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खुलने जा रही है ये फूलों की घाटी, यहीं से लक्ष्मण के प्राण बचाने हनुमानजी संजीवनी बूटी लेकर गए थे
चमोली, उत्तराखंड. प्रकृति के अनगिनत रहस्यों से भरी, रोमांचक और खूबसूरत फूलों की घाटी(Valley of Flowers) 1 जून, 2022 से पर्यटकों के लिए खोली जा रही है। यह वो जगह है, जहां रिसर्च, आध्यात्म, शांति और प्रकृति(Research, Spirituality, Peace and Nature) को करीब से जानने का अद्भुत मौका मिलता है। उत्तराखंड पर्यटन(Uttarakhand Tourism) ने एक कहा-''उत्तराखंड के चमोली जनपद स्थित फूलों की घाटी पर्यटकों के लिए 1 जून से खोल दी जाएगी। फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान, यूनेस्को द्वारा ‘‘विश्व धरोहर स्थली’’ घोषित है। यह समुद्र तल से लगभग 3,600 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। इस विश्व प्रसिद्ध घाटी में आपको दुर्लभ एवं आकर्षक फूलों की 600 से अधिक प्रजातियां देखने को मिलेंगी। यह घाटी ट्रैकिंग में रुचि रखने वालों के लिए भी आकर्षण का केंद्र है। नैसर्गिक सुंदरता का अवलोकन करने आप भी यहां अवश्य आएं।'' जानिए फूलों की घाटी के बारे में...
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फूलों की घाटी (Valley of Flowers National Park) एक भारतीय राष्ट्रीय उद्यान है, जिसे 1982 में स्थापित किया गया था। यह उत्तराखंड राज्य के चमोली में स्थित है। इसे और स्थानिक अल्पाइन फूलों( endemic alpine flowers) यानी किसी विशेष जगहों पर और ऊंचे पहाड़ों पर उगने वाले पौधे और वनस्पतियों की विविधता(variety of flora) के लिए जाना जाता है।
फूलों की घाटी का रामायण और महाभारत में उल्लेख मिलता है। किवदंती है कि यहीं से हनुमान जी लक्ष्मण के प्राण बचाने के लिए संजीवनी बूटी लेकर गए थे।
याद रहे कि फूलों की घाटी सिर्फ जून की शुरुआत से अक्टूबर की शुरुआत तक ही खुली रहती है। इसकी वजह है कि बाकी समय यह बर्फ में ढकी रहती है। यानी घूमने का सही समय जुलाई के मध्य से अगस्त के मध्य तक है। इस दौरान मानसून की पहली बारिश के बाद यहां के फूल पूरी तरह खिल उठते हैं।
जुलाई में यहां बर्फ और पिघलते ग्लेशियर देख सकते हैं। अगस्त के मध्य के बाद घाटी का रंग अद्भुत तरीके से हरे से पीले रंग में बदलने लगता है। इसके बाद फूल मुरझा जाते हैं। सितंबर में कम बारिश से मौसम साफ रहता है, लेकिन फूल सूखना शुरू हो जाते हैं।
यहां घूमने के लिए विदेशियों और भारतीय पर्यटकों से अलग-अलग शुल्क लगता है। घांघरिया से करीब एक किलोमीटर के दायरे में वन विभाग की चौकी मिलती है, यहीं से फूलों की घाटी शुरू होती है। यहीं पर शुल्क जमा होता है। यहां जाएं, तो कोई परिचय पत्र अवश्य साथ रखें।
घांघरिया तक खच्चर भी मिलते हैं। गोविंद घाट पर सस्ते प्लास्टिक रेनकोट भी उपलब्ध हो जाते हैं। यहां गाइड भी उपलब्ध है। उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र में स्थित फूलों की घाटी करीब 87.50 किमी वर्ग क्षेत्र में फैली है। 1982 में यूनेस्को ने इसे राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया था। यहां 500 से अधिक दुर्लभ फूलों की प्रजातियां मौजूद हैं।