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Shankaracharya Jayanti 2022: आदि शंकराचार्य के 10 अनमोल विचार, जो आपको जीवन में लाते है सुख
रिलीजन डेस्क: आदि गुरु शंकराचार्य (Adi Shankarachary) की जयंती 6 मई दिन शुक्रवार को मनाई जा रही है। आदि शंकराचार्य का जन्म केरल के एक गांव में हुआ था। उनके माता-पिता भगवान शिव के परम भक्त थे, इसलिए उन्होंने उनका नाम अपने इष्ट देवता के नाम पर रखा। आदि शंकराचार्य एक साधारण बच्चे नहीं था, बल्कि एक दिव्य आत्मा थे। यह माना जाता है कि आदि शंकर भगवान शिव के मानव रूप में अवतार हैं। 16 से 32 साल तक उन्होंने वेदों के जीवनदायी संदेश को जन-जन तक पहुंचाने के लिए प्राचीन भारत की यात्रा की। शंकराचार्य एक कवि भी थे। उन्होंने सौंदर्य लहरी, शिवानंद लहरी, निर्वाण शाल्कम, मनीषा पंचकम जैसे 72 भक्ति और ध्यानपूर्ण भजनों की रचना की। उनके संदेश और उपदेश आज भी हम सबके लिए प्रेरणा है। ऐसे में उनकी जयंती पर हम आपको बताते हैं, आदि शंकराचार्य के 10 अनमोल विचार...
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जिस प्रकार पत्थर, वृक्ष, भूसा, अनाज, चटाई, कपड़ा, घड़ा आदि जलने पर पृथ्वी में समा जाते हैं, उसी प्रकार शरीर और उसकी इंद्रियां,अग्नि में जलकर ज्ञानरूपी बन जाते हैं और सूर्य के प्रकाश में अंधकार की तरह ब्रह्म में लीन हो जाते हैं।
धन, लोगों, सम्बन्धियों और मित्रों, या यौवन पर अभिमान मत करो। पलक झपकते ही ये सब समय के साथ छीन लिया जाता है। इस मायावी संसार को त्याग कर परमात्मा को जानो और प्राप्त करो।
तीर्थ करने के लिए किसी स्थान पर जाने की जरूरत नहीं है। सबसे अच्छा और बड़ा तीर्थ आपका अपना मन है, जिसे विशेष रूप से शुद्ध किया गया हो।
आत्मा और परमात्मा एक ही हैं। हमें अज्ञानता के कारण ही ये दोनों अलग-अलग प्रतीत होते हैं।- आदि शंकराचार्य जयंती की शुभकामनाएं।
मोह से भरा हुआ इंसान एक सपने कि तरह हैं, यह तब तक ही सच लगता है जब तक वह अज्ञान की नींद में सो रहे होते है। जब उनकी नींद खुलती है तो इसकी कोई सत्ता नहीं रह जाती है।
जिस तरह एक प्रज्वलित दीपक के चमकने के लिए दूसरे दीपक की जरुरत नहीं होती है। उसी तरह आत्मा जो खुद ज्ञान स्वरूप है उसे किसी और ज्ञान कि आवश्यकता नहीं होती है, अपने खुद के ज्ञान के लिए।
आदि शंकराचार्य जयंती की शुभकामनाएं।
यह परम सत्य है की लोग आपको उसी समय तक याद करते है जब तक आपकी सांसें चलती हैं। इन सांसों के रुकते ही आपके करीबी रिश्तेदार, दोस्त और यहां तक की पत्नी भी दूर चली जाती है- आदि शंकराचार्य
हमारी आत्मा एक राजा के समान होती है और हर व्यक्ति को यह ज्ञान होना चाहिए कि जो शरीर, इन्द्रियों, मन बुद्धि से बिल्कुल अलग होती है। आत्मा इन सबका साक्षी स्वरूप हैं।
सत्य की कोई भाषा नहीं होती। सत्य की बस इतनी ही परिभाषा है की जो सदा था, जो सदा है और जो सदा रहेगा। आदि शंकराचार्य जयंती की शुभकामनाएं।
मंदिर वही पहुंचता है जो धन्यवाद देने जाता हैं, मांगने नहीं- आदि शंकराचार्य जयंती की शुभकामनाएं।
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