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Sardar Patel: उधार की किताबों से कानून की पढ़ाई की, 36 महीने का कोर्स 30 में पूरा कर किया टॉप
नई दिल्ली. देश की आजादी के 75वें साल पर आजादी का अमृत महोत्सव (India@75: Azadi Ka Amrit Mahotsav) मनाया जा रहा है। आजादी दिलाने में सरदार वल्लभभाई पटेल (Sardar Vallabhbhai Patel) की महत्वपूर्ण भूमिका थी। इसी भूमिका को बताने के लिए हर साल 31 अक्टूबर को राष्ट्रीय एकता दिवस (National Unity Day) मनााया जाता है। ये इसलिए भी खास है, क्योंकि इसी दिन सरदार वल्लभभाई पटेक का जन्म हुआ था। पटेल उन नेताओं में से थे, जिन्होंने उधार की किताबों से कानून की पढ़ाई की। सरदार वल्लभभाई पटेल को भारत के लौह पुरुष (Iron Man Of India) के रूप में जाना जाता है। सरदार पटेल का जन्म गुजरात (Gujarat) के नडियाद (Nadiad) में 31 अक्टूबर को हुआ था। एक किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाले पटेल सादा जीवन जीते थे। वे अपनी बुद्धिमत्ता और कूटनीतिक कौशल के लिए जाने जाते थे। सरदार पटेल के बारे में जानें इंट्रेस्टिंग फैक्ट्स...?
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किताब उधार लेकर पढ़ाई की
सरदार पटेल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) के एक वरिष्ठ नेता थे। स्वतंत्रता के बाद वे भारत के पहले उप प्रधानमंत्री बने। स्वतंत्रता की पहली वर्षगांठ पर पटेल को भारत के गृह मंत्री के रूप में नियुक्त किया गया था। पटेल ने वकालत की परीक्षा पास करने के बाद गुजरात के गोधरा बोरसाड और आणंद में वकालत की। पढ़ाई के लिए उन्होंने वरिष्ठ वकीलों से किताबें उधार लीं।
36 महीने का कोर्स 30 में पूरा किया
36 साल की उम्र में सरदार पटेल ने इंग्लैंड की यात्रा की और बैरिस्टर के लिए मिडिल टेम्पल इन में दाखिला लिया। उन्होंने केवल 30 महीनों के भीतर 36 महीने का कोर्स पूरा किया और कॉलेज का कोई अनुभव न होने के बावजूद परीक्षा में टॉप किया।
पहले राजनीति में नहीं थी दिलचस्पी
स्वतंत्रता आंदोलन के शुरुआती दौर में पटेल की राजनीति या महात्मा गांधी के सिद्धांतों में कोई दिलचस्पी नहीं थी। हालांकि, गोधरा में गांधी से मिलने के बाद पटेल कांग्रेस में शामिल हो गए और गुजरात सभा के सचिव बने, जो बाद में कांग्रेस का गढ़ बन गया।
गांधी के कहने पर नौकरी छोड़ दी
महात्मा गांधी के आह्वान पर पटेल ने अपनी नौकरी छोड़ दी और प्लेग और अकाल के समय खेड़ा में टैक्स की छूट के लिए लड़ने के लिए आंदोलन में शामिल हो गए। पटेल गांधी के असहयोग आंदोलन में शामिल हुए और 300000 सदस्यों की भर्ती के लिए पश्चिम भारत की यात्रा की। उन्होंने पार्टी फंड के लिए 1.5 मिलियन रुपए से अधिक इकट्ठा किए।
तिरंगे को लेकर किया आंदोलन
पटेल ने शराब पीने, छुआछूत, जातिगत भेदभाव और गुजरात और बाहर महिला मुक्ति के लिए बड़े पैमाने पर काम किया। जब महात्मा गांधी को कैद किया गया था, तब पटेल को भारतीय तिरंगा फहराने पर प्रतिबंध लगाने के ब्रिटिश कानून के खिलाफ 1923 में नागपुर में सत्याग्रह आंदोलन का नेतृत्व करने के लिए कहा गया था। भारत के पहले गृह मंत्री और उप प्रधान मंत्री के रूप में सरदार पटेल ने रियासतों के एकीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
गुजरात में बनी दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति
गुजरात में सरदार पटेल की मूर्ति बनवाई गई है। नाम स्टैच्यू ऑफ यूनिटी है। गुजरात के केवड़िया शहर से जोड़ने के लिए 3.5 किमी. हाईवे का इस्तेमाल किया जाएगा। स्टैच्यू ऑफ यूनिटी दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति है। 182 मीटर पर ये मूर्ति चीन के स्प्रिंग टेम्पल बुद्ध प्रतिमा से 23 मीटर लंबी है। वहीं अमेरिका में स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी (93 मीटर लंबा) की ऊंचाई से लगभग दोगुना है।
मूर्ति में है खास गैलरी, 200 लोग खड़े हो सकते हैं
प्रतिमा के आधार को बनाने के लिए सभी राज्यों के 169000 गांवों में लगभग 100 मिलियन किसानों से लगभग 129 टन लोहे के व्यवस्था की गई। इसका निर्माण पद्म भूषण मूर्तिकार राम वी सुतार ने किया। इस स्टैच्यू में ऐसी गैलरी बनाई गई है, जहां से 153 मीटर तक देखा जा सकता है। इस गैलरी में एक समय में 200 लोगों खड़े हो सकते हैं।
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