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कोरोना से मौत के बाद मुर्दों को दफनाने पर अड़ा ये धर्म, छिड़ी बहस: बॉडी को जलाएं या दफनाएं?

हटके डेस्क: दुनिया में कोरोना ने सभी को पस्त कर दिया है। हर तरफ लाशों का ढेर लग गया है। अभी तक दुनिया में कोरोना के कारण 83 हजार 4 सौ से अधिक लोगों की मौत हो गई है। कोरोना वायरस फैलने वाली बीमारी है। ये एक से दूसरे में फैलता है। चूंकि अभी तक इसका कोई इलाज नहीं मिल पाया है, इस कारण बचाव ही एक मात्र तरीका है। कोरोना को लेकर अब जो बहस दुनिया में शुरू हुई है, वो ये कि वायरस से मौत के बाद लाशों को जलाया जाए या दफनाया जाए? इसे लेकर कई धर्मों में अंतिम संस्कार को लेकर बहस छिड़ गई है। दरअसल, चीन में कोरोना से मौत के बाद लाशों को जलाया जा रहा है। इसे लेकर सरकार ने आर्डर जारी किये थे। ताकि वायरस बॉडी के साथ खत्म हो जाए। दफ़नाने पर लाश के साथ वायरस मिट्टी में मिल जाएगा और आसपास की मिट्टी को संक्रमित कर देगा। हालांकि, इसका कोई प्रमाण नहीं मिला है। फिर भी चीन ने लाशों को जलाने का फैसला लिया था। लेकिन भारत सहित अन्य देशों में जिस धर्म में बॉडीज को दफनाया जाता है, वो लाशों को जलाने को लेकर विरोध दर्ज कर रहे हैं। 
 

Asianet News Hindi | Updated : Apr 09 2020, 02:47 PM
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कोरोना से मौत के बाद लाशों को दफ़नाने पर संक्रमण फैलता है, इसका कोई ठोस सबूत नहीं मिला है। लेकिन फिर भी चीन, जहां से ये वायरस शुरू हुआ था वहां लाशों को जलाया जा रहा है।
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श्रीलंका में एक मुस्लिम शख्स की कोरोना से मौत के बाद बॉडी को दफनाने की जगह जला दिया गया। इसे लेकर वहां मुस्लिम नेताओं ने हंगामा शुरू कर दिया। सरकार ने सफाई दी कि जला देने से वायरस को फैलने से रोका जा सकता है।
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भारत में भी कोरोना से मौत के आंकड़े बढ़ते जा रहे हैं। पिछले दिनों मुंबई में भी एक सर्कुलर जारी कर कोरोना से मौत के बाद लाशों को जलाने का ऑर्डर जारी हुआ था। जिसे बाद में वापस कर लिया गया।
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इसके बाद ऑर्डर दिया गया कि लाशों को बड़े ग्राउंड में दफनाया जा सकता है। दरअसल, घनी आबादी वाले क्षेत्र में लाश दफ़नाने से वायरस के फैलने का डर होता है। इसलिए लाशों को जलाने पर जोर दिया जाता है।
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भारत में कोरोना से हुई मौतों के अंतिम संस्कार को लेकर सर्कुलर जारी कर दिया गया है। इसमें किसी की मौत के बाद पांच से अधिक लोगों को उसमे शामिल होने की अनुमति नहीं है।
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भारतीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोरोना से मौत के बाद लाशों को जलाने और दफ़नाने दोनों की अनुमति दी है। अगर लाश को दफना रहे हैं तो कुछ ख़ास दिशा-निर्देश जारी किये गए हैं।
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कोरोना से मौत के बाद डेड बॉडीज को दफ़नाने के लिए कुछ गाइडलाइन्स बनाए गए हैं। इसमें बॉडी को लीक प्रूफ प्लास्टिक बैग में सील करना है। इस बैग से सिर्फ परिवार वाले उसका चेहरा देख सकते हैं।
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हिन्दू समाज को कोरोना से मौत हुई बॉडीज को नहलाने और छूने की अनुमति नहीं है। घरवाले धार्मिक मन्त्र पढ़ सकते हैं लेकिन लाश को छू नहीं सकते।
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कोरोना संक्रमित बॉडीज का पोस्टमार्टम नहीं किया जाता है। दरअसल, इससे भी संक्रमण फैलने के चांस होते हैं। इसलिए इसकी मनाही है।
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जिस बैग में लाश को डालना हैं, उसे भी अच्छे से सैनिटाइज किया जाता है। ताकि उसे उठाने वालों को कोई खतरा ना हो। लेकिन इसके बावजूद लाश के नजदीक जाने वालों को प्रोटेक्टिव सूट पहनने का सुझाव दिया जाता है।
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एचआईवी और SARS-CoV-2 जैसे रोगाणुओं से संक्रमित लोगों के शव जैव सुरक्षा स्तर II और III के अंतर्गत आते हैं। पूरी तरह से सील करके शव को दफनाना सुरक्षित माना जाता है।
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वहीं अगर शव को जलाया जा रहा है, तो राख से इन्फेक्शन का कोई खतरा नहीं होता है।
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कोरोना से मौत के बाद सबसे ज्यादा खतरा शवगृह में लोगों को और शव के नजदीक जाने वालों को होता है। लेकिन अगर सावधानी बरती जाए, तो खतरा टल जाता है।
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