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- दिलचस्प इस शख्स की कामयाबी की कहानी: जो कपड़ों की तरह बदलते सरकारी नौकरी, आप भी करेंगे इन्हें सैल्यूट
दिलचस्प इस शख्स की कामयाबी की कहानी: जो कपड़ों की तरह बदलते सरकारी नौकरी, आप भी करेंगे इन्हें सैल्यूट
चूरू. प्राइवेट सेक्टर में ही नौकरी बदलने से पहले हजारा बार सोचते हैं लोग, फिर चाहे वे शिक्षक हों या फिर अन्य किसी पेशे से। लेकिन राजस्थान के चूरू जिले में रहने वाले एक शिक्षक ऐसे नहीं हैं, वे कपड़ों की तरह नौकरियां बदलते हैं। वर्तमान में वे असिस्टेंट प्रोफेसर हैं और यह उनकी चौथी सरकारी नौकरी है। उनकी कहानी प्रेरणा देने वाली है और यह बताने वाली है कि कोशिश करने वाले कभी हारते नहीं हैं। आईए ले चलते हैं आपको राजस्थान के चूरू जिले में........
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डा. शमशाद अली का पिछले सप्ताह ही परिणाम आया है। राजस्थान लोग सेवा आयोग की ओर से आयोजित की गई असिस्टेंट प्रोफसर परीक्षा में उन्होनें फिर से टॉप किया है। वे राजस्थान में पहली रैंक पर हैं। उनका विषय उर्दू है। अब वे अस्टिेंट प्रोफेसर हैं और अब फिर से अगले पडाव की तैयारी अभी से ही शुरु कर दी है।
45 साल के अली अब तक तीन सरकारी नौकरी बदल चुके हैं। सबसे पहले इससे पहले साल 2001 में आठवीं तक के स्कूल में बतौर उर्दू शिक्षक लगे। सरकारी स्कूल में 15 साल तक पढ़ाया। इसके बाद 2015 में वरिष्ठ शिक्षक उर्दू के पद पर ज्वाइन किया। साल 2016 में स्कूल लेक्चरर पद पर लगे। अब कॉलेज के असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में चयन हुआ है।
डॉ शमशाद अली राजस्थान के चूरू शहर के वार्ड 55 में चेजारों का मोहल्ला के रहने वाले हैं। असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में चयन होने के बाद उन्होंने कहा कियहीं नहीं थमना है, मुझे और आगे बढ़ना है।
शमशाद अली पांच भाईयों में तीसरे नंबर पर हैं। उनकी पत्नी शमीम बानो है। बेटा मोहम्मद और बेटी आफरीन है। बेटा स्नातक कर चुका है और बेटी का अभी बारहवीं का परिणाम आया है। वह भी टॉप टेन में शामिल हैं।
शमशाद का कहना है कि माता पिता पढ़े नहीं। पिता टेलर रहे। लेकिन बच्चों को इतना काबिल बना दिया कि अब उनका नाम सब जानते हैं। शमशाद के भाई अहमद रजा ने भी साल 2014 में सफलता के झंडे गाड़े थे।
डॉ शमशाद अली के बड़े भाई अहमद रजा ने द्वितीय श्रेणी उर्दू शिक्षक परीक्षा में टॉप किया था। वहीं, उनकी बेटी आफरीन अल्पसंख्यक वर्ग में चूरू जिले की टॉपर रहीं हैं।