- Home
- Viral
- क्या वैक्सीन लगवाने के बाद संभव है कि एंटीबॉडी न बने? एक शख्स ने ऐसा ही दावा किया, अब जानें एक्सपर्ट की राय
क्या वैक्सीन लगवाने के बाद संभव है कि एंटीबॉडी न बने? एक शख्स ने ऐसा ही दावा किया, अब जानें एक्सपर्ट की राय
लखनऊ में रहने वाले एक शख्स ने सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के प्रमुख अदार पूनावाला के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई। उसका आरोप था कि कोविशील्ड वैक्सीन लगवाने के बाद उसके शरीर में एंटीबॉडी नहीं बनी। उसके साथ धोखा हुआ है। ऐसे में खबर से आगे Asianet News Hindi ने कोविड एक्सपर्ट गोल्ड मेडलिस्ट न्यूरोसर्जन डॉक्टर अनूप कुमार सिंह से बात की। उनसे पूछा कि क्या ये संभव है कि किसी व्यक्ति को वैक्सीन लगे लेकिन शरीर में एंटीबॉडी न बने? जानें क्या था उनका जवाब...
- FB
- TW
- Linkdin
)
वैक्सीन के बाद एंटीबॉडी न बनने पर एक्सपर्ट की राय
डॉक्टर अनूप सिंह ने कहा कि ऐसा संभव है कि वैक्सीन लगवाने के बाद एंटीबॉडी न बने, लेकिन इसके कई फैक्टर होते हैं। अदार पूनावाला ने वैक्सीन बनाई। लेकिन वैक्सीन बनने के बाद उसके ट्रांसपोर्टेशन से लेकर पेशेंट को लगने तक तमाम सावधानियां बरतनी होती है। कोल्ड चेन मेंटेन करना होता है। अगर कहीं भी कोल्ड चेन में दिक्कत हुई तो वैक्सीन पर असर पड़ सकता है। यानी अगर वैक्सीन का टेंपरेचर मेंटेन नहीं किया गया तो वैक्सीन बेकार हो सकती है।
डॉक्टर अनूप ने कहा कि दूसरी बात सभी सावधानी रखने के बावजूद ऐसा संभव है कि वैक्सीन लगने के बाद एंटीबॉडी न बने। कोई इम्युनिटी न डेवलप हो, क्योंकि ये व्यक्ति के शरीर पर भी निर्भर करता है। एम्स की एक स्टडी है, जिसके मुताबिक, जो अल्कोहलिक या स्मोकर्स हैं उनमें एंटीबॉडी कम बनती है। जो नॉन-अल्कोहलिक है उनमें एंटीबॉडी ज्यादा डेवलप हुई। फिर भी मैं कहूंगा कि वैक्सीन ही कोरोना का बचाव है। वैक्सीन लगवाने के बाद लोग गंभीर बीमार नहीं पड़ते हैं। ऐसे लोगों में मृत्यु दर कम होती है। आईसीयू में जाने की संभावना कम रहती है।
डॉक्टर अनूप ने कहा, लखनऊ की जिस घटना का जिक्र किया जा रहा है उसमें सिर्फ शिकायत करने वाले व्यक्ति को ही वैक्सीन नहीं लगी होगी। सेम वैक्सीन सेम स्लॉट सैकड़ों लोगों को लगी होगी। तो अगर किसी एक व्यक्ति में इम्युनिटी डेवलप नहीं हो रही है तो उस व्यक्ति के शरीर की खुद की क्षमता का उतार-चढ़ाव भी हो सकता है।
वैक्सीन पर अदार पूनावाला ने क्या कहा था?
वैक्सीन पर सीरम इंस्टीट्यूट के प्रमुख अदार पूनावाला ने एक इंटरव्यू में कहा था कि जब वैक्सीन बन जाती है तो उसे एक छोटी बोतल में फिल किया जाता है, जिसके बाद पैकेजिंग की जाती है और अंत तक चेक किया जाता है कि बोतल में वैक्सीन के अलावा कुछ और ना जाए। इसके अलावा वैक्सीन को 2 से 8 डिग्री के टेंपरेचर में पर रखा जाता है। यानी किसी भी फ्रिज में रख सकते हैं।
क्या है लखनऊ में एंटीबॉडी न बनने का केस?
लखनऊ के रहने वाले प्रताप चंद्रा ने आरोप लगाए हुए कहा कि उन्होंने कोविशील्ड वैक्सीन लगवाई, इसके बाद भी उनके शरीर में एंटीबॉडी नहीं बनी। चंद्रा ने कोविशील्ड की पहली डोज 8 अप्रैल को ली थी। इसके बाद सरकार द्वारा प्रमाणित लैब में एंटीबॉडी टेस्ट भी कराया। उन्होंने कहा कि वैक्सीन लेने के बाद कोई एंटीबॉडी नहीं बनी, उल्टा उनका प्लेटलेट्स 3 लाख से घटकर डेढ़ लाख पहुंच गया। प्रताप चंद्रा ने लखनऊ में अदार पूनावाला के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है। उन्होंने कहा कि अगर शिकायत पर कार्रवाई नहीं की गई तो 6 जून को कोर्ट भी जा सकते हैं।
Asianet News का विनम्र अनुरोधः आइए साथ मिलकर कोरोना को हराएं, जिंदगी को जिताएं...। जब भी घर से बाहर निकलें माॅस्क जरूर पहनें, हाथों को सैनिटाइज करते रहें, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें। वैक्सीन लगवाएं। हमसब मिलकर कोरोना के खिलाफ जंग जीतेंगे और कोविड चेन को तोड़ेंगे। #ANCares #IndiaFightsCorona