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Bipin Rawat Dies: जिस बटालियन में पिता थे वहीं हुई थी बिपिन रावत की पहली पोस्टिंग, जानें कैसी है उनकी फैमली
ट्रेंडिंग डेस्क. तमिलनाडु में कुन्नूर के जंगलों में बुधवार को दोपहर सेना का Mi-17V5 हेलिकॉप्टर क्रैश (helicopter crash) हो गया। इसमें चीफ ऑफ डिफेंस स्टॉफ (CDS) जनरल बिपिन रावत (cds bipin rawat) उनकी पत्नी मधुलिका (madhulika rawat) समेत सेना के 14 अफसर सवार थे। इस हादसे में बिपिन रावत समेत 13 सवारों की मौत हो गई। रावत का परिवार कई पीढ़ियों से भारतीय सेना (Indian Army) में सेवाएं दे रहा है। उनके पिता लेफ्टिनेंट जनरल लक्ष्मण सिंह रावत थे जो कई सालों तक भारतीय सेना का हिस्सा रहे। इसके साथ ही उनकी पत्नी भी आर्मी वाइव्स वेलफेयर एसोसिएशन की अध्यक्ष थीं। आइए जानते हैं उनकी फैमली के बारे में।
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बिपिन रावत की शादी मधुलिका रावत से हुई थी। उनकी दो बेटियां हैं। पत्नी मधुलिका रावत AWWA (आर्मी वाइव्स वेलफेयर एसोसिएशन) की अध्यक्ष थीं। वह सेना के जवानों की पत्नियों, बच्चों और आश्रितों के कल्याण के लिए काम करती थीं।
AWWA भारत के सबसे बड़े NGO में से एक है। मधुलिका रावत कई कल्याणकारी कार्यक्रमों और अभियानों का हिस्सा रही हैं जो वीर नारियों (सेना की विधवाओं) और दिव्यांग बच्चों की सहायता करती हैं।
बिपिन रावत की ससुराल गढ़ी सोहागपुर जिला शहडोल (मप्र) में है। उनकी पत्नी मधुलिका स्व. कुंवर मृगेन्द्र सिंह की पुत्री हैं जो रीवा राजघराने से संबंधित हैं। दोनों की शादी 1985 में हुई थी।
जनरल बिपिन रावत की दो बेटियां हैं। बड़ी बेटी का नाम कृतिका रावत है है। उनकी शादी मुंबई में हुई है। जबकि छोटी बेटी का नाम तारिणी रावत है और वो अभी पढ़ाई कर रही हैं।
बिपिन रावत का जन्म उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल में हुआ था। वे 1978 से भारतीय सेना में शामिल हुए। जरनल बिपिन रावत, सेंट एडवर्ड स्कूल, शिमला, और राष्ट्रीय रक्षा अकादमी, खडकसला के पूर्व छात्र हैं। उन्हें दिसंबर 1978 में भारतीय सैन्य अकादमी, देहरादून से ग्यारह गोरखा राइफल्स की पांचवीं बटालियन में नियुक्त किया गया था।
बिपिन रावत के सेवाकाल का सबसे भावुक पल तब था जब वर्ष 1978 की 6 दिसंबर में उन्हें 11वीं गोरखा राइफल की पांचवीं बटालियन में पहली बार 'कमीशन' किया गया था क्योंकि उनके पिता को भी इसी बटालियन में पहली बार 'कमीशन' किया गया था।
रावत का परिवार कई पीढ़ियों से भारतीय सेना में सेवाएं दे रहा है। उनके पिता लेफ्टिनेंट जनरल लक्ष्मण सिंह रावत थे जो कई सालों तक भारतीय सेना का हिस्सा रहे। बिपिन रावत के पास अशांत इलाकों में लंबे समय तक काम करने का अनुभव रहा। भारतीय सेना में रहते उभरती चुनौतियों से निपटने, नॉर्थ में मिलटरी फोर्स के पुनर्गठन, पश्चिमी फ्रंट पर लगातार जारी आतंकवाद व प्रॉक्सी वॉर और पूर्वोत्तर में जारी संघर्ष के लिहाज से उन्हें सबसे सही विकल्प माना जाता था।
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