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Ukraine Crisis: ये है यूक्रेन की सबसे खतरनाक जगह! 36 साल पहले हुए एक हादसे के बाद यहां जाने को तरस रहे लोग
ट्रेंडिंग डेस्क : रूस और यूक्रेन (Ukraine Crisis) के बीच चल रहा विवाद कम होने का नाम नहीं ले रहा है। इस बीच अमेरिका ने दावा किया है कि रूस बिना किसी चेतावनी के पूरी फरवरी में कभी भी यूक्रेन पर हमला कर सकता है। अमेरिका ने बुधवार को कहा कि रूस ने यूक्रेन से लगी सीमा के पास 7000 अतिरिक्त सैनिकों को तैनात किए हैं। हालांकि, ये पहली बार नहीं है जब यूक्रेन पर संकट के बादल मंडरा रहे है। यहां का एक शहर ऐसा है, जो 36 सालों से परमाणु हादसे का दर्द झेल रहा है। आइए आपको बताते हैं, यूक्रेन की इस खतरनाक जगह के बार में और उस हादसे की तस्वीरें जिसे इतिहास के काले दिनों में से एक माना जाता है...
| Published : Feb 17 2022, 09:10 AM IST
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26 अप्रैल, 1986 को यूक्रेन के प्रिपयेट शहर में चेर्नोबिल परमाणु संयंत्र में इतिहास का सबसे भयंकर हादसा (Chernobyl disaster) हुआ था। इस हादसे में 32 लोगों की तुरंत मौत हो गई थी। वहीं, दर्जनों आदमी पहले दिन रेडिएशन की वजह से बुरी तरह जल गए थे।
बता दें कि भारत से यूक्रेन की दूरी करीब पांच हजार किलोमीटर है। वहीं, यूक्रेन की राजधानी किएव से 130 किलोमीटर उत्तर में प्रिपयेट शहर में 30 किलोमीटर के क्षेत्रफल में चेर्नोबिल एक्सक्लूयजन जोन है। दुर्घटना के समय वहां की कुल जनसंख्या करीब 1.5 लाख थी।
चेर्नोबिल पावर स्टेशन में चार न्यूक्लियर रिऐक्टर्स थे। यूनिट 1 का निर्माण 1970 में जबकि यूनिट 2 का निर्माण 1977 में हुआ था। 1983 में यूनिट नंबर 3 और 4 का काम पूरा हुआ था। जिस समय ये हादसा हुआ उस वक्त दो रिऐक्टर्स पर काम चल रहा था।
बताया जाता है कि 26 अप्रैल, 1986 को परमाणु संयंत्र में एक टेस्ट होना था। टेस्ट की तैयारी 25 अप्रैल को शुरू हो गई थी। रात में करीब 1.30 बजे टर्बाइन को नियंत्रित करने वाले वॉल्ब को हटा दिया गया। उसके बाद अचानक रिऐक्टर के अंदर नाभिकीय विखंडन की लगातार चलने वाली प्रक्रिया काबू से बाहर हो गई और चर्नोबिल न्यूक्लियर प्लांट की यूनिट-4 में विस्फोट हुआ और हवा में रेडियोएक्टिव मटेरियल घुल गया था। इस हादसे में मदद के लिए गए 32 लोगों की तुरंत मौत हो गई थी।
कहा जाता है कि हिरोशिमा और नागासाकी पर गिराए गए परमाणु बम से जितना रेडिएशन नहीं पैदा हुआ था, उससे कई गुना ज्यादा इसमें पैदा हुआ था। इस रेडिएशन से होने वाले कैंसर से बाद में सोवियत संघ के करीब 5,000 नागरिकों की मौत हो गई थी। लाखों लोगों के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ा और कई सालों तक ये जगह लोगों के लिए बंद कर दी गई।
साल 2011 में यूक्रेन की सरकार के इस जगह को पर्यटकों के लिए खोलने के बाद अब तक हजारों लोग यहां आ चुके हैं। यहां आने वाले लोग प्रिपयेट की मलबे से भरी बिल्डिंग्स को लाइन से देख सकते हैं। बर्फ से ढके पहाड और विशाला फेरी व्हील यहां के आकर्षण का केंद्र है।
हालांकि, इस हादसे के बाद से कई लोग यहां जाने से कतराते हैं। जिसके पीछे कई मिथक भी है। जिसमें से एक कारण कई सिर वाले जानवर भी हैं। कहा जाता है कि परमाणु विकिरण से जानवरों में जेनेटिक बदलाव ने हुए। जिसके कारण खूंखार जानवर पैदा किए हैं। जिनमें से कई के हाथ-पांव, सिर या पूंछ नहीं होते हैं तो किसी के पास ज्यादा एक से ज्यादा सिर, हांथ-पाव और पूंछे होती हैं। लेकिन वैज्ञानिकों को इससे जुड़ा कोई सबूत नहीं मिला है।
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