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कानपुर में 8 पुलिसवालों की शहादत के बाद...अब हत्यारे विकास दुबे को लेकर STF जांच में आया एक चौंकाने वाला सच
कानपुर(Uttar Pradesh). कानपुर के चौबेपुर थाना क्षेत्र के बिकरू गांव में हुई 8 पुलिसकर्मियों की हत्या के मामले में रोज नए- नए खुलासे हो रहे हैं। मुख्य आरोपी विकास दुबे फरार है। पुलिस की तकरीबन 100 टीमें उसे तलाशने में लगी हुई हैं। इस पूरे मामले में चौबेपुर थाने के एसओ व अन्य कई पुलिसकर्मियों पर विकास दुबे को पुलिस मूवमेंट की खबर देने का भी आरोप है। इस मामले में अब तक 4 पुलिसकर्मी निलंबित हुए हैं जिसमें एसओ चौबेपुर विनय तिवारी भी शामिल हैं। लेकिन इस मामले में एसटीएफ की जांच में बड़ा खुलासा हुआ है। दबिश से करीब साढ़े सात घंटे पहले एक दरोगा की और करीब 40 मिनट पहले एक सिपाही से दहशतगर्द विकास दुबे की बातचीत फोन पर हुई थी। जिन पुलिसकर्मियों को निलंबित किया गया है, उसमें ये दरोगा-सिपाही भी शामिल हैं।
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बताया जा रहा है कि इन्हीं दोनों के जरिये विकास को दबिश की जानकारी हुई। चौबेपुर एसओ ने बात की है या नहीं इसकी जांच जारी है। पुलिस पर लगे मुखबिरी के आरोप की जांच एसटीएफ भी अपने स्तर से कर रही है।
एसटीएफ के सूत्रों के मुताबिक हलका इंचार्ज दरोगा कृष्ण कुमार शर्मा की दो जुलाई की शाम करीब 5:30 बजे विकास दुबे से फोन पर बातचीत हुई। उसके बाद दबिश से लगभग चालीस मिनट पहले 12:11 बजे सिपाही राजीव की विकास दुबे से फोन पर बात हुई।
ये बातचीत कुछ मिनटों की है। दो बार बातचीत के बाद दबिश दी गई और पुलिस पर हमला हुआ तो निश्चित है कि दबिश की सूचना बदमाश को पहले दे दी गई।
एसटीएफ सूत्रों का कहना है कि ये साफ है कि दोनों पुलिसकर्मियों ने विकास दुबे से फोन पर बात की। हालांकि ये जानकारी नहीं मिल सकी है कि ये कॉल विकास दुबे ने की थीं या इधर से की गई थीं। अफसर इन पुलिसकर्मियों की डिटेल और खंगाल रहे हैं।
एसटीएफ के अफसरों ने जब इन पुलिसकर्मियों के सामने बदमाश से हुई फोन पर बातचीत के साक्ष्य रखे तो इनकी हालत खराब हो गई। दरोगा का कहना था कि वो धमकी दे रहा था। गालियां दीं और बोला कि अगर आ गए तो लाशें बिछा देंगे। ये दरोगा का रटारटाया बयान है।
पुलिस सूत्रों के मुताबिक खुद को बचाने के लिए दरोगा ऐसा बोल रहा है। एसटीएफ कॉल रिकॉर्डिंग की गहनता से जांच कर रही है।