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शादी के बाद दुल्हन को ससुराल में झेलनी पड़ती हैं ये परेशानियां, पहले ही दिन से कर लें ये तैयारी
रिलेशनशिप डेस्क : बॉलीवुड फिल्म सरस्वतीचंद्र गाना मैं तो भूल चली बाबुल का देश, पिया का घर प्यारा लगे, ये गाना हर नई-नवेली दुल्हन पर सूट करता है। शादी के बाद पति का घर ही पत्नी के लिए सबकुछ होता है। लेकिन इस दौरान एक्साइटमेंट से कहीं ज्यादा लड़कियों को नर्वसनेस होती है। शादी के बाद ससुराल में प्रवेश करते समय लड़कियों के मन में तरह तरह के अनेक सवाल उठते हैं। जैसे कि उनके काम को लेकर घर वाले क्या बोलेंगे? उनकी आदतें घर वालों को पसंद आएंगी या नहीं या फिर घर वालों के हिसाब से वो खुद को एडजस्ट कर पाएगी या नहीं? ये सवाल उनके मन में आना लाजमी भी है, तो चलिए आज आपको बताते हैं कुछ ऐसे टिप्स जिससे जानकर आपको ससुराल में ताल-मेल जमाने में जरा भी परेशानी नहीं आएगी और पति से लेकर सास-ननद तक आपसे खुश हो जाएंगे।
| Published : Dec 16 2020, 03:56 PM IST
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किसी भी नई-नवेली दुल्हन के लिए अपने पिता का घर छोड़कर आकर तुरंत नए पति के घर में आकर एडजस्ट करना मुश्किल होता है। ये एक बहुत बड़ी मानसिक चुनौती भी होता है।
सबसे पहले तो आप इस बात से मानसिक रूप से तैयार हो जाए कि अब यही आपका घर-परिवार है और यहीं आपको अपना जीवन हंसी खुशी बिताना है ।
अपना मायका छोड़कर आना किसी भी लड़की के लिए तकलीफ से भरा होता है। लेकिन ऐसे में दुखी न होकर खुश रहें और ससुराल में मिले नये रिश्तों (ननद, भाभी, बुआ, सास, देवर, देवरानी,जेठानी आदि) का आनंद उठाएं।
एक बात का ध्यान रखें कि प्यार, डेडिकेशन और आपके नेचर से आप बड़ी से बड़ी परेशानियों का भी आसानी से समाधान कर सकती हैं। धैर्य के साथ इस गुण का विकास करें। गृहस्ती में ये गुण आपको बहुत फायदा देगा।
हर रिश्ता अपने आप में विशेष होता है, उनकी एक दूसरे से तुलना न करें। खासकर बात-बात पर ये कहना कि हमारे घर में तो ऐसा होता था। मायके और ससुराल में तुलना न करें। रिश्तों में प्यार और विश्वास बना रहे इस बात पर ज्यादा ध्यान दें।
इस मानसिकता से बहार निकले की मुझे तो केवल अपने पति की खुशी से मतलब है। घर-परिवार में सभी को बराबर का दर्जा दें, फिर चाहें वो पति हो या ननद-देवर।
याद रहें कि हमे अपने आप को बदलने की जरुरत नहीं है। बस नए रीति-रिवाज और कल्चर में अपने आपको ढालने की कोशिश करनी है। अपनी पर्सनालिटी को ही अपने घर वालों के सामने प्रेजेंट करें, बनावटी रूप केवल कुछ के लिए ही होता है।
सास और बहू का रिश्ता कही-कही तनाव वाला होता है। लेकिन कई जगह बहुत मधुर भी होता है। इसलिए कोशिश करें कि जो प्यार और सम्मान आप अपनी मां को देती है, वहीं उनको भी दें। छोटी-छोटी बातों में उनकी राय शामिल करें। जैसे- कहीं जाने के लिए मैं कौन सी साड़ी पहनू या फिर आज खाने में क्या स्पेशल बनाएं?
ससुराल में कान की कच्ची न रहें, कही सुनी बात पर बिना आधार के विश्वास करना और अपने मन में किसी के प्रति दुर्भाव रखना मूर्खता होती है, ऐसी बातों से बचें।
अगर कहीं घूमने का प्लान हो तो वापसी में घर वालों के लिये उनकी पसंद के हिसाब से तोहफे ले जाने चाहिए। जरूरी नहीं है कि तोहफे मंहगे हों।
विवाह के बाद पति के मम्मी पापा आपके भी मम्मी पापा होते हैं । इनके साथ आपको लंबा समय बिताना है इसलिये रिश्तों में प्यार और सम्मान बनाए रखना चाहिए । अपनी तरफ से कोइ ऐसा काम न करें जिससे उन्हें ठेस लगे।