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सबमरीन में महीनों गुजारना होता है मुश्किल, पानी के अंदर ऐसी लाइफ जीते हैं इंडियन नेवी के ऑफिसर
हटके डेस्क: 4 दिसंबर को भारतीय नेवी दिवस यानी इंडियन नेवी डे (Indian Navy Day 2020) के रूप में मनाया जाता है। भारत के जवान जल, थल और वायु में अपने साहस का लोहा मनवा चुके हैं। भारतीय नेवी में ऐसे कई जहाज और सबमरीन्स शामिल हैं, जो दुश्मनों के छक्के छुड़ाने में महारत हासिल किए हुए हैं। बात अगर पनडुब्बियों की करें, तो भारत के पास सितंबर 2019 तक एक न्यूक्लियर पावर से लैस सबमरीन है। इसके अलावा एक बैलिस्टिक मिसाइल सबमरीन और 15 लड़ाकू सबमरीन्स हैं। इनके अंदर बैठकर जवान दुश्मनों पर पानी के अंदर से वार करते हैं। आज हम आपको दिखाने जा रहे हैं कि भारत के बहादुर जवान इन सबमरीन्स के अंदर कैसी लाइफ जीते हैं.
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भारतीय नौसेना दुनिया की पांचवी सबसे बड़ी नौसेना है। हमारी नेवी में लगभग 55 हजार सैनिक हैं। एक नेवी ऑफिसर की जिंदगी काफी मुश्किलों से भरी होती है, दूर से भले ही हम कहे कि इनकी लाइफ सेट है, लेकिन वास्तव में इन्हें महीनों सबमरीन में गुजराने पड़ते है।
एक पनडुब्बी में 100 से अधिक ऑफिसर और सेलर महीनों बिताते हैं। इस दौरान उनका अपनी फैमिली से कोई कांटेक्ट नहीं रहता
INS सिंधुकीर्ति इंडियन किलो क्लास सबमरीन्स में आते हैं, जो भारत के सबसे पुराने सबमरीन्स में शामिल हैं।
ये सबमरीन सोनार रेडिएशन के आधार पर काम करता है। इन्हें कोई मिशन दिया जाता है, जिसे पूरा करने के बाद टीम वापस लौटती है।
सेलर्स को पनडुब्बी में छोटी सी जगह पर सोना पड़ता है। काफी कम स्पेस में करीब पांच से छह लोग सो जाते हैं।
स्पेस की कमी के कारण यहां बेड्स भी उसी हिसाब से बनाए जाते हैं।
सबमरीन में काफी हैवी बैटरी मौजूद होती हैं। इन बैटरीज के जरिये सबमरीन पानी के अंदर महीनों बिता लेती हैं।
कंट्रोल रूम से पनडुब्बी की सारी एक्टिविटीज पर नजर रखी जाती है। बाहर से लेकर अंदर तक क्या चल रहा है, इसे रिकॉर्ड किया जाता है।
इंजन कंट्रोल करने के लिए भी शिफ्ट्स चेंज की जताई है। सभी को अंदर बराबर आराम भी दिया जाता है। एक बार मिशन खत्म हो जाने के बाद ही ऑफिसर अपने घर लौटते हैं।
ये सबमरीन वैसे तो पानी के अंदर रहते हैं। लेकिन 24 घंटे में एक बार इन्हें ऊपर लाया जाता है ताकि अंदर की हवा को फ्रेश एयर से रिप्लेस किया जा सके।