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भारत के बेड़े में शामिल होगा ये ताकतवर हथियार, अमेरिका का सबसे खतरनाक फाइटर जेट भी इसके सामने फेल
लखनऊ (Uttar Pradesh). राजधानी लखनऊ में चल रहे 11वें डिफेंस एक्सपो में ऐसे हथियार को पेश किया गया, जो कि हथियार नहीं महाबली है। दुनिया का सबसे तेज उड़ने वाला खतरनाक फाइटर जेट भी इसके सामने दुम दबाकर भाग जाता है। आज हम आपको एस 400 मिसाइल सिस्टम के बारे में बताने जा रहे हैं, जोकि डिफेंस एक्सपो में आकर्षण का केंद्र भी बना हुआ है।
| Published : Feb 07 2020, 02:02 PM
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एस 400 मिसाइल सिस्टम को दुनिया का सबसे एडवांस मिसाइल सिस्टम माना जाता है। ये अमेरिका के एडवांस फाइटर जेट F-35 को भी मार गिराने की क्षमता रखता है।
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दरअसल, शीतयुद्ध के दौरान रूस और अमेरिका में हथियार बनाने की होड़ मची थी। रूस अमेरिका जैसी मिसाइल बनाना चाहता था, लेकिन कामयाब नहीं हुआ। तब उसने ऐसे सिस्टम पर काम करना शुरू किया जो इन मिसाइलों को टारगेट पर पहुंचने से पहले ही खत्म कर दे।
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1967 में रूस ने एस-200 सिस्टम डेवलप किया। ये एस सीरीज की पहली मिसाइल थी। साल 1978 में एस-300 और साल 1990 में एस-400 डेवलप किया गया। 1999 में इसकी टेस्टिंग शुरू हुई और 28 अप्रैल 2007 को रूस ने पहली एस-400 मिसाइल सिस्टम को अपने सुरक्षा बेड़े में तैनात किया।
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रूस अब तक इस सिस्टम को चीन और तुर्की को दे चुका है। भारत ने अक्टूबर 2018 में रूस के साथ ऐसे पांच सिस्टम खरीदने का करार किया था, जिसकी लागत करीब 5 अरब डॉलर यानी 33,000 करोड़ रुपए है। माना जा रहा है कि साल 2021 तक ये सिस्टम भारतीय सेना के बेड़े में शामिल हो जाएगा।
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एस 400 मिसाइल सिस्टम की खासियत की बात करें तो ये एक बार में एक साथ 72 मिसाइल छोड़ सकती है। सबसे खास बात ये है कि इस एयर डिफेंस सिस्टम को कहीं भी मूव करना बहुत आसान है। इसे 8X8 के ट्रक पर माउंट किया जा सकता है। इस सिस्टम को नाटो द्वारा SA-21 Growler लॉन्ग रेंज डिफेंस मिसाइल सिस्टम भी कहा जाता है।
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माइनस 50 से 70 डिग्री तक तापमान में काम करने में सक्षम इस मिसाइल को नष्ट कर पाना दुश्मन के लिए बहुत मुश्किल है। इसकी कोई फिक्स पोजिशन नहीं होती। यही वजह है कि इसे आसानी से डिटेक्ट नहीं किया जा सकता।
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एस-400 में चार तरह की मिसाइलें होती हैं, जिनकी रेंज 40, 100, 200, और 400 किलोमीटर तक होती है। यह सिस्टम 100 से लेकर 40 हजार फीट तक उड़ने वाले हर टारगेट को पहचान कर खत्म कर सकता है।
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एस-400 मिसाइल सिस्टम का रडार 600 किलोमीटर तक की रेंज में करीब 300 टारगेट ट्रैक कर सकता है। ये मिसाइल, एयरक्राफ्ट या फिर ड्रोन से हुए किसी भी तरह के हवाई हमले से निपटने में सक्षम है। ये सिस्टम न्यूक्लियर मिसाइलों को जमीन तक पहुंचने से पहले ही हवा में ही खत्म कर देगा।