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देश की ये है पहली महिला, जिसे होनी है फांसी, यादगार बने तस्वीर इसलिए जेल में पुलिसवालों ने खिंचवाई फोटो
रामपुर ( Uttar Pradesh) । अपने ही घर के सात लोगों की हत्या करने वाली शबनम को अब रामपुर जेल से बरेली जेल में शिफ्ट कर दिया गया है। बता दें कि वो पहली ऐसी महिला होंगी, जिन्हें फांसी होनी है। वहीं, रामपुर जेल की महिला पुलिसकर्मियों के साथ उसकी तस्वीरें वायरल हो रही है। हालांकि इस मामले में जेल प्रशासन ने दो बंदीरक्षकों को सस्पेंड भी कर दिया है, जो पति-पत्नी हैं।
| Published : Mar 02 2021, 04:56 PM IST / Updated: Mar 02 2021, 05:31 PM IST
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जेलरक्षक हैं पति-पत्नी, जिनके साथ हंसती हुई दिखी शबनम
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक 13 सालों से जेल में बंद शबनम की ये तस्वीरें जेल में इसी साल 26 जनवरी के कार्यक्रम के बाद ली गईं थीं। जिसमें वह जेलरक्षकों के साथ हंसती हुई दिख रही है। तस्वीरों में शबनम के साथ जेल की दूसरी कैदी भी दिखाई दे रही हैं।
जब की थी सात हत्या, तब प्रेग्नेंट थी शबनम
शबनम मूल रूप से अमरोहा जिले के बावनखेड़ी गांव की रहने वाली है। हत्याकांड के बाद जांच में पता चला था कि शबनम प्रेग्नेंट थी, लेकिन परिवार वाले सलीम से उसकी शादी के लिए तैयार नहीं थे। इसी वजह से शबनम ने प्रेमी सलीम के साथ मिलकर 15 अप्रैल 2008 को अपने पिता शौकत अली, मां हाशमी, भाई अनीस अहमद, उसकी पत्नी अंजुम, भतीजी राबिया और भाई राशिद के साथ ही अनीस के 10 महीने के बेटे अर्श की हत्या कर दी थी।
जब की थी सात हत्या, तब प्रेग्नेंट थी शबनम
शबनम मूल रूप से अमरोहा जिले के बावनखेड़ी गांव की रहने वाली है। हत्याकांड के बाद जांच में पता चला था कि शबनम प्रेग्नेंट थी, लेकिन परिवार वाले सलीम से उसकी शादी के लिए तैयार नहीं थे। इसी वजह से शबनम ने प्रेमी सलीम के साथ मिलकर 15 अप्रैल 2008 को अपने पिता शौकत अली, मां हाशमी, भाई अनीस अहमद, उसकी पत्नी अंजुम, भतीजी राबिया और भाई राशिद के साथ ही अनीस के 10 महीने के बेटे अर्श की हत्या कर दी थी।
पहले सभी को की थी बेहोश, फिर कुल्हाडी काटा
बताते चले कि प्रेमी के साथ मिलकर शबनम ने सभी को पहले दवा देकर बेहोश किया गया था, इसके बाद अर्श को छोड़कर बाकी को कुल्हाड़ी से काट दिया। अर्श को गला दबाकर मारा था।
(घटना के समय की फोटो)
शबनम ने दायर की है दया याचिका
शबनम और सलीम को जुलाई 2010 में अमरोहा की अदालत ने फांसी की सजा सुनाई थी। बाद में इलाहाबाद हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने भी सजा बरकरार रखी। राष्ट्रपति भी उनकी पहली दया याचिका को खारिज कर चुके हैं। शबनम की तरफ से दूसरी दया याचिका दायर की गई है।
जेल में बनी थी मां
जेल में रहने के दौरान शबनम ने 14 दिसंबर 2008 को बेटे को जन्म दिया था। बेटा जेल में उसके साथ ही रह रहा था। 15 जुलाई 2015 को वह जेल से बाहर आया। इसके बाद शबनम ने बेटे को अपने कॉलेज फ्रेंड उस्मान सैफी के पास छोड़ दिया।
दोस्त के पास इन दो शर्तों पर छोड़ी है बेटा
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक शबनम ने उस्मान को बेटा सौंपने से पहले दो शर्तें भी रखी थीं। पहली यह कि उसके बेटे को कभी भी उसके गांव में न ले जाया जाए, क्योंकि वहां उसकी जान को खतरा है और दूसरी शर्त ये थी कि बेटे का नाम बदल दिया जाए।
(इसी घर में हुआ था मर्डर)