भारत के इन रईसों के सामने पानी भरते लगेंगे अंबानी-बिड़ला, छोटे से शौक पर उड़ा देते थे करोड़ों
हटके डेस्क : जब भी हम भारत के अमीर परिवारों की बात करते है, तो सबसे पहला नाम टाटा, बिड़ला या अंबानी का आता है। ये सभी बेशुमार दौलत के मालिक जो है, लेकिन क्या आप जानते हैं भारत में कई सारे ऐसे राजे- रजवाड़े परिवार हुआ करते थे, जिनके पास इन सभी लोगों से कई गुना ज्यादा संपत्ति थी। इनकी बेहिसाब दौलत के लिए आज भी इनके वंशज बंटवारे के पैसों के पीछे पड़े हैं। भारत में कई दौलतमंद नवाब हुए हैं जिनके साम्राज्य, शानो शौकत और रईसी की किस्से अब भी दिलचस्प लगते हैं। आइए जानते हैं कुछ ऐसे ही नवाबों के बारे में जो आज के टाटा, बिड़ला और अंबानी से भी ज्यादा रईस थे और शौक ऐसे ही आंखें खुली की खुली रह जाएं।
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हैदराबाद के पूर्व निजाम उस्मान अली खान को भारत ही नहीं बल्कि दुनिया के सबसे अमीर इंसानों में गिना जाता है। खबरों के अनुसार हैदराबाद के निजाम के पास 1886-1967 में 236 अरब डॉलर कुल संपत्ति थी। कहा जाता है कि निजाम 20 करोड़ डॉलर यानी कि 1340 करोड़ रुपए की कीमत वाले डायमंड का यूज पेपरवेट के रूप में किया करते थे।
कहा जाता है कि निजाम इतना अमीर होते हुए भी बहुत कंजूस इंसान थे। वो कभी भी प्रेस किये हुए कपडे नहीं पहनते थे। उन्होंने एक ही टोपी को 35 साल तक पहना था और वह टीन की प्लेट में खाना खाते थे। नवाबी चली जाने के बाद भी उनकी 9 पत्नियां, 42 माशुकाएं, 200 बच्चे और 300 नौकर थे।
मुहम्मद आमिर मुहम्मद खान का ताल्लुक यूपी के सीतापुर जिले से है। इसी जिले में कभी उनके पुरखों की रियासत हुआ करती थी। इस रियासत का नाम महमूदाबाद हुआ करता था। महमूदाबाद रियासत के पास उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में 3 हजार करोड़ की संपत्ति है।
महमूदाबाद रियासत अवध के नवाबों के अधीन हुआ करती थी। 1957 में उनके पिता भारत छोड़कर पाकिस्तान चले गए। हालांकि उनकी बेगम समेत परिवार के कुछ लोग यहीं रह गए।
जूनागढ़ के नवाब मुहम्मद महाबत खानजी ऐसे नवाब थे , जो अपने लोगों को छोड़कर पाकिस्तान भाग गए थे। हालांकि उनकी दौलत और शौक के किस्से आज भी मशहूर है।
कहा जाता है कि नवाब मुहम्मद महाबत खानजी को जानवरों से बेहद लगाव था। उन्होंने दुनियाभर से महंगे से महंगा जानवर लाकर पाल रखे थे। उन्होंने अपने पूरे जीवन में 300 कुत्ते पाले थे। उन्होंने अपने सबसे पसंदीदा कुत्तों के जन्मदिन भी मनाए और उनकी शादियां करवाई।
अवध के नवाब मुहम्मद याहिया मिर्जा असफ उद दौला अपनी दौलत के साथ-साथ नेक नीयती के लिए भी जाने जाते हैं। 1738 में इनके रियासत में भीषण अकाल पड़ा। अकाल से लोगों को बचाने के लिए इन्होंने इमामबाड़े का निर्माण करवाना शुरू कर दिया। इससे लोगों को रोजगार मिला और उनके भूखे मरने की नौबत नहीं आई।
लखनऊ में बना बड़ा इमामबाड़ा आज भी काफी मशहूर है। इसे भूल भुलैया के नाम से भी जाना जाता है।