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काशी में होगा बैलून और बोट रेस फेस्टिवल का आयोजन, 12 टीमें गंगा में दिखाएंगी अपना दमखम, देखें PHOTOS
अनुज तिवारी
बनारस में 17 से 20 जनवरी के बीच में एक हॉट एयर बैलून तथा एक अनोखे नौका दौड़ महोत्सव का आयोजन होने जा रहा है। काशी हॉट एयर बैलून के समूह से इस पावन धरती का विहंगम दृश्य प्रस्तुत करने के लिए तैयार है। छह देशों के सबसे बेहतरीन गुब्वाराकारों के साथ 10 गुब्बारों की एक श्रृंखला घाटों के ऊपर से उड़ान भरेगी। तमाम मेहमान रोमांचकारी अनुष्ठानों, काशी की स्थल सीमा तथा श्रद्धालुओं को पवित्र गंगा नदी में डुबकी लगाते हुए देख सकते हैं। आइए तस्वीरों के जरिए जानते है इससे जुड़ी तमाम खास बातें
| Published : Jan 15 2023, 03:19 PM IST
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आयोजित हो रही नौका दौड़ का उद्देश्य वाराणसी की सांस्कृतिक पहचान- यानी इसकी प्रसिद्ध 'नौका' या नावों को दुनिया के सामने लाना है। इसे के साथ में इसे उन्नत, समकालीन यात्रियों के लिए एक अनोखे साहसिक खेल के रूप में प्रस्तुत करना है। इस प्रतिस्पर्धा में भाग लेने वाली स्थानीय टीमों को गंगा वाहिनी, जल योद्धा, गंगा लहरी, गंगा पुत्र, काशी लहरी, नाविक सेना, नौका सवार, भागीरथी सेवक, घाट रक्षक, गौमुख दैत्य, काशी रक्षक और जल सेना का नाम दिया गया है। विशेषज्ञों के द्वारा इसको लेकर प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है।
आयोजित होने वाले खेलों को लेकर नई नियम पुस्तिका बनाई गई है। इसी के साथ यह प्रतिस्पर्धा अंक प्रणाली, यानी प्वाइंट सिस्टम पर आधारित है। टीमें बेहतर प्वाइंट हासिल करने के लिए हर दिन प्रतिस्पर्धा करती हुई नजर आएंगी। इसके बाद सर्वाधिक प्वाइंट हासिल करने वाली टीम इस चैम्पियनशिप की विजेता होगी। विजेता टीम को ही नगद पुरस्कार और खिताब देकर सम्मानित किया जाएगा।
आपको बता दें कि रेसिंग ट्रैक की कुल लंबाई 3 किलोमीटर की है जो कि दशाश्वमेध घाट से शुरू होकर राजघाट तक जारी रहेगी। काशी की पारंपरिक नौकाएं 15 फीट लंबी होती है जिनकी पतवार लगभग 4 फीट की होती है। इसकी कमान कप्तान के हाथों में होती है और चार अन्य नाविक इसका संचालन करते हैं।
आयोजन को लेकर कौशल राज शर्मा ने कहा कि, काशी की इस प्राचीन नगरी को देखने का नजरिया अलग- अलग है जो बदलाव के कई अनुभवों से गुजर चुका है। इसे नए जमाने के पर्यटक के सामने प्रस्तुत करने और इसकी ब्रांडिंग करने की जरूरत है। वही आयोजन को लेकर जिलाधिकारी एस राजलिंगम की ओर से बताया गया कि काशी की सभ्यता विश्व की सबसे प्राचीन और अधुभूत है और इसको नई तरह से प्रस्तुत करने की जरूरत है।