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सामने आई नरेंद्र गिरि की 7 पेज की वसीयत, जिसमें बदला था अपना उत्तराधिकारी..पढ़िए इसमें क्या लिखा...
प्रयागराज (उत्तर प्रदेश). अखाड़ा परिषद (Akhada Parishad) के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि (Mahant Narendra Giri) की रहस्यमय ढंग से हुई मौत के बाद अब हर कोई यही बात कर रहा है कि बाघम्बरी मठ उत्तराधिकारी कौन होगा। हालांकि सुसाइड नोट में महंत ने अपना उत्तराधिकारी शिष्य बलबीर को घोषित किया हुआ है। लेकिन अभी इस पर कोई फैसला नहीं हो सका है। इसी बीच अब नरेंद्र गिरि की वसीयत सामने आई है। जो कि एक साल पहले लिखी गई थी। पढ़िए आखिर मंहत ने ्अपनी वसीयत क्यों बदली...
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एक साल पहले मंहत ने 7 पेज की लिखी वसीयत
दरअसल, मंहत नरेंद्र गिरी ने यह वसीयत 2 जून 2020 को लिखी थी। जिसमें उन्होंने अपना और बाघम्बरी मठ उत्तराधिकारी बलवीर गिरि को बताया गया है। एक साल पहले मंहत ने यह वसीयत 7 पेज की लिखी है। जिसे स्टाम्प पर लिखा गया है और इसे रजिस्टर्ड बताया जा रहा है। हालांकि बाद में इस वसीयत को बदला भी गया है।
2010 की वसीयत में आनंद गिरी को बताया उत्तराधिकारी
बता दें कि इससे पहले महंत नरेंद्र गिरि ने साल 2010 से 2020 के बीच तीन वसीयत बनवाई थीं। 7 जनवरी 2010 को वसीयत भी बलवीर गिरि को उत्तराधिकारी बताया था। फिर 29 अगस्त 2011 को जो वसीयत बनाई उसमें आनंद गिरि को उत्तराधिकारी बताया।
अंतिम वसीयत ही सही माना जाए
महंत नरेंद्र गिरि ने आखिरी वसीयत में लिखा 7 जनवरी 2010 और 29 अगस्त 2011 की वसीयत को निरस्त माना जाए। 2 जून 2020 लिखी वसीयत ही मेरी तृतीय वसीयत है जो कि अंतिम और सही है।
नरेंद्र गिरी के वकील ने बताई पूरी बात
महंत नरेंद्र गिरि के वीकल ने ऋषिशंकर द्विवेदी मीडिया से बात करते हुए बताया कि नरेंद्र गिरि ने 4 जून 2020 को पहले की दोनों वसीयतों को निरस्त करवा दिया था। पहले दूसरी वसीयत में उन्होंने आनंद गिरी को अपना उत्तराधिकारी बताया था। लेकिन कुछ समय बाद दोनों के बीच मनमुटाव हो गया तो उसे निरस्त करवा दिया।
पंच परमेश्व करेंगे अगला फैसला
वकील ने बताया कि अगर महंत नरेंद्र गिरि की वसीयत के मुताबिक कोई बाघम्बरी मठ उत्तराधिकारी बनता है तो वह बलवीर गिरि ही अगले महंत बनेंगे। लेकिन अभी पंच परमेश्वरों की बैठक में फैसला हो पाएगा। क्योंकि फिलहाल मामले की जांच चल रही है।