शहर' नाम से मशहूर है ये जगह, जाने वाला कभी लौटकर नहीं आया वापस
हटके डेस्क : बॉलीवुड और हॉलीवुड की फिल्मों में अक्सर हमने देखा है ऐसी जगह जहां जाने के बाद कभी आदमी वापस नहीं आता है। लेकिन क्या कभी आपने ऐसी भूतिया जगह असलियत में देखी है ? अगर नहीं, तो आज हम आपको बताने जा रहे है ऐसी ही एक जगह के बारे में जिसे 'मुर्दों का शहर' ('city of the dead') कहा जाता है। इसके बारे में कहा जाता है कि वहां जो भी गया, कभी वापस लौटकर नहीं आया। कहां है ये जगह और यहां कोई क्यों नहीं जाता, आइए आपको बताते हैं।
| Published : Jan 16 2021, 11:21 AM IST
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जिन लोगों को घूमने-फिरने का शौक होता है, वह दुनिया में हर चीज देखना और उसके बारे में जानना चाहते हैं। सैलानियों को नई-नई जगह घूमने से लेकर एतिहासिक जगह जाने तक में रूचि होती है। लेकिन रूस का एक शहर ऐसा भी है, जहां जाने से हर आदमी कतराता हैं।
इसका कारण ये है कि यहां आजतक जो भी टूरिस्ट गया है, वो कभी लौटकर नहीं आया है। आप सोच रहे होंगे की ये सब तो फिल्मी कहानियों में देखा जाता है, असलियत में ऐसा थोड़ी न होता होगा। लेकिन आपको बता दें कि ये बात 100 प्रतिशत सच है।
उत्तरी ओसेटिया में बने इस गांव का नाम दर्गाव्स (dargavs,russia) है। यह इलाका बेहद ही सुनसान है। डर की वजह से इस जगह पर कोई भी आता-जाता नहीं है। इस रहस्यमय गांव को 'मुर्दों का शहर' भी कहा जाता है।
ऊंचे-ऊंचे पहाड़ों के बीच बने इस गांव तक पहुंचने का रास्ता भी बेहद ही मुश्किल है। पहाड़ियों के बीच तंग रास्तों से होकर यहां पहुंचने में करीब तीन घंटे का समय लगता है। यहां का मौसम भी हमेशा खराब रहता है।
यहां सफेद पत्थरों से बने करीब 99 भूतिया मकान हैं, जिसमें यहां रहने वाले लोगों ने अपने परिजनों के शव दफनाए थे। कहते है कि जो इमारत जितनी ऊंची हैं उनमें उतने ज्यादा शव दफनाए गए हैं।
सबसे खास बात ये है कि लोगों को यहां कब्रों के पास कई नाव मिली हैं। उनका कहना है कि यहां शवों को लकड़ी के ढांचे में दफनाया गया था जिसका आकार नाव जैसा है। आस-पास नदी ना होने के बावजूद यहां तक नाव कैसे पहुंची, ये अब भी शोध का विषय है।
बताया जाता है कि यह एक विशाल कब्रिस्तान है। जिसे 16वीं शताब्दी में बनवाया गया था। कहते हैं कि हर इमारत एक परिवार से संबंधित है, जिसमें सिर्फ उसी परिवार के सदस्यों को दफनाया गया है।
स्थानीय लोग इस जगह के बारे में तरह-तरह के दावे करते हैं। इसको लेकर कई लोगों की यह मान्यता है कि पहाड़ियों पर मौजूद इन इमारतों में जाने वाला कभी लौटकर नहीं आता। इन्हीं मान्यताओं के कारण कोई भी पर्यटक वहां जाना नहीं चाहता।